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झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, जांच अधिकारी को धमका रहे हैं पूर्व मंत्री योगेंद्र साव

नयी दिल्ली : झारखंड सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दंगे और हिंसा भड़काने के कई मामलों में आरोपी राज्य के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव जांच अधिकारी को धमका रहे हैं. इसलिए उनकी जमानत रद्द की जानी चाहिए. राज्य सरकार ने जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ से कहा […]

नयी दिल्ली : झारखंड सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दंगे और हिंसा भड़काने के कई मामलों में आरोपी राज्य के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव जांच अधिकारी को धमका रहे हैं. इसलिए उनकी जमानत रद्द की जानी चाहिए. राज्य सरकार ने जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ से कहा कि साव और इसी तरह के मामलों में आरोपी उनकी विधायक पत्नी निर्मला देवी ने शीर्ष अदालत द्वारा जमानत के साथ लगायी शर्तों का उल्लंघन किया है.

झारखंड सरकार की ओर से पेश वकील तपेश कुमार सिंह ने कहा कि साव ने हाल में हजारीबाग जिले के बरकागांव थाने में तैनात एक जांच अधिकारी को धमकाया. उनके खिलाफ इस संबंध में मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी उनके खिलाफ मामले में महत्वपूर्ण गवाह हैं.

साव ने शीर्ष अदालत द्वारा लगायी गयी किसी गवाह से संपर्क नहीं करने की जमानत शर्त का उल्लंघन किया. उन्होंने कहा कि उन्हें (साव और देवी) जमानत शर्तों का उल्लंघन करने पर वापस जेल में भेजा जाना चाहिए. सिंह ने कहा कि वे शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार भोपाल में नहीं रह रहे हैं. वह जब झारखंड में होते हैं, तो निचली अदालत की कार्यवाही में शामिल नहीं होते हैं. साव और देवी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तनखा ने कहा कि अगर दंपती मंदिर भी जाता है, तो उसे जमानत शर्त का उल्लंघन माना जाता है.
उन्होंने कहा कि साव और उनकी पत्नी के खिलाफ कई मामले लंबित हैं और उचित होगा कि दिल्ली में एक स्थान पर सभी मामले स्थानांतरित किये जाएं.
इस पर पीठ ने कहा कि हमें गवाहों के बारे में भी सोचना होगा. वे निचली अदालत की कार्यवाही में शामिल होने दिल्ली कैसे आयेंगे? पीठ ने कहा कि इस मामले में विस्तृत रूप से गौर करने की जरूरत है. पीठ मामले की अगली सुनवाई पांच फरवरी को करेगा.

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