यह रास्ता कठिन होगा, लेकिन इतिहास बदलने का हर कदम कठोर होता है
रांची : राज्यसभा के उपसभापति सह पत्रकार हरिवंश का कहना है कि आजादी के बाद गांधी के विचारों को नीति के स्तर पर अपनाया ही नहीं गया.आजादी के बाद देश के नीतिकारों ने साम्यवादी और पूंजीवादी व्यवस्था मिलाकर मध्यम मार्ग चुना. यह रास्ता कितना सफल है, यह आज भी बड़ा मुद्दा है. जो स्थिति है, उससे लगता है कि आज भी गांधी का मॉडल ही एक विकल्प है.
यह रास्ता कठिन होगा, लेकिन इतिहास बदलने का हर कदम काफी कठोर होता है. हरिवंश रविवार को आड्रे हाउस में टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में ‘भविष्य का एक विकल्प हैं महात्मा गांधी’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे.
वैज्ञानिक बताएं लोगों को ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति : हरिवंश ने कहा कि वर्तमान समय के सबसे बड़े वैज्ञानिक कहे जाने वाले स्टीफन हॉकिन्स ने अपनी पुस्तक ब्रीफ आंसर टू द बिग क्वाश्चंस में लिखा है कि मानव जाति कहां खड़ी है? यह धरती कहां है?
उन्होंने सवाल खड़ा किया है कि इस परिस्थिति में हमारी सभ्यता कब तक रह पायेगी? वह कहते हैं कि क्या हम धरती पर रह पायेंगे? जनवरी 2018 के बुलेटिन ऑफ ऑटोमिक साइंटिस्ट की पत्रिका में लिखा था कि धरती बड़े खतरों से घिर चुकी है. यह कितने दिनों रहेगी, यह कहना मुश्किल है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है. यह जिम्मेदारी वैज्ञानिकों की है कि लोगों को स्थिति बताएं. लोगों से ही एक मात्र उम्मीद है.
उनको बताएं कि कैसे ग्लोबल वार्मिंग आपकी दुनिया को समाप्त कर देगी. अब रास्ता यही है कि हम दूसरे ग्रहों को रहने के लिए खोजें. कुछ इसी तरह की स्थिति का जिक्र जाने-माने लेखक अमिताभ घोष ने अपनी पुस्तक में किया है. नेचर पत्रिका ने अपनी विशेषांक में कुछ इसी तरह की बात कही है. इसमें कहा गया कि छठी बार दुनिया समाप्त होने के कगार पर है. मशहूर पुस्तक 21 लेशन ऑफ 21 सेंचुरी में ह्यूमन रेस (मानव जाति) समाप्त की बात कही गयी है. इनका कहना है कि दुनिया जो बन रही है, इसके पीछे तकनीकी है. इसमें कहा गया है कि नया ईश्वर सिलिकन वैली में तैयार हो रहा है.
तीन मुख्य समस्याओं ने सबको जोड़ दिया है : हरिवंश ने कहा कि इन्फोटेक और बायोटेक के मर्जर से खतरनाक दुनिया बन रही है. इससे भी खतरनाक बात है कि आज शोध और नयी तकनीक भी बड़ी पूंजी तय कर रहे हैं. इनके पास धैर्य नहीं है. ताकत भी बाजार और पूंजी तय कर रहा है. इसके हिसाब से बाजार तुरंत रिटर्न खोज रहा है. पुस्तक एंपायर ऑफ थिंग्स में यह बताया गया है कि बाजारवाद हमें कहां ले जा रहा है.
हम हजार चीजें खरीद रहे हैं तो दो-चार सौ ही उपयोग कर पा रहे हैं. 2019 के इकोनॉमिस्ट पत्रिका का वार्षिक अंक दुनिया का ट्रेंड बता रहा है. कहता है कि सबका भविष्य एक साथ जुड़ गया है. दुनिया एक साथ रहेगी या जायेगी. तीन मुख्य समस्याओं ने लोगों को जोड़ दिया है. यह न्यूक्लियर वार (परमाणु युद्ध), क्लाइमेट चेंज (पर्यावरण बदलाव) और आर्टिफिशियल इंटिलिजेंस (कृत्रिम बुद्धि) है.
गांधी को यहां के राजनीतिज्ञों ने ही आउटडेटेड मान लिया है : हरिवंश कहते हैं कि वर्तमान पश्चिमवादी परिस्थिति के खिलाफ विचार देने वाले अकेले गांधी ही थे. गांधी कहते हैं कि साधन और साध्य दोनों जरूरी हैं. वह कहते हैं कि अच्छी चीजों का रास्ता गलत नहीं हो सकता है. अमेरिका की बड़ी कंपनियों में एक एनरॉन, जिनकी संपत्ति भारत के कई राज्यों से अधिक थी, डूब गयी.