शकील अख्तर, रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने प्रथम सिविल सेवा परीक्षा में सफल उम्मीदवारों की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन से इनकार कर दिया है. साथ ही पुनर्मूल्यांकन का काम सीबीआइ को अपने स्तर से कराने का अनुरोध किया है.
आयोग के इनकार के बाद सीबीआइ इस पुनर्मूल्यांकन के मुद्दे पर उलझन में है. क्योंकि उनके कहने पर कोई विशेष पुनर्मूल्यांकन के लिए तैयार नहीं है.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017 में अपने आदेश में संशोधन करते हुए जांच जारी रखने का फैसला करने के बाद सीबीआइ ने जेपीएससी को पत्र लिखा था. इसमें जेपीएससी से यह अनुरोध किया गया था कि वह सफल घोषित उम्मीदवारों की कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन कराने के लिए वैसे विशेषज्ञों की टीम बनाये.
इसमें उन विशेषज्ञों की शामिल नहीं करे, जिन्होंने पहले इन कॉपियों का मूल्यांकन किया हो. सीबीआइ के इस पत्र के जवाब में जेपीएससी ने पुनर्मूल्यांकन कराने से इनकार करते हुए जांच एजेंसी को अपना जवाब दिया है.
साथ ही एेसा करने के पीछे कानूनी बिंदुओं का हवाला दिया है. आयोग की ओर से सीबीआइ को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि अगर वह सफल उम्मीदवारों की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराना जरूरी समझती है, तो अपने ही स्तर से इसकी व्यवस्था करे. आयोग कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन नहीं करा सकती है.
क्योंकि आयोग के लिए बनाये गये नियम में पुनर्मूल्यांकन का कोई प्रावधान नहीं है. साथ ही इस मुद्दे पर हाइकोर्ट पहले ही सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश के उस आदेश को गलत करार दे चुका है जिसमें उन्होंने जेपीएससी को पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया था.
हाइकोर्ट ने सीबीआइ को पुनर्मूल्यांकन की छूट दी थी
सीबीआइ ने जेपीएससी नियुक्ति घोटाले में साजिश का पर्दाफाश करने के उद्देश्य से सफल उम्मीदवारों के कॉपियों के पुनर्मूल्यांकन का फैसला किया था. साथ ही सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में आवेदन देकर यह अनुरोध किया था कि अदालत आयोग के पुनर्मूल्यांकन कराने का आदेश दे.
सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ने 23 अप्रैल 2013 को पुनर्मूल्यांकन का आदेश दिया. इस आदेश के आलोक में जेपीएससी ने विशेषज्ञों की टीम बना कर तीन विषय की कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन कराया. इसमें यह पाया गया कि रसूखदार लोगों के रिश्तेदारों को जबरन ज्यादा नंबर देकर लिखित परीक्षा में सफल कराया गया था. इस बात का खुलासा होने के बाद आयोग की ओर से हाइकोर्ट में रिट याचिका सीआर.एमपी.46/2014) दायर की गयी.
न्यायमूर्ति आरआर प्रसाद ने सात मार्च 2014 को फैसला सुनाया. इसमें कहा गया कि सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश द्वारा जेपीएससी को पुनर्मूल्यांकन के लिए दिये गये आदेश को गलत करार देते हुए उसे रद्द कर दिया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि सीबीआइ को यह अधिकार है कि वह किसी नतीजे तक पहुंचने के लिए चाहे तो कॉपियों का पुनर्मूल्यांकन करा सकती है.