झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए कैसा रहा Year 2018

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए वर्ष 2018 उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा रहा. उनका फोकस गांव और किसान रहे. स्वच्छता पर सरकार ने काफी जोर दिया. स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए कई कदम उठाये गये. आधारभूत संरचनाओं के विकास में रघुवर दास की सरकार ने कुछ उल्लेखनीय काम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2018 3:04 PM

रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए वर्ष 2018 उपलब्धियों और चुनौतियों से भरा रहा. उनका फोकस गांव और किसान रहे. स्वच्छता पर सरकार ने काफी जोर दिया. स्वास्थ्य के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन के लिए कई कदम उठाये गये. आधारभूत संरचनाओं के विकास में रघुवर दास की सरकार ने कुछ उल्लेखनीय काम किये. कड़े फैसले लेने में वह नहीं हिचके. वहीं, कई मोर्चों पर उन्हें परेशानियों का भी सामना करना पड़ा.

इसे भी पढ़ें : Jharkhand : सरकार को शासन करने का ‘शऊर’ नहीं, बोले कांग्रेस नेता सुखदेव भगत

रघुवर सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई बड़े निर्णय लिये. किसानों के जत्थे को इस्राइल भेजा. राजधानी रांची में फूड एंड एग्रिकल्चर समिट का आयोजन किया. इसमें सभी जिलों से किसानों को बुलाया गया. इन्हें खेती के अत्याधुनिक उपकरणों से परिचित कराया गया. कृषि आधारित कई उद्योगों की स्थापना की घोषणा हुई. समिट में किसानों को आश्वस्त किया गया कि उनके उत्पादों की खरीद सरकार करेगी. वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प दोहराया.

किसानों को खाद से दूर रहने और जैविक खेती (ऑर्गेनिक फार्मिंग) करने की सलाह दी गयी. साल का अंत होने से पहले सरकार ने किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया. अब किसानों को सरकार प्रति एकड़ 5,000 रुपये देगी. इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है. सरकार ने झारखंड 14.50 लाख किसानों को मुफ्त फसल बीमा और बिना ब्याज के ऋण देने की योजना भी शुरू की है.

इसे भी पढ़ें : नेतरहाट में एक चरवाहे की अधूरी प्रेम कहानी

हर गांव में पहुंची बिजली : लोहरदगा, हजारीबाग व देवघर समेत सात जिलों के सभी गांवों में बिजली पहुंच चुकी है. 31 दिसंबर तक झारखंड के सभी गांवों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है. सीएम ने हर घर बिजली पहुंचाने का भी निश्चय किया है.

राज्य खुले में शौच से मुक्त : वर्ष 2018 में झारखंड सरकार ने राज्य को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित करने का लक्ष्य भी हासिल कर लिया.

एससी, एसटी की शिक्षा : अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए सरकार ने बड़ा एलान किया है. रघुवर सरकार ने एससी/एसटी छात्रों को सिविल सेवा की तैयारी के लिए एक लाख रुपये देने की घोषणा की. सरकार ने कहा कि प्रारंभिक परीक्षा पास करने पर यह राशि मेंस की तैयारी के लिए दी जायेगी.

इसे भी पढ़ें : झारखंड विधानसभा : विधानसभा की कार्यवाही कल 11 बजे तक के लिए स्थगित

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और रोजगार :ग्रमीण अर्थव्यवस्था को मजबूती और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ महिलाओं के सशक्तीकरण पर रघुवर सरकार ने काफी जोर दिया. महिलाओं को सखी मंडल से जोड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया. इन्हें कई तरह से प्रोत्साहित किया गया. अनुदान दिये गये. कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया. इन उद्योगों को बाजार उपलब्ध कराया और गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम किया.

स्वास्थ्य सेवा में सुधार : स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए झारखंड में पांच मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखी गयी और उनका निर्माण कार्य शुरू करवाया गया. इसका उद्देश्य यह है कि दूर-दराज के जिला के लोगों को रांची न आना पड़े. झारखंड से बाहर न जाना पड़े.

रांची में फ्लाईओवर का निर्माण :रांची-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) पर स्थित कांटाटोली में लगने वाले जाम से निजात के लिए सरकार ने फ्लाईओवर निर्माण का फैसला लिया. लोगों के विरोध के चलते काफी दिनों तक मामला लटका रहा. आखिरकार सरकार ने सख्त रुख अपनाया. अतिक्रमण को हटाया गया और फ्लाईओवर का निर्माण कार्य शुरू हो गया.

