रांची : जयपाल सिंह मुंडा के संत पॉल्स स्कूल रांची से इंग्लैंड जाने के सौ वर्ष पूरे हुए

संत पॉल्स स्कूल में दो दिवसीय मरांग गोमके जतरा का हुआ शुभारंभ रांची : मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के संत पॉल्स स्कूल रांची से इंग्लैंड जाने के सौ वर्ष पूरे हो गये हैं. आज से 90 वर्ष पहले जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में भारत ने एम्सटर्डम अोलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक जीता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 19, 2018 8:58 AM
संत पॉल्स स्कूल में दो दिवसीय मरांग गोमके जतरा का हुआ शुभारंभ
रांची : मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के संत पॉल्स स्कूल रांची से इंग्लैंड जाने के सौ वर्ष पूरे हो गये हैं. आज से 90 वर्ष पहले जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में भारत ने एम्सटर्डम अोलंपिक में हॉकी का स्वर्ण पदक जीता था.
इन दोनों ऐतिहासिक घटनाअों के परिप्रेक्ष्य में मंगलवार को मरांग गोमके जतरा का शुभारंभ संत पॉल्स स्कूल में हुआ. जतरा के पहले दिन पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी व अर्जुन मुंडा, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, विधायक अरुप चटर्जी, बिशप बीबी बास्के सहित अन्य लोगों ने जयपाल सिंह मुंडा अौर उनके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला.
जयपाल सिंह मुंडा को अभी ठीक से जानना बाकी : अर्जुन मुंडा ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे. वे ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में ऐसे हस्ताक्षर हैं, जिन्हें अभी भी ठीक से नहीं जाना गया है.
बाबा साहेब डॉ भीमराव अांबेडकर अौर जयपाल सिंह मुंडा जैसे लोग की वजह से संविधान में पांचवीं अौर छठी अनुसूची जैसी व्यवस्थाअों का प्रावधान हुआ. अांबेडकर को संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष के रूप में जो सम्मान मिला उसी सम्मान के हकदार जयपाल सिंह मुंडा भी हैं. उन्हें वही सम्मान अौर पहचान मिलनी चाहिए. बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासियों को अगर अवसर मिले, तो वो क्या कर सकते हैं इसे जयपाल सिंह मुंडा ने कर दिखाया है.
टकरा जैसे छोटे से गांव से निकलकर इंग्लैंड तक पहुंचना, उस समय की सर्वोच्च सिविल सर्विस की परीक्षा पास करना, हॉकी में देश का प्रतिनिधित्व करना अौर गोल्ड मेडल दिलाना यह जयपाल सिंह मुंडा ही कर सकते थे. दशकों पूर्व यहां के संगठनों को जोड़ कर उन्होंने अलग झारखंड राज्य की बुनियाद रखी. लेकिन यह विडंबना है कि अभी भी लोग उन्हें ठीक से नहीं जानते हैं.
जतरा के माध्यम से नयी पीढ़ी जयपाल सिंह मुंडा को जान पायेगी : सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा ने अपनी धरती, अपने समाज से जुड़ने का सबक सिखाया. देश की आजादी से पहले उन्होंने आदिवासी (झारखंड) राज्य की कल्पना की थी. जो प्री इंडिपेंडेंट मूवमेंट चला उसके अगुवा जयपाल सिंह मुंडा ही थे. झारखंड की मूल पहचान अौर आदिवासियत के लिए जयपाल सिंह मुंडा ने संघर्ष किया, आज वह पहचान विलुप्त होती जा रही है. आज आदिवासी को विकास के लिए बाधा समझा जा रहा है. यह साजिश नहीं तो क्या है. बिशप बीबी बास्के ने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा प्रेरणा के स्रोत हैं. जतरा के माध्यम से नयी पीढ़ी जयपाल सिंह मुंडा को जान पायेगी. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अौर विधायक अरुप चटर्जी ने भी ने भी जयपाल सिंह मुंडा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला. इससे पूर्व आयोजन समिति के चेयरमैन रेव्ह टीएससी हंस ने आयोजन के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी.
