रांची :झारखंड के पूर्व मंत्री बंधु तिर्की पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने आरोप तय कर दिया है. सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एके मिश्रा की अदालत ने आरोप गठन किया. इस दौरान पूर्व मंत्री अदालत में मौजूद थे.
न्यायाधीश ने बंधु को उन पर लगे आरोप पढ़कर सुनाये. बंधु तिर्की ने खुद को निर्दोष बताया और अपने ऊपर लगे सारे आरोपों से इंकार किया. अदालत ने मामले में गवाही के लिए 30 जनवरी की तिथि निर्धारित की है. इससे पूर्व आज बंधु तिर्की की ओर से दायर डिसचार्ज पिटीशन पर भी सुनवाई हुई, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.
गौरतलब हो सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने पिछले साल (दिसंबर, 2018 में) बंधु को उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था, जब वह सिमडेगा जिला के कोलेबिरा विधानसभा उपचुनावों में व्यस्त थे. कोलेबिरा से प्रचार करके लौटने के बाद अगली ही सुबह पूर्व शिक्षा मंत्री को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया था.
मधु कोड़ा सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे झारखंड विकास मोर्चा के केंद्रीय महासचिव बंधु तिर्की को गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में रांची स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार भेज दिया गया था. ज्ञात हो कि 19 नवंबर, 2018 को उनके विरुद्ध गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था. इसी वारंट के आधार पर सीबीआइ ने कार्रवाई करते हुए बंधु तिर्की को गिरफ्तार किया.
झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) नेता बंधु तिर्की की गिरफ्तारी पर खूब राजनीति हुई. इसे कोलेबिरा उपचुनाव से जोड़ा गया. कहा गया कि विरोधियों की आवाज को दबाने और चुनाव को प्रभावित करने के लिए सरकार के इशारे पर तिर्की की गिरफ्तारी हुई है. हालांकि, सत्तारूढ़ दल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है.
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यहां बताना प्रासंगिक होगा कि पूर्व शिक्षा मंत्री श्री तिर्की का विवादों से नाता रहा है. वह अलग राज्य बनने के बाद डोमिसाइल हिंसा के वक्त सबसे पहले चर्चा में आये. फिर सीएनटी-एसपीटी एक्ट, एससी-एसटी एक्ट सहित विभिन्न मसलों पर आंदोलनकारियों का साथ देने को लेकर चर्चा में रहे.आदिवासियों के मुद्दे पर श्री तिर्की लगातार भाजपा सरकार को घेरते रहे हैं. रामगढ़ में सड़क जाम करने के मामले में मार्च, 2016 में वहां की अदालत ने बंधु तिर्की को दो साल की सजा सुनायी थी.
आय से अधिक संपत्ति का पूरा मामला
वर्ष 2010 में सीबीआइ की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में केस दर्ज किया था. सीबीआइ ने मई, 2013 में इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दे दी थी. इसमें कहा गया था कि बंधु तिर्की के पास आय से अधिक संपत्ति तो है, लेकिन उतनी नहीं कि सीबीआइ उनके विरुद्ध जांच करे. हालांकि, सीबीआइ की विशेष अदालत ने क्लोजर रिपोर्ट की समीक्षा के बाद जांच एजेंसी की दलील को सिरे से खारिज कर दिया.
क्लोजर रिपोर्ट की समीक्षा हुई, तो स्पेशल कोर्ट ने पाया कि वर्ष 2005-09 के पहले पूर्व मंत्री बंधु तिर्की के सभी वैध स्रोतों से कुल आय 20 लाख रुपये थी, लेकिन जांच में उनके पास 26.50 लाख रुपये की संपत्ति मिली. यह वैध स्रोतों से होने वाली आय से 30 फीसदी अधिक थी. इसके बाद कोर्ट ने तिर्की को नोटिस जारी कर दिया.