रांची में वेंडर बाजार और टाउन हॉल का निर्माण :राजधानी रांची में शानदार टाउन हॉल का निर्माण कार्य इसी साल शुरू हुआ. वेंडर मार्केट का भी उद्घाटन किया गया. फुटपाथ पर लगने वाली दुकानें इस मार्केट में शिफ्ट हो जायेंगी और सड़कों पर वाहनों का आवागमन सुगम होने की उम्मीद है.

दुबई में रोड शो :निवेशकों के आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री ने कई प्रयास किये हैं. अभी हाल ही में उन्होंने दुबई में रोड शो किया और व्यवसायियों को अपने राज्य में निवेश करने का न्योता दिया.

पोषण के मामले में शानदार उपलब्धि : जिस सिमडेगा में संतोषी की भूख से मौत हुई थी, उसी सिमडेगा को पोषण के क्षेत्र में बेहतरीन काम के लिए केंद्र सरकार ने पुरस्कृत किया. केंद्रीय केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्रालय के एक अभियान में झारखंड के तीन जिलों ने 40 में से 13 पुरस्कार जीते. इसमें 11 पुरस्कार तो सिर्फ कोडरमा जिला को मिले. दो पुरस्कार दुमका और सिमडेगा ने जीते.

विफलताएं भी कम नहीं

दूसरी तरफ, रघुवर दास की सरकार को कई मोर्चों पर परेशानियां भी झेलनी पड़ी. कई बार उन्हें अपने फैसले भी बदलने पड़े. इसमें जन वितरण प्रणाली की सब्सिडी सीधे खाता में ट्रांसफर करने की योजना शामिल है. रघुवर दास सरकार के खाते में कई सफलताएं होने के बावजूद उनकी विफलताओं की फेहरिस्त भी छोटी नहीं है. रघुवर सरकार पारा टीचर्स पर कोई ठोस फैसला नहीं ले सकी. वहीं 1.20 लाख रसोईया एवं संयोजिकाओं के आंदोलन को भी समाप्त नहीं करवा पाये. साल के अंत में सरकार के कई विभागों में आंदोलन शुरू हुआ है, जिससे निबटने की चुनौती मुख्यमंत्री पर है. पुलिस विभाग हो या शिक्षा विभाग, हर जगह आंदोलन की तैयारी चल रही है. राजधानी में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए शुरू की गयी साइकिल शेयरिंग योजना अब तक परवान नहीं चढ़ पायी. साइकिल स्टैंड के लिए प्लेटफॉर्म बन गये, उद्घाटन की तारीख दो-दो बार घोषित हुई, लेकिन योजना अब तक शुरू नहीं हो पायी.

रघुवर दास राज्य के पहले मुख्यमंत्री हुए, जिन्होंने आंदोलनरत पारा टीचर्स को दो टूक कह दिया कि उन्हें स्थायी नौकरी नहीं दी जा सकती. उन्होंने यहां तक कह दिया कि कोई भी सरकार उनका स्थायीकरण नहीं कर सकती. उन्हें आंदोलन खत्म कर काम पर लौट जाना चाहिए.

राजनीति :राजनीतिक सहयोगी ने उन्हें कई बार परेशान किया. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने कई मोर्चे पर सरकार को घेरा. सरकार की नीतियों की आलोचना की. गोमिया उपचुनाव में सरकार की खूब किरकिरी हुई.

राजनीतिक मोर्चे पर विफलता : कई बार राजनीतिक मोर्चे पर मुख्यमंत्री रघुवर दास विफल रहे. वर्ष 2018 में जितने भी उपचुनाव हुए, उसमें किसी में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नहीं जीत पायी. सिल्ली, गोमिया हो या कोलेबिरा. हर जगह भाजपा को हार मिली. कई बार प्रदेश का मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा हुई, लेकिन रघुवर अपनी सत्ता बचाने में हर बार कामयाब रहे.

पीडीएस में डीबीटी पर यू-टर्न :रघुवर सरकार को खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत चल रहे जनवितरण प्रणाली में डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) सरकार को वापस लेनी पड़ी. सिमडेगा जिला में संतोषी की भूख से हुई मौत के बाद कई मौतों को ‘भूख से मौत’ बताया गया. इसमें पीडीएस सिस्टम को आधार से लिंक करने की योजना को सबसे बड़ा विलेन बताया गया. रांची के नगड़ी में शुरू हुई पीडीएस में डीबीटी की पायलट परियोजना अंतत: सरकार को वापस लेनी पड़ी.

Next Article

Exit mobile version