भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा बनाना, झारखंडियों के साथ धोखा : इंकलाबी नौजवान लेखक संघ
रांची : राज्य सरकार द्वारा झारखंड में भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिये जाने का इंकलाबी नौजवान लेखक संघ ने घोर निंदा की है. संघ के अध्यक्ष सुनील मिंज, सचिव प्रो. बीरेन्द्र कुमार महतो और प्रवक्ता डॉ. लालदीप गोप ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि यह झारखंडी भाषाओं के साथ धोखा है. […]
रांची : राज्य सरकार द्वारा झारखंड में भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिये जाने का इंकलाबी नौजवान लेखक संघ ने घोर निंदा की है. संघ के अध्यक्ष सुनील मिंज, सचिव प्रो. बीरेन्द्र कुमार महतो और प्रवक्ता डॉ. लालदीप गोप ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि यह झारखंडी भाषाओं के साथ धोखा है.
सरकार अन्य भाषा-संस्कृति को जबरन थोपकर यहां की भाषा-संस्कृति का अस्तित्व समाप्त करना चाहती है. उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार की एक सोची समझी षडयंत्र है. उन्होंने कहा कि झारखंडी भाषाओं के साथ हमेशा से ही दोहरी नीति अपनायी जाती रही है.
उन्होंने कहा कि माना भाषा और संस्कृति समाज और देश की पहचान होती है. भाषा एक दूसरे की संस्कृति को जोड़ने का भी काम करती है. परन्तु अपने ही प्रदेश की भाषा-संस्कृति को दरकिनार कर अन्य प्रदेशों की भाषा-संस्कृति को तरजीह देना, किसी भी मायने में न्यायसंगत प्रतीत नहीं होता.
यदि अन्य प्रदेशों की भाषा और संस्कृति को झारखंड में जगह दी जा रही है, तो फिर झारखंडी भाषाओं के साथ सौतेला व्यवहार क्यों? झारखंड की भाषाओं को अन्य प्रदेशों में द्वितीय राजभाषा का दर्जा क्यों नहीं दिलाया गया या फिर दिलाने का प्रयास क्यों नहीं किया गया.
क्या झारखंड ही भारत का एक ऐसा दुर्लभ प्रदेश है, जहां आये दिन नाना प्रकार के प्रयोग किये जाते रहे हैं. इस प्रदेश का नाम झारखंड उचित प्रतीत नहीं होता. बल्कि इस प्रदेश का नाम प्रयोगखंड होना चाहिये था.