एस्सेल इंफ्रा ने स्वर्ग बनाने का किया था दावा, पर 26 महीने में नर्क बन गयी राजधानी रांची
उत्तम महतो मंत्री से मेयर तक की चेतावनी बेकार, कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे एक्सटेंशन मिलता गया राजधानी रांची के 53 वार्डों में सफाई व्यवस्था बनाये रखने के लिए दो संस्थाएं लगी हुई हैं. पहला रांची नगर निगम और दूसरा रांची एमएसडब्ल्यू (रांची नगर निगम और एस्सेल इंफ्रा का ज्वाइंट वेंचर). मौजूदा समय में रांची नगर […]
उत्तम महतो
मंत्री से मेयर तक की चेतावनी बेकार, कार्रवाई नहीं हुई, उल्टे एक्सटेंशन मिलता गया
राजधानी रांची के 53 वार्डों में सफाई व्यवस्था बनाये रखने के लिए दो संस्थाएं लगी हुई हैं. पहला रांची नगर निगम और दूसरा रांची एमएसडब्ल्यू (रांची नगर निगम और एस्सेल इंफ्रा का ज्वाइंट वेंचर). मौजूदा समय में रांची नगर निगम के जिम्मे 20 वार्ड हैं, जिनकी सफाई उसी पुराने ढर्रे पर हो रही है.
लेकिन, जिन 33 वार्डों की सफाई का जिम्मा एस्सेल इंफ्रा के पास है, उनकी हालत भी बेहतर नहीं कही जा सकती है. मुख्य सड़कों को छोड़ दें, तो गली मोहल्लों की सफाई और डोर-टू-डोर कचरे का उठाव भी बेहतर तरीके से नहीं हो रहा है. वहीं, इसके सफाई कर्मचारी और कचरा ढोनेवाले वाहनों के चालक वेतन व पीएफ के मुद्दे पर 14 बार से ज्यादा हड़ताल कर चुके हैं. यह हाल तब है, जब हर महीने एस्सेल इंफ्रा को सफाई के एवज में 80 से 85 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है. मजे की बात यह है कि मंत्री से लेकर संतरी तक इस कंपनी को व्यवस्था दुरुस्त नहीं करने पर ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दे चुके हैं. हालांकि, ये चेतवनियां अब तक खोखली साबित हुई हैं. उल्टे कंपनी को अब तक कई बार एक्सटेंशन दिया जा चुका है.
रांची : रांची नगर निगम ने दो अक्तूबर 2016 को राजधानी की सफाई व्यवस्था एस्सेल इंफ्रा के हाथों में सौंपी थी. कंपनी ने रांची नगर निगम के साथ ज्वाइंट वेंचर (रांची एमएसडब्ल्यू) बनाकर काम शुरू किया. शुरुआत में कंपनी ने पांच वार्डों की सफाई का काम शुरू किया. उस वक्त कंपनी और रांची नगर निगम की ओर से बड़े-बड़े दावे किये गये.
कहा गया कि राजधानी के सफाई व्यवस्था को मॉडल बनाया जायेगा. कंपनी एक साल के अंदर
ही चरणबद्ध तरीके से शहर के सभी 53 वार्डों में सफाई का काम शुरू कर देगी. इसके बाद कंपनी के वाहन घर-घर जाकर कचरा उठायेंगे. इन वाहनों की ट्रैकिंग जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) के जरिये की जायेगी. लोगों की सहूलियत के लिए मोबाइल एेप तैयार किया जायेगा.
साथ ही कचरे से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए टोल फ्री नंबर जारी किये जायेंगे. कुल मिलाकर राजधानीवासियों को ऐसा सपना दिखाया गया, मानो साल भर के अंदर ही राजधानी की गलियां और सड़कें जन्नत बन जायेंगी. लेकिन मौजूदा हालत यह है कि अब तक एस्सेल इंफ्रा शहर के 33 वार्डों की सफाई का काम कर रही है. ये और बात है कि सफाई के मामले में इन वार्डों की हालत अब तक नहीं सुधरी है. वहीं, शेष 20 में कंपनी कब से सफाई कार्य शुरू करेगी, इस बारे में न तो नगर निगम अधिकारी कुछ कह रहे हैं और न ही कंपनी के अधिकारी.
कंपनी के टर्मिनेशन का प्रस्ताव पारित कर सरकार को भेज चुका है रांची नगर निगम
एस्सेल इंफ्रा को शहर की सफाई व्यवस्था की कमान संभाले 26 महीने बीत चुके हैं. इस दौरान कई बार नगर विकास मंत्री सीपी सिंह, नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह, मेयर आशा लकड़ा, डिप्टी मेयर संजीव विजय वर्गीय, तत्कालीन दो नगर आयुक्त प्रशांत कुमार व शांतनु अग्रहरि और मौजूदा नगर आयुक्त मनोज कुमार तक चेतावनी दे चुके हैं कि कंपनी ने अगर अपनी व्यवस्था दुरुस्त नहीं की, तो उसे ब्लैक लिस्ट कर चलता कर दिया जायेगा.
