कोलेबिरा चुनाव के बाद भी विपक्ष एकजुट, झामुमो कभी पीछे नहीं हटा, यूपीए के साथ था और रहेगा
रांची : महागठबंधन को लेकर चल रही चर्चा के बीच झामुमो ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है. झामुमो प्रवक्ता व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा है कि झामुमो स्पष्ट तौर पर सशक्त यूपीए का समर्थक था और रहेगा. झामुमो कभी अपनी बातों से न पीछे हटा है और न ही सुविधा की राजनीति की है. […]
रांची : महागठबंधन को लेकर चल रही चर्चा के बीच झामुमो ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है. झामुमो प्रवक्ता व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा है कि झामुमो स्पष्ट तौर पर सशक्त यूपीए का समर्थक था और रहेगा. झामुमो कभी अपनी बातों से न पीछे हटा है और न ही सुविधा की राजनीति की है.
झामुमो हर हाल में सबको साथ लेकर भाजपा को परास्त करने को कृतसंकल्पित है. 2014 के चुनाव में भी लोकसभा में कांग्रेस ने झामुमो से गठबंधन किया, लेकिन घोषणा के बाद भी विधानसभा में गठबंधन तोड़ दिया. यही वजह है कि भाजपा आज सत्तासीन है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पिछले राज्य सभा चुनाव के दौरान यह घोषणा कर चुकी है कि झामुमो के नेता हेमंत सोरेन के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में लोकसभा का चुनाव झारखंड में लड़ा जायेगा. अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष यह कैसे कह रहे हैं कि गठबंधन का स्वरूप फाइनल होने से पहले संयुक्त घोषणा पत्र जारी होगा. फिर गठबंधन के नेता और स्वरूप को अंतिम रूप दिया जायेगा. यह बातें उन्होंने किस परिस्थिति में कही है, वही बता सकते हैं.
कोलेबिरा चुनाव के बाद भी विपक्ष एकजुट
श्री षाड़ंगी ने कहा कि कोलेबिरा चुनाव के पूर्व और चुनाव परिणाम के बाद भी कांग्रेस, झामुमो, झाविमो, राजद सहित सभी वाम दलों ने स्पष्ट कर दिया है कि इस राज्य से भाजपा के कुशासन को खत्म करना सबकी पहली प्राथमिकता है.
इसलिए छोटी-छोटी बातों से बड़ा लक्ष्य बाधित होगा, ये मुझे तो नहीं लगता. गोमिया और सिल्ली झामुमो की सीटिंग सीट थी. इसके बावजूद उम्मीदवार की घोषणा करने से पहले झामुमो ने सभी सहयोगी दलों से बातचीत की. इसलिए किसी प्रकार की दुविधा नहीं रही. कोलेबिरा में झामुमो द्वारा झारखंड पार्टी को समर्थन देने की घोषणा के बाद कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के नाम कि घोषणा की.
कोलेबिरा यदि कांग्रेस की सीटिंग सीट रहती या वो पिछले चुनाव में दूसरे स्थान पर रही होती, तो भी किसी प्रकार की दुविधा नहीं रहती. जैसे लोहरदगा में कोई दुविधा नहीं रहने के कारण झामुमो ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा. वैसे भी पार्टी अध्यक्ष शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन में झारखंड पार्टी के योगदान को देखते हुए निर्णय लिया था. झामुमो, भाजपा को परास्त करने के लिए सभी समान विचारधारा पार्टी को साथ लेकर चलने का हिमायती है.
…तो भाजपा की सरकार नहीं बनती
उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी की हार के लिए कौन जिम्मेवार है और किन लोगों ने झामुमो प्रत्याशी को वोट नहीं दिया यह सर्वविदित है.
इसके बावजूद झामुमो ने किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया और अपने वचन के अनुसार 19 विधायक होने के बावजूद कांग्रेस को न सिर्फ समर्थन दिया, बल्कि नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करायी. झामुमो कभी अपने वचन से पीछे नहीं हटा है और सदैव यूपीए के साथ खड़ा रहा है. 2009 के चुनाव परिणाम के बाद यदि कांग्रेस सही समय पर झामुमो को समर्थन दे देती, तो राज्य में न भाजपा की सरकार बनती और न ही राष्ट्रपति शासन लगता.