रांची : ग्रामीणों से बात करके ही बनायें योजनाएं: आराधना

रांची : स्वजल मिनी वाटर सप्लाई स्कीम पर होटल ली-लैक में गुरुवार से शुरू हुई इंजीनियरों की दो दिवसीय कार्यशाला में योजना से जुड़ी तकनीक व बारीकियों के बारे में बताया गया. पेयजल एवं स्वच्छता सचिव अाराधना पटनायक ने कहा कि योजना के कार्यान्वयन में इंजीनियर कोई योजना या डिजाइन न थोपे. ग्रामीणों से बात […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2019 9:40 AM
रांची : स्वजल मिनी वाटर सप्लाई स्कीम पर होटल ली-लैक में गुरुवार से शुरू हुई इंजीनियरों की दो दिवसीय कार्यशाला में योजना से जुड़ी तकनीक व बारीकियों के बारे में बताया गया. पेयजल एवं स्वच्छता सचिव अाराधना पटनायक ने कहा कि योजना के कार्यान्वयन में इंजीनियर कोई योजना या डिजाइन न थोपे. ग्रामीणों से बात करके उनके मुताबिक ही योजना बनायें.
योजना की मॉनिटरिंग, ऑपरेशन व मेनटेनेंस का पूरा जिम्मा लाभुक ग्रामीणों का ही होगा. ग्रामीणों पर डिजाइन या योजना थोपने पर बाद में विभाग को परेशानी होगी. सचिव ने योजना के कार्यान्वयन में हर जगह एचवाइडीटी नहीं लगाने की दी. कहा कि जहां पहले से बोरिंग या चापानल है और उसमें से एक-दो हजार लीटर पानी निकल रहा हो, वहां योजना शुरू करायें. जरूरत पड़ने पर ही एचवाइडीटी आधारित योजना आरंभ की जाये. उन्होंने योजना के कार्यान्वयन में वाटर हारवेस्टिंग पर भी ध्यान देने की जरूरत बतायी.
प्रस्ताव जल्द देने का निर्देश : श्रीमती पटनायक ने कहा कि ओड़िशा जैसे बहुत अधिक आंधी-तूफान झेलने वाले राज्य में भी सिंटैक्स आधारित मिनी वाटर सप्लाई स्कीम पांच वर्षों से चली रही है. आरसीसी टंकी आधारित योजना महंगी होने के साथ काफी समय भी लेती है. बिजली की समस्या वाले क्षेत्रों में सोलर प्लेट आधारित योजना लागू होनी चाहिए.
शौचालय बनने के बाद अब सरकार का फोकस ग्रामीणों व उनके शौचालय तक पानी पहुंचाने पर है. इसमें कोताही नहीं बरती जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिम जनजाति बहुल जिलों में मार्च तक स्वजल या अन्य मिनी वाटर सप्लाई स्कीम से पानी पहुंचा देना है. अभियंता एसटी, एससी व अन्य जिले के प्रस्ताव भी जल्द से जल्द बनाकर भेजें. समय पर काम शुरू करने के लिए आचार संहिता लगने के पूर्व योजना की स्वीकृति, टेंडर प्रकिया पूरी हो जानी चाहिए.
मिनी वाटर सप्लाई स्कीम के कार्यान्वयन और ऑपरेशन, मेनटेनेंस के लिए रानी मिस्त्री के साथ ग्रामीण महिला-पुरुषों को चिह्नित कर प्रशिक्षण दिया जायेगा. योजनाओं में उपभोक्ता से यूजर चार्ज वसूले जाने का प्रावधान है. इसी से ग्रामीण सही तरीके से योजना का संचालन कर सकेंगे. कार्यशाला में चीफ इंजीनियर, पीएमयू श्वेताभ कुमार, यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख प्रेम कुमार समेत अन्य ने विचार रखे.

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