बीते अक्तूबर में हुई नगर निगम बोर्ड की बैठक में तो कंपनी को टर्मिनेट करने के प्रस्ताव को स्वीकृति देकर सरकार के पास भी भेज दिया गया है. लेकिन, अब तक कंपनी इस शहर में बनी हुई है और उसी ढर्रे पर काम कर रही है, जैसा करती आयी है.
दो अक्तूबर 2016 : जब कंपनी ने राजधानी की सफाई व्यवस्था की कमान संभाली, तब नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहा : कंपनी शहर के लोगों का विश्वास जीते. राजधानी को मॉडल सिटी बनाये. एक साल के अंदर 53 वार्डों में सफाई व्यवस्था को बहाल करे.
11 अक्तूबर 2018 : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कंपनी के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कहा था : हम कंपनी को अंतिम चेतावनी दे रहे हैं. 15 नवंबर तक अगर राजधानी की सफाई व्यवस्था नहीं सुधरी, तो हम कंपनी को यहां से चलता कर देंगे.
सात सितंबर 2018 : नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने कहा था कि एस्सेल इंफ्रा दुर्गा पूजा से पहले राजधानी की सफाई व्यवस्था दुरुस्त करे. साथ ही झिरि में लगाये जानेवाले वेस्ट को एनर्जी प्लांट की विस्तृत रिपोर्ट रांची नगर निगम में जमा करे.
28 सितंबर 2018 : नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने एक बार फिर एस्सेल इंफ्रा के अधिकारियों को चेतावनी दी कि कंपनी अपनी कार्यशैली में बदलाव लाये. इस दौरान मंत्री ने उप नगर आयुक्त को अपनी गाड़ी में बैठाकर शहर में फैले कचरे का ढेर भी दिखाया.
29 सितंबर 2018 : उप नगर आयुक्त संजय कुमार ने भी एस्सेल इंफ्रा के अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि सात अक्तूबर तक शहर की सफाई व्यवस्था को पटरी पर लायें, अन्यथा नगर निगम कंपनी पर कार्रवाई करेगा.
29 सितंबर 2018 : नगर आयुक्त मनोज कुमार ने कंपनी के अधिकारियों को चेतावनी दी कि 10 दिनों के अंदर शहर की सफाई व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए. इसके लिए उन्होंने कंपनी को ठोस
प्लान बताने का निर्देश दिया था.
नौ अक्तूबर 2018 : राजधानी की मेयर आशा लकड़ा ने एस्सेल इंफ्रा के अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि कंपनी के कार्य से शहर के किसी क्षेत्र की जनता संतुष्ट नहीं. कंपनी अपनी कार्यशैली में सुधार करे अन्यथा उस पर कठोर कार्रवाई की जायेगी.
नौ अक्तूबर 2018 : डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा था कि कंपनी को जिस उद्देश्य से शहर की सफाई व्यवस्था सौंपी गयी थी, उसमें वह पूरी तरह से फेल है. कंपनी को अब स्वेच्छा से शहर छोड़कर चले जाना चाहिए.
रांची : 15वीं बार हड़ताल पर गये रांची एमएसडब्ल्यू के सफाई कर्मचारी
रांची : रांची एमएसडब्ल्यू द्वारा संचालित नागाबाबा खटाल और हरमू मिनी कचरा ट्रांसफर स्टेशन के सफाईकर्मियों ने रविवार को बकाया वेतन की मांग को लेकर हड़ताल कर दी. इससे शहर के कई हिस्सों में कचरे का उठाव नहीं हो सका. इधर, हड़ताल की सूचना पाकर अपर नगर आयुक्त गिरिजा शंकर प्रसाद ने स्वास्थ्य शाखा के पदाधिकारियों और जोनल सुपरवाइजरों की आपात बैठक बुलायी. इस बैठक में श्री प्रसाद ने कहा कि सफाईकर्मियों की हड़ताल की वजह से संबंधित इलाकों में कचरे के ढेर लग गये हैं. स्थिति खराब हो रही है. ऐसे में हरमू और नागाबाबा एमटीएस से जुड़े वार्डों में निगम को सफाई व्यवस्था संभालनी होगी.
उन्होंने जोनल सुपरवाइजरों को आपस में समन्वय बनाकर पर्याप्त सफाईकर्मियों को व्यवस्था में लगाने और जरूरत के अनुसार कचरा वाहन को लगाने का आदेश दिया. श्री प्रसाद ने कहा कि सोमवार से निगम कर्मचारी मुख्य सड़कों के अलावा गली-मोहल्ले में भी डोर-टू-डोर कचरे का कलेक्शन करायें. साथ ही जिन जगहों पर कचरे के ढेर लगे हुआ हैं, उन्हें जल्द से जल्द उठाया जाये. अपर नगर आयुक्त ने परिवहन शाखा को सफाई से जुड़े सभी संसाधन जोनल सुपरवाइजर को उपलब्ध कराने का आदेश दिया.
इन क्षेत्रों से नहीं हुआ कूड़े का उठाव
अपर बाजार, हरमू रोड, किशोरगंज, मधुकम, हरमू हाउसिंग कॉलोनी, अरगोड़ा, रातू रोड सहित उसके आसपास के इलाके में कचरे का उठाव नहीं हुआ. ऐसे में इन क्षेत्रों में बसे लोगों ने डस्टबिन में जमा कचरे को नालियों में और खुली जगहों पर फेंक दिया.