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रांची : अक्तूबर तक सिर्फ 39.69% राजस्व मिला, सरकार ने सभी स्रोतों से 80199.98 करोड़ का किया था अनुमान

राज्य सरकार ने आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर 5347.42 करोड़ रुपये खर्च किये अक्तूबर माह तक सभी स्रोतों से सिर्फ 31,832.38 करोड़ रुपये का राजस्व मिला रांची : राज्य सरकार को चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अक्तूबर माह तक सभी स्रोतों से सिर्फ 31,832.38 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. यह उसके वार्षिक लक्ष्य का […]

राज्य सरकार ने आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर 5347.42 करोड़ रुपये खर्च किये
अक्तूबर माह तक सभी स्रोतों से सिर्फ 31,832.38 करोड़ रुपये का राजस्व मिला
रांची : राज्य सरकार को चालू वित्तीय वर्ष के दौरान अक्तूबर माह तक सभी स्रोतों से सिर्फ 31,832.38 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है. यह उसके वार्षिक लक्ष्य का 39.69 प्रतिशत ही है. महालेखाकार(एजी) के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि तक सरकार ने आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर 5347.42 करोड़ रुपये खर्च किये हैं.
महालेखाकार के आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सभी स्रोतों से कुल 80199.98 करोड़ के राजस्व का अनुमान किया था. इसमें से अपने स्रोतों से टैक्स के रूप में 46249.99 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था.
इसके अलावा गैर कर के रूप में 9030 करोड़ और कर्ज के रूप में कुल 11069.99 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान था, पर इसके मुकाबले अक्तूबर तक 39.69 प्रतिशत राजस्व ही मिल सका है. जीएसटी से सरकार को वार्षिक लक्ष्य के मुकाबले 4446.52 करोड़ रुपये मिले हैं.
सरकार ने राजस्व कारणों से डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है. इस पर कर की वसूली वैट के तहत की जाती है. सरकार ने पेट्रोल- डीजल की बिक्री से 4900 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान किया है. हालांकि वैट के रूप में उसे 1781.33 करोड़ रुपये ही मिले हैं.
स्टांप और निबंधन से 700 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 288.44 करोड़ रुपये मिले हैं. शराब से सरकार को 1000 करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले 503.12 करोड़ रुपये मिले हैं. सरकार ने खुदरा शराब की बिक्री खुद ही करने की नीति लागू करने से पहले यह कहा था कि इससे सरकार को सालाना 1500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा, पर सरकार ने वसूली का लक्ष्य घटा कर 1000 करोड़ कर दिया.
शराब से मिलनेवाले राजस्व में हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार ने खुदरा शराब की बिक्री के लिए पुरानी नीति लागू करने का फैसला किया है. यहां यह बात उल्लेखनीय है कि राज्य के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव वित्त अमित खरे ने सरकार द्वारा खुदरा शराब की बिक्री करने के फैसला का विरोध किया था. उन्होंने इससे जुड़ी फाइल तीन बार लौटा दी थी. साथ ही उससे सरकार को राजस्व का नुकसान होने की बात कही थी, पर सरकार ने खुद ही खुदरा शराब की बिक्री का फैसला किया और नुकसान उठाया.
सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के दौरान केंद्रीय करों में 27004 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान किया था. हालांकि इसके मुकाबले अक्तूबर तक सिर्फ11837.98 करोड़ रुपये मिले हैं. इसी तरह केंद्रीय अनुदान के मद में 13850 करोड़ रुपये के अनुमान के मुकाबले 5673.05 करोड़ रुपये ही मिले हैं.
राजस्व का ब्योरा (करोड़ में)

