रांची : झाविमो दल-बदल मामले में पूरी हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित
रांची : झाविमो छोड़ कर भाजपा में जानेवाले छह विधायकों के दल-बदल मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गयी है. स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. 10वीं अनुसूची के तहत दल-बदल मामले की सुनवाई तीन वर्ष 10 महीने से चल रही थी. वर्ष 2015 के मार्च से शुरू हुई […]
रांची : झाविमो छोड़ कर भाजपा में जानेवाले छह विधायकों के दल-बदल मामले की सुनवाई बुधवार को पूरी हो गयी है. स्पीकर दिनेश उरांव के न्यायाधिकरण ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. 10वीं अनुसूची के तहत दल-बदल मामले की सुनवाई तीन वर्ष 10 महीने से चल रही थी.
वर्ष 2015 के मार्च से शुरू हुई सुनवाई में 97 अलग-अलग तिथियों में स्पीकर ने वादी (बाबूलाल मरांडी व प्रदीप यादव) और प्रतिवादी (छह आरोपी विधायक) के पक्ष सुने़ इस मामले में वादी-प्रतिवादी की ओर से 86 गवाहों की सूची दी, जिसमें 70 से ज्यादा गवाह उपस्थित हुए़
सुनवाई पूरी करते हुए स्पीकर श्री उरांव ने वादी-प्रतिवादी के अधिवक्ताओं को सहयोग के लिए आभार जताया़ उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया में सभी का सहयोग मिला और बहस हुई़
उन्होंने सुनवाई को स्थगित करते हुए आगे की सूचना उपलब्ध कराने की बात कही़ इधर सुनवाई के आखिरी दिन वादी पक्ष के अधिवक्ता आरएन सहाय ने प्रतिवादी के बहस का जवाब दिया़
वादी पक्ष के अधिवक्ता आरएन सहाय की दलील
वादी पक्ष के अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि प्रतिवादी पक्ष का कहना है कि विधायक झाविमो छोड़कर नहीं गये हैं, बल्कि पूरी पार्टी का विलय हो गया है़
अधिवक्ता ने कहा : विलय की बात कर रहे हैं, लेकिन इससे संबंधित तथ्य नहीं दिये गये़ ऐसा कोई प्रमाण नहीं दिया, जिससे साबित हो कि विलय हुआ हो़ दलादली मेें जिस बैठक का हवाला दिया जा रहा है, वह सामान्य बैठक थी़ कार्यसमिति की बैठक अध्यक्ष बुलाता है़ विधायक जानकी यादव ने बैठक बुलायी थी और पत्र में कार्यसमिति की बैठक का जिक्र नहीं है़ इस बैठक मेें कोई जिलाध्यक्ष भी नहीं आया था़ बाद में दलबदल करनेवाले विधायकों को लाभ लेने के लिए गलत पत्र तैयार किया़ अधिवक्ता का कहना था कि विधायक के जाने से विलय नहीं हो सकता है़ पूरी पार्टी का विलय होता है़ अधिवक्ता ने अपनी बातों को रखने के लिए न्यायालय के आदेश और 10वीं अनुसूची का हवाला दिया़ वादी पक्ष के बहस के बाद पूरी सुनवाई प्रक्रिया स्थगित की गयी़
फैक्ट फाइल
9 फरवरी 2015- झाविमो के बागी विधायकों ने स्पीकर को पत्र लिख कर अलग बैठने की मांग की
10 फरवरी 2015- झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने पत्र लिख कर चार विधायकों के दलबदल करने के मामले में कार्रवाई की मांग की
11 फरवरी 2015- दूसरे दिन झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने दो और विधायकों पर दल बदल के तहत कार्रवाई की मांग की़
12 फरवरी 2015 – स्पीकर ने झाविमो नेताओं को पक्ष रखने के लिए बुलाया़
25 मार्च 2015 – याचिक को सुनवाई योग्य मानने को लेकर बहस शुरू हुई़
12 दिसंबर 2018- दल बदल पर स्पीकर के न्यायाधिकरण में आखिरी सुनवाई हुई़