बच्चों के लिए कहानी लिखते समय किताब को पहले पन्ने से ही रुचिकर बनाना होता है : रस्किन बांड
टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का समापन रांची में टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का हुआ समापन रांची : टाटा लिटरेरी मीट के दूसरे व आखिरी दिन लोग रस्किन बांड की पीढ़ी दर पीढ़ी लेखनी की यात्रा को ‘ग्रोइंग अप विथ रस्किन’ सत्र में जाना. इस दौरान रस्किन बांड ने अपनी लेखनी के उतार-चढ़ाव के […]
टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का समापन
रांची में टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का हुआ समापन
रांची : टाटा लिटरेरी मीट के दूसरे व आखिरी दिन लोग रस्किन बांड की पीढ़ी दर पीढ़ी लेखनी की यात्रा को ‘ग्रोइंग अप विथ रस्किन’ सत्र में जाना. इस दौरान रस्किन बांड ने अपनी लेखनी के उतार-चढ़ाव के पल, लेखनी के लिए विषयों का चयन, राइटिंग के नेचर से साहित्यप्रेमियों को रूबरू कराया. अपने संबोधन में उन्होंने चुटीले अंदाज में यह बताया कि कैसे रस्किन के साथ बांड शब्द का संबंध जेम्स बांड के नाम से मिलने की वजह है, उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ा है.
इसके बाद अपनी लेखनी की यात्रा की कहानी को आज के लिटरेरी फेस्टिवल से जोड़ते हुए कहा कि इस तरह के लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन आम पाठकों से लेकर नये लेखकों तक के लिए फायदेमंद होता है. अब ऐसे फेस्टिवल्स की संख्या बढ़ने लगी है, जब मैंने लेखनी शुरू की थी, तब ऐसे फेस्टिवल्स नहीं हुआ करते थे. यह नया प्रयास है.
बच्चों की कहानियों में अपना बचपन देखता हूं : संबोधन सत्र के बाद उन्होंने बच्चों व दर्शकों के सवालों के जवाब भी दिये. उनसे पूछा गया कि आपने अपनी लेखनी के लिए बच्चों को ही क्यों चुना? जवाब में कहा कि ऐसा नहीं है. जब मैं 19 या 20 साल का था, तब भी सामान्य लेखन करता था. एक लंबा समय मैंने सामान्य लोगों के लिए दिया. 40 की उम्र में मैंने बच्चों के लिए लिखना प्रारंभ किया. आप ऐसा समझें कि बच्चों की कहानियों में मैं अपना बचपन देखता हूं.
बच्चों के लिए लिखना आसान नहीं होता
लेखन के दौरान क्या मुश्किलें आती हैं? इस सवाल के जवाब में कहा : जब अाप बड़ों के लिए लिखते हैं तो पढ़ने वाला आनंद के लिए पढ़ता है. यह आनंद उसे किताब के किसी भी पन्ने में मिल सकता है, लेकिन जब आप बच्चों के लिए लिखते हैं तो आपके लिए मुश्किल यह होती है कि किताब को पहले पन्ने से ही रुचिकर बनाना होता है, इसलिए कहा जाता है कि बच्चों के लिए लिखना आसान नहीं होता है. बच्चे आपकी किताब से सीखते हैं.
लिखने के लिए खास उम्र का होना जरूरी नहीं
उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर एक दर्शक के सवाल का जवाब देने के क्रम में कहा कि लिखने के लिए खास उम्र का होना जरूरी नहीं है. लेकिन जो बात सबसे महत्वपूर्ण है, वह है भाषा की इज्जत करना. आप जब चाहें, जैसे चाहें लिखें, पर ध्यान रखें कि आप जिस भी भाषा में लिख रहे हों, उसकी इज्जत करें. अपनी एक आदत का जिक्र में बताया कि मेरे पास एक डायरी होती है, जिसमें मैं सपने लिखा करता था. कई बार आपको इन सपनों से भी लिखने का विषय मिल जाता है.
नये लेखकों को राइटिंग टिप्स भी दिये
उन्होंने नये लेखकों को राइटिंग टिप्स देते हुए कहा कि आप ब्लॉग में लिख रहे हों या पेन-पेपर पर यह मायने नहीं रखता है. हमेशा नये शब्द इस्तेमाल करें. अच्छे सेंटेंस बनायें. उन्हाेंने कहा कि आप फिक्शन लिखना चाहते हैं तो आपके पास स्टोरी बताने की क्षमता होनी चाहिए. वहीं नॉन फिक्शन राइटिंग के लिए रिसर्च करने एबिलिटी हो. लिखने के दौरान हमेशा अपनी पसंद को फॉलो करें.सवाल कि क्या आप अपनी लेखनी में परफेक्ट हैं. तो इसका जवाब देते हुए कहा कि कोई भी लेखक परफेक्ट नहीं होता है. इसके लिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना होगा.