एक और घोटाला में फंसे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा
रांची : कोयला खदान आवंटन घोटाला और आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुरी तरह घिर चुके झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एक और मामले में फंस गये हैं. सीबीआइ की विशेष अदालत ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला मामले में कोड़ा एवं उनके सहयोगी बिनोद कुमार सिन्हा के खिलाफ आरोप गठित कर […]
रांची : कोयला खदान आवंटन घोटाला और आय से अधिक संपत्ति के मामले में बुरी तरह घिर चुके झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा एक और मामले में फंस गये हैं. सीबीआइ की विशेष अदालत ने राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला मामले में कोड़ा एवं उनके सहयोगी बिनोद कुमार सिन्हा के खिलाफ आरोप गठित कर दिया है. हालांकि, कोड़ा ने अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत करार दिया है.
विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार मिश्रा की अदालत ने दोनों आरोपियों कोड़ा एवं सिन्हा से विद्युतीकरण घोटाला से संबंधित सवाल किये, तो उन्होंने इसमें अपनी संलिप्तता से इन्कार किया. कोड़ा ने कहा कि सीबीआइ उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं पेश कर पायी. दोनों पक्षों को सुनने के बाद विशेष जज ने आइपीसी की धारा 409, 420, 467, 471, 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 11, 12, 13(2) व 13(1)(डी) के तहत आरोप गठित कर दिये. इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में अभियोजन को गवाह प्रस्तुत करने के लिए एक फरवरी तक का वक्त दिया.
उल्लेखनीय है कि करीब 468 करोड़ रुपये की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना से पलामू, लातेहार, गढ़वा जैसे इलाके में विद्युतीकरण किया जाना था. इसका ठेका झारखंड राज्य विद्युत बोर्ड ने गलत ढंग से हैदराबाद की ब्लैक लिस्टेड कंपनी आइवीआरसीएल को दे दिया. तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पर विद्युतीकरण का ठेका देने के लिए आइवीआरसीएल से मुंबई में 11.40 करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा.
निगरानी ब्यूरो ने इस मामले में 30 अगस्त, 2010 को कांड संख्या 38/10 के तहत सबसे पहले प्राथमिकी दर्ज की. इसमें मधु कोड़ा, बिनोद सिन्हा समेत 29 लोगों को नामजद किया गया. बाद में हाइकोर्ट के आदेश पर केस की सीबीआइ जांच शुरू हुई. मधु कोड़ा इस मामले में ढाई साल तक जेल में बिता चुके हैं. उन्हें 30 जुलाई, 2013 को जमानत मिली थी.
कोर्ट में हुए सवाल-जवाब
मधु कोड़ा से कोर्ट का सवाल : आप पर आरोप है कि आपने मुख्यमंत्री के उच्च पद का दुरुपयोग किया. हैदराबाद की बिजली कंपनी आइवीआरसीएल के डायरेक्टर डीके श्रीवास्तव से मुंबई में 11.40 करोड़ रुपये की रिश्वत ली. साथ ही कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए उसे लातेहार, गढ़वा और पलामू सहित छह जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण करने का टेंडर दे दिया.
मधु कोड़ा का जवाब : सीबीआइ मेरे खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं जुटा पायी. मैं निर्दोष हूं.
क्या है पूरा मामला
- वर्ष 2006 में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजना के लिए झारखंड को केंद्र से 467.76 करोड़ रुपये मिले. परियोजना के तहत छह जिलों के 27,359 गांवों का विद्युतीकरण किया जाना था. इससे 29.26 लाख परिवारों को सीधे तौर पर लाभ मिलता.
- आयकर विभाग ने 23 दिसंबर, 2008 एवं 31 अक्टूबर, 2009 को मधु कोड़ा के घर पर छापेमारी की, तो घोटाला सामने आया. तत्कालीन निगरानी आयुक्त राजबाला वर्मा ने 12 अगस्त, 2010 को निगरानी जांच के आदेश दिये. कोड़ा व विनोद सिन्हा सहित 29 लोगों पर केस दर्ज हुआ.
- झारखंड हाइकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ ने 14 अक्टूबर, 2011 को केस दर्ज किया. दो साल बाद सभी के खिलाफ क्लोजर रिपोर्ट दी, लेकिन सीबीआइ के तत्कालीन स्पेशल जज आरके चौधरी ने कोड़ा व सिन्हा के खिलाफ 11 दिसंबर, 2013 को संज्ञान लिया. इस दौरान सीबीआइ के 3 विशेष जज भी बदल गये.