मद लक्ष्य मिला उपलब्धि
जीएसटी 10600.00 4446.52 41.95%
स्टांप व निबंधन 700.00 288.44 41.21%
वैट 4900.00 1781.33 36.35%
उत्पाद 1000.00 503.12 50.31%
अन्य कर 1645.90 612.32 37.2%
केंद्रीय करों में हिस्सा 27004.00 11837.98 43.84%
गैर कर राजस्व 9030.00 4067.73 45.05%
केंद्रीय अनुदान 13850.00 5673.05 40.96%
कर्ज की वसूली 69.99 28.02 40.03%
बाजार से कर्ज 11000.00 2464.05 22.40%
सरकार के पास रुपयों की कमी नहीं : सुखदेव सिंह
रांची : वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि राज्य सरकार को रुपयों की कोई कमी नहीं है. सरकार का खजाना खाली होने की बात केवल कोरी अफवाह है. कर्मचारियों के वेतन मद की राशि आवंटित की जा चुकी है. सॉफ्टवेयर में खराबी की वजह से पिछले सप्ताह एक-दो दिन दिक्कत हुई थी. बीते शुक्रवार की शाम ही उस परेशानी को दूर कर लिया गया था. वित्त विभाग राज्य के सभी कोषागारों से संपर्क में है. सभी कोषागारों से राशि की निकासी व्यवस्थित तरीके से की जा रही है. किसी भी कोषागार में अब निकासी से संबंधित किसी तरह की शिकायत की सूचना नहीं है. बिल प्रस्तुत किये जाने पर कोषागारों से राशि आवंटित की जा रही है.
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार का राजस्व गिरने और जीएसटी को लेकर मीडिया में आ रही खबरों में कोई सच्चाई नहीं है. आंकड़ों से साफ है कि सरकार का राजस्व गत वर्ष की तुलना में बेहतर स्थिति में है. हर महीने जीएसटी में राज्य सरकार का हिस्सा केंद्र से मिल रहा है. एक रुपये में जमीन की रजिस्ट्री होने और शराब से मिलने वाले राजस्व में कमी का खास असर सरकार के खजाने पर नहीं पड़ा है. कर्मचारियों को वेतन निर्गत करने में किसी तरह की परेशानी नहीं है.
रांची ट्रेजरी से कई विभागों का वेतन जारी
रांची. रांची ट्रेजरी से कई विभागों का वेतन सोमवार को जारी हो गया. देर शाम तक विभागों के वेतन मद की राशि की निकासी होती रही. ये विपत्र कई दिनों से ट्रेजरी में पड़े हुए थे. इनमें से अधिकतर बिल सोमवार को क्लियर हो गया. वेतन की राशि मिलते ही सरकारी सेवकों ने राहत की सांस ली. ट्रेजरी में बताया गया कि भुगतान को लेकर जो तकनीकी समस्याएं थीं, उसे दूर कर लिया गया है, इसलिए अब राशि भुगतान में किसी तरह का संकट नहीं है.
फंसा हुआ था वेतन
रांची कोषागार में स्वास्थ्य विभाग, कृषि विभाग सहित अन्य विभागों के वेतन मद के विपत्र पड़े हुए थे. कृषि विभाग का बिल तो चार दिसंबर से ही पड़ा हुआ था. बिल की निकासी नहीं होने से कर्मचारी परेशान थे. वे बार-बार ट्रेजरी दौड़ रहे थे. यहां से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने से वे परेशान थे. कहीं तकनीकी समस्या, तो कहीं फंड नहीं होने की बात कही जा रही थी. इससे कर्मियों में असमंजस की स्थिति बनी हुई थी.
अानन-फानन में हुआ भुगतान
सोमवार को आनन-फानन में सारे विपत्र क्लियर किये गये. प्रभात खबर में वेतन फंसे होने से संबंधित खबर सोमवार को प्रमुखता से प्रकाशित की गयी थी. इधर, सोमवार को दफ्तर खुलते ही इस दिशा में कार्रवाई शुरू हो गयी और राशि रिलीज होने लगी.
रांची : 600 करोड़ आवंटित, पर नहीं हो रही निकासी
रांची : पथ निर्माण विभाग के ठेकेदारों का पैसा अब भी फंसा हुआ है. विभाग ने अलग-अलग प्रमंडलों को करीब 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया है, लेकिन यह राशि ट्रेजरी से नहीं निकल रही है. ऐसे में ठेकेदार राशि के लिए दौड़ लगा रहे हैं. वे काम करके बैठे हुए हैं.
पैसे के अभाव में काम भी धीमा हो गया है. इंजीनियरों व ठेकेदारों का कहना है कि करीब 50 फीसदी काम बंद होने की स्थिति में है. एक सप्ताह में काम बंद भी हो जायेगा. वहीं सोमवार को विभाग ने 50 करोड़ रुपये एडीबी (एशियन डेवलपमेंट बैंक) के लिए आवंटित किया. एडीबी द्वारा राज्य में जहां भी सड़क-पुल की योजानाएं क्रियान्वित की जा रही है, वहां यह राशि खर्च की जायेगी.

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