BRAILLE DAY पर देखें-सुनें रांची के इस होनहार सिंगर को, जल्द आयेंगे टीवी पर

आजब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल का 210वां जन्म दिवस है. नेत्रहीनों के लिए लिखने और पढ़ने की प्रणाली विकसित करते वाली पद्धति को उन्हीं के नाम से जाना जाता है. लुई खुद भी नेत्रहीन थे लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को कभी अपनी कामयाबी के बीच आने नहीं दिया. लुई की तरह ऐसे कई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 3, 2019 10:14 PM

आजब्रेल लिपि के जनक लुई ब्रेल का 210वां जन्म दिवस है. नेत्रहीनों के लिए लिखने और पढ़ने की प्रणाली विकसित करते वाली पद्धति को उन्हीं के नाम से जाना जाता है. लुई खुद भी नेत्रहीन थे लेकिन उन्होंने अपनी इस कमी को कभी अपनी कामयाबी के बीच आने नहीं दिया. लुई की तरह ऐसे कई नेत्रहीन हैं, जो अपनी कमियों को अपनी सफलता के आगे आने नहीं देते.

झारखंड की राजधानी रांची स्थित संत मिखाइल स्कूल फॉर ब्लाइंड के धीरज कुमार गुप्ता इनमें से एक हैं. धीरज ने अपनी गायिकी के दम पर जी टीवी के मशहूर टीवी शो सारेगामापा में अपनी पहचान बनायी है. कोलकाता में हुए ऑडिशन के बाद धीरज का चयन किया गया. धीरज को बचपन से ही संगीत का शौक रहा है. उन्हें संत मिखाइल स्कूल फॉर ब्लाइंड में संगीत की शिक्षा बरनाली और देवदास विश्वकर्मा देते हैं. धीरज ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और जीते.

देखें वीडियो –

प्रभात खबर डॉट कॉम ने एक प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसका नाम ‘मैं भी सुखविंदर’ था. इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए बच्चे प्रभात खबर के दफ्तर तक पहुंचे थे. हमने उस वक्त उनसे लाइव बातचीत की थी. धीरज ने एक के बाद एक कई गाने सुनाये थे. धीरज ने बताया था कि उन्हें राहत फतेह अली खान के गाने बेहद पसंद हैं. इस कार्यक्रम में धीरज के साथ नेहा भी शामिल हुई थी. उनकी आवाज में भी जादू है. नेहा और धीरज ने कई गाने सुनाये थे. धीरज जब हमारे साथ लाइव थे तो उन्होंने बताया था कि वह ‘राइजिंग स्टार’ में गये थे लेकिन उनका चयन नहीं हुआ.

देखें वीडियो –

मां को पता चला कि मेरी संगीत में रूची थी तो उन्होंने संगीत सिखाया, मैं जागरण में जाता था वहां गाता था. मैं जयपुर दो बार गया. धीरज ने बताया था कि वह पढ़ाई से संगीत के लिए वक्त निकाल लेते हैं. उनकी कोशिश होती है कि पढ़ाई प्रभावित ना हो. धीरज के माता पिता भी हमारे कार्यक्रम में शामिल हुए थे. उन्होंने धीरज का संगीत के प्रति आकर्षण देखा था तो रोक नहीं सके. पिता चंद्रमोहन ने बताया कि वह बेटे की हर इच्छा पूरी करने की कोशिश करते हैं. पिता कहते हैं मैंने कभी पैसे की चिंता नहीं की हमने घर जैसे भी चलाया हो पर इसकी जरूरत का ध्यान रखा.

Next Article

Exit mobile version