आगमन का पुण्यकाल-13
फादर अशोक कुजूर एक स्कूल में कविता पाठ प्रतियोगिता हुई़ सुरभि नाम की एक आठ वर्षीय छात्रा को इसमें प्रथम पुरस्कार मिला़ पुरस्कार के तौर पर उसे एक छोटा शील्ड, एक मेडल और फूलों का एक गुलदस्ता दिया गया़ बच्ची मारे खुशी के उछलती-कूदती अपने घर पहुंची और अपनी मां को सारा कुछ दिखाया़ मां […]
फादर अशोक कुजूर
एक स्कूल में कविता पाठ प्रतियोगिता हुई़ सुरभि नाम की एक आठ वर्षीय छात्रा को इसमें प्रथम पुरस्कार मिला़ पुरस्कार के तौर पर उसे एक छोटा शील्ड, एक मेडल और फूलों का एक गुलदस्ता दिया गया़
बच्ची मारे खुशी के उछलती-कूदती अपने घर पहुंची और अपनी मां को सारा कुछ दिखाया़ मां ने गुलदस्ते में से फूलों को अलग किया और एक फूलदानी में थोड़ा पानी डाल कर फूलदानी को बेटी के कमरे में शील्ड और मेडल के साथ रख दिया़ फूल बहुत सुंदर थे़ ताजे भी थे़ बच्ची कभी शील्ड को तो कभी मेडल को तो कभी सुंदर फूलों को छूती और खुश हो जाती थी़
तीन-चार दिनों तक तो फूल तरोताजा रहे, फिर मुरझाने लगे़ एक सप्ताह होते-होते फूल सूख गये. बच्ची को बहुत दुख हुआ़ उसने सूखे फूलों को मां को दिखाते हुए पूछा-इसे पानी तो दिया था, फिर ये क्यों सूख गये? मां ने उसे बताया कि फूल सूख गये, क्योंकि इनमें जड़ नहीं थी़ उन्होंने कहा कि फूल चाहे कितने भी सुंदर क्यों न हों, बिना जड़ के ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह सकते़ फूल का पौधा जड़ के सहारे मिट्टी से गहराई तक जुड़ा है, तो यदि एक फूल मुरझा भी जायेगा, तो उसकी जगह दूसरे फूल आ जायेंगे, लेकिन बिना जड़ का फूल कुछ दिनों का ही मेहमान है़
यह सबक हमारी जिंदगी के लिए कितनी सटीक है़ हम बाहरी तौर पर चाहे कितने भी स्मार्ट या सफल इनसान क्यों न हों, अगर हमारी जड़ें किसी जमीन में गहराई तक नहीं गयी हैं, तो हमारा हश्र भी उन फूलों की तरह ही होगा़
हम फूल हैं और यीशु मसीह मिट्टी हैं. यदि हमारे जीवन की जड़ें यीशु के साथ गहराई तक नहीं जुड़ी हैं, तो हम सूख जायेंगे, मुरझा जायेंगे़ इस आगमन काल में हम चिंतन करें कि हम ख्रीस्त के साथ कितनी मजबूती के साथ जुड़े हैं. यीशु ने कहा है- मुझसे जुड़े बिना तुम फल उत्पन्न नहीं कर सकते़
लेखक डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक हैं.