जयपाल सिंह मुंडा पर लिखी गयी पुस्तक का हुआ विमोचन
मौके पर पत्रकार संतोष किड़ो की पुस्तक का विमोचन हुआ. पुस्तक जयपाल सिंह मुंडा पर लिखे गये आलेखों का संकलन है. सामाजिक कार्यकर्ता वासवी किड़ो की जयपाल सिंह मुंडा पर लघु पुस्तिका का भी विमोचन हुआ. यह पुस्तक बच्चों के लिए लिखी गयी है. मौके पर पद्मश्री मुकुंद नायक ने नागपुरी गीतों की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम में आयोजन से जुड़े डॉ आशीष, सुशांतो मुखर्जी, प्रभाकर नाग, राजकुमार नागवंशी सहित अन्य लोग मौजूद थे. बुधवार को कार्यक्रम में झारखंड के हॉकी खिलाड़ियों को सम्मानित किया जायेगा.
कमलनाथ केवल मध्यप्रदेश नहीं पूरे देश की समानता की बात करें
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ विवादों में घिर गये हैं. उन्होंने सूबे में स्थानीय लोगों को नौकरी नहीं मिलने के लिए बाहरी लोगों को जिम्मेदार ठहराया है.
इस दौरान उन्होंने खासतौर पर बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश का जिक्र किया. कमलनाथ ने कहा है कि दूसरे राज्यों के लोग यहां आते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को जॉब नहीं मिल पाता है. उन्होंने कहा कि हमारी छूट देनेवाली नीति उन उद्योगों के लिए होगी, जहां 70 फीसदी रोजगार मध्य प्रदेश के युवाओं को दिया जायेगा. कमलनाथ के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है. प्रभात खबर ने इस मुद्दे पर लोगों की राय जानने का प्रयास किया है.
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री का बयान ऐसा कतई नहीं होना चाहिए़ हम भारतीय हैं, तो हर क्षेत्र में हर एक नागरिक को बराबर का अधिकार मिलना चाहिए. यदि राज्यवार विभाजन होगा, तो देश ही अलग हो जायेगा़ मेरे पति सेना में हैं, जो पूरे देश के लिए बॉर्डर पर खड़े रहते हैं. अगर मुख्यमंत्री जी ऐसा कहते हैं, तो क्या वो अकेले अपना राज्य चला लेंगे़
नम्रता मिश्रा, अरगोड़ा
हमारे देश में समानता का अधिकार हर एक नागरिक को प्राप्त है़ हमारी अनेकता में ही एकता है़ हम अलग-अलग राज्य के होकर भी एक हैं. फिर ऐसे बयान एक मुख्यमंत्री के मुंह से उचित नहीं लगता़ यदि देश के नेता ही ऐसी बात करेंगे, तो जनता कैसे इन पर अपना भरोसा करेगी़ मुख्यमंत्री को केवल अपने राज्य का ही नहीं, पूरे देश की समानता की बात करनी चाहिए़
वंदना लाल, रातू
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों के कारण वहां बेरोजगारी है, तो उन्हें यह भी पता होना चाहिए कि उनके राज्य के लोग भी इन राज्यों में कार्यरत होंगे़ तो क्या इन राज्यों में काम करनेवाले लोगों को वापस मध्यप्रदेश भेजा जायेगा़ यदि वह ऐसा कह रहे हैं, तो उनके राज्य के लोगों को भी यूपी-बिहार में जगह नहीं मिलेगी़
अर्चना सिंह, रातू रोड
मुख्यमंत्री कमलनाथ यह भूल रहे हैं कि वह जिस पद पर बैठे हैं उसकी गरिमा है़ इसलिए बयान देने के बजाय अपनी शिक्षा पद्धति में सुधार करें, ताकि वहां के विद्यार्थी भी सभी जगहों पर परीक्षा में अव्वल रह कर नौकरी पा सकें. उचित शिक्षा सारे संकीर्ण बंधनों को तोड़ देती है. और फिर कोइ व्यक्ति किसी भी राज्य में जाकर नौकरी कर सकता है़
कैलाश कुमार, बहूबाजार
एक मुख्यमंत्री का रोजगार के नाम पर बयान नागरिकों को दुख देनेवाला बयान है़ ऐसे में तो मुख्यमंत्री देश को बांटने का काम कर रहे हैं. उन्हें पहले मध्यप्रदेश के युवाओं के रोजगार के बारे में सोचना चाहिए, न कि पहले दिन से ही यूपी आैर बिहार के नाम पर देश में राजनीति करनी चाहिए़ उनके बयान से साफ झलकता है कि वो देश के लिए क्या सोचते हैं.
