ओड़िशा की तर्ज पर झारखंड में भी महिला स्वयं सहायता समूह से बिजली बिल की वसूली कराने पर हो रहा विचार
रांची : झारखंड में ग्रामीण विद्युतीकरण तेजी से हो रहा है. 31 दिसंबर तक राज्य के सभी घरों में बिजली पहुंचा दी जायेगी. इसके बाद झारखंड बिजली वितरण निगम के पास सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बिल के वितरण और वसूली का. इसे देखते हुए राज्य सरकार अब ओड़िशा मॉडल को अपनाने […]
रांची : झारखंड में ग्रामीण विद्युतीकरण तेजी से हो रहा है. 31 दिसंबर तक राज्य के सभी घरों में बिजली पहुंचा दी जायेगी. इसके बाद झारखंड बिजली वितरण निगम के पास सबसे बड़ी चुनौती है ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बिल के वितरण और वसूली का. इसे देखते हुए राज्य सरकार अब ओड़िशा मॉडल को अपनाने पर विचार कर रही है.
इसके लिए कंसलटेंट को अध्ययन कर झारखंड के संदर्भ में रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया गया है. गौरतलब है कि ओड़िशा के ग्रामीण इलाकों में महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) ही बिजली बिल पहुुंचाने, बिल की वसूली करने और लाइन की खराबी आदि की समस्या दूर करने का काम करती है. ओड़िशा में 133 महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाएं इस काम में जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं हाथों में हैंड मशीन लेकर घर-घर जाती हैं और मीटर रीडिंग कर बिल देती हैं. जो पैसा देना चाहते हैं, उनसे पैसा भी लेती हैं.
ओड़िशा में बिजली राजस्व में हुआ इजाफा
बताया गया कि इससे ओड़िशा में बिजली राजस्व में इजाफा हुआ है. बदले में महिलाओं को कुछ कमीशन दिया जाता है. इसमें ध्यान रखा जाता है कि गांव में गांव की ही महिला को इस काम में लगाया जाये. ग्रामीण उन्हें बिजली दीदी कहते हैं.
झारखंड सरकार भी इसी तर्ज पर झारखंड के ग्रामीण इलाकों में बिजली बिल वसूली का काम कराना चाहती है. सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि इससे ग्रामीण महिलाओं को एक रोजगार भी मिलेगा. वहीं वैसे 20 प्रतिशत घर जहां किसी कारण वश बिजली बिल नहीं पहुंच पाता है, उन्हें बिजली बिल भी मिलेगा और राजस्व की वसूली भी होगी. इसके पीछे मंशा है कि शतप्रतिशत घरों में मीटर लगे और शतप्रतिशत बिजली बिल की वसूली भी हो. इससे बिजली वितरण निगम के राजस्व में इजाफा होगा.