ज्योति साव
मुख्यमंत्री ऐसा बयान दे रहे हैं, तो वह फौजियों को लेकर क्या कहेंगे. मेरे पति सेना में हैं. फौजी जम्मू-कश्मीर के बॉर्डर पर जंग लड़ रहे हैं. फौजी अपने लिए नहीं, पूरे देश के लिए लड़ते हैं. उन्हें फौजियों से सीख लेनी चाहिए़ उनका काम पूरे देश के लिए होना चाहिए, न कि केवल अपने राज्य के लिए़ हर भारतीय को देश के किसी भी कोने में रहने और काम करने का अधिकार है़
रचना डान
कमलनाथ भूल रहे हैं कि देश के विकास में बिहार का क्या योगदान है़ उनका बयान देश को तोड़नेवाला बयान है. यह सिर्फ कमलनाथ का नहीं, बल्कि कांग्रेस का बयान लगता है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 16 में स्पष्ट है कि राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों पर सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी.
अधिवक्ता सुधीर श्रीवास्तव
इतिहास गवाह है कि जिसने भी बाहरी-भीतरी का राग अलापाहै, उसे जनता ने सबक सिखाया है. कमलनाथ जी का यह रवैया देश के लिए घातक है. इस तरह के बयान से देश अौर समाज के टुकड़े ही होंगे. किसी राज्य के मुख्यमंत्री को इस तरह के बयान से बचना चाहिए.
संजीव कुमार सिंह
कमलनाथ का बयान गैरजिम्मेदाराना अौर असंवैधानिक है. वे लोगों को लड़वाना चाहते हैं. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को इस तरह के बयान से बचना चाहिए था. उन पर तो मामला दर्ज होना चाहिए, क्योंकि देश के हर नागरिक को अधिकार है कि वह कहीं भी जाकर नौकरी कर सके.
अधिवक्ता प्रभात कुमार सिन्हा
यह सही है कि स्थानीय लोगों को नौकरी मिलना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी दूसरे राज्य के लोगों को नौकरी पर पाबंदी लगायी जाये. भारत का संविधान हर किसी के लिए समान अवसर प्रदान करता है. ऐसे बयान से देश टुकड़ों में बंट जायेगा.
अधिवक्ता दीपक केरकेट्टा
इस देश में रहनेवाला हर शख्स भारत का नागरिक है, इसलिए नौकरी किसी भी राज्य में की जा सकती है. अगर मध्य प्रदेश में अन्य राज्यों के लाेगों काे नौकरी से रोका जायेगा, तो हमारे राज्य की सरकार को भी वहां के राज्य के लोगों को नौकरी से वंचित कर देना चाहिए.
आेम वर्मा
मध्यप्रदेश के नवनियुक्त मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए कि हर राज्य के लोगों का सम्मान करें. नौकरी तो योग्यता के आधार पर मिलती है. जिसमें योग्यता होगी, वह कहीं भी नाैकरी ले लेगा. हमारी सरकार को भी उनके इस बयान पर ध्यान देना चाहिए.
विक्की कुमार
वोट की राजनीति के लिए किसी राजनेता को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. राज्य सरकार अगर वहां के लोगों को झारखंड में भी रोक लगा दे, तो क्या होगा.
छोटू मुंडा
एमपी के मुख्यमंत्री का बयान गलत है. प्रतिभाको कभी दबाया नहीं जा सकता. जो विद्यार्थी योग्य होंगे, वे कहीं भी जाकर नौकरी पा सकेंगे. उन्हें इसके लिए रोका नहीं जाना चाहिए.
सत्या अर्पण भगत, नामकुम
मेरिट को हर हाल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. उनके यहां के बच्चे भी परीक्षा में सफल हों, इसके लिए उन्हें अपने स्तर पर सुधार करने की जरूरत है. प्रतिभा कहीं भी हो सकती है.
वर्षा राज, आइटीआइ

Next Article

Exit mobile version