Jharkhand : छठी मेंस परीक्षा रद्द करने की मांग, JPSC के बाहर विद्यार्थियों ने किया विरोध प्रदर्शन
रांची : झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) की छठी सिविल सेवा मेंस परीक्षा का कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं. ऐसे छात्रों ने रविवार (27 जनवरी, 2018) को जेपीएसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इन्होंने धमकी दी कि वे 28 जनवरी से शुरू होने वाली परीक्षा का बहिष्कार करेंगे. दो दिन पहले तक उग्र आंदोलन […]
रांची : झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) की छठी सिविल सेवा मेंस परीक्षा का कुछ छात्र विरोध कर रहे हैं. ऐसे छात्रों ने रविवार (27 जनवरी, 2018) को जेपीएसी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. इन्होंने धमकी दी कि वे 28 जनवरी से शुरू होने वाली परीक्षा का बहिष्कार करेंगे. दो दिन पहले तक उग्र आंदोलन की चेतावनी देने वाले छात्रों ने हालांकि रविवार को कहा कि वे शांतिपूर्ण आंदोलन करेंगे. इन्होंने कहा कि वे आयोग से मांग करेंगे कि आनन-फानन में करायी जा रही परीक्षा को रद्द किया जाये, ताकि विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करने का मौका मिले.
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वहीं, छात्रों के एक गुट का मानना है कि परीक्षा होनी चाहिए. नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर परीक्षा में शामिल होने जा रहे कुछ विद्यार्थियों ने कहा कि परीक्षा को बाधित करना समस्या का समाधान नहीं है. परीक्षा नहीं होगी, तो फिर नियुक्ति कैसे होगी. उनका कहना है कि जेपीएससी की अकर्मण्यता की वजह से विद्यार्थियों का भविष्य वैसे ही दांव पर लगा हुआ है, यदि छात्रों ने परीक्षा का इस तरह विरोध किया, तो अपने ही भविष्य के साथ खिलवाड़ करेंगे.
एक छात्र ने बताया कि पहली बार सरकार ने कड़ा कदम उठाया है. सभी विद्यार्थियों को इसका स्वागत करना चाहिए. इस बार भी परीक्षा टल गयी, तो फिर शायद झारखंड में कभी इम्तहान हो ही नहीं पायेंगे. हर बार मुट्ठी भर विद्यार्थी विरोध-प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतर जायेंगे और परीक्षा को बाधित कर देंगे. छात्र ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपनी रोटी सेंकने के लिए एक मुद्दा चाहिए. उनका क्या जाता है. भविष्य बच्चों का बर्बाद होता है. बच्चों के माता-पिता के पैसे बर्बाद होते हैं. इसलिए विद्यार्थियों को राजनीतिज्ञों के जाल में फंसने की बजाय अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए. जो वक्त बचा है, उसमें तैयारी करें और पूरी क्षमता से इम्तहान दें.
झारखंड लोक सेवा आयोग की घोषणा के मुताबिक, 28 जनवरी, 2019 से एक फरवरी, 2019 तक मुख्य परीक्षा होगी. दरअसल, जेपीएससी की छठी परीक्षा के परिणाम को दो बार संशोधित किया गया. इसमें 34 हजार से ज्यादा परीक्षार्थी सफल घोषित किये गये और इन्हें मुख्य परीक्षा के लिए योग्य माना गया. 326 पदों पर भर्ती के लिए यह प्रक्रिया वर्ष 2015 से ही चल रही है.
परीक्षा का विरोध कर रहे विद्यार्थियों का आरोप है कि 15 ऐसे परीक्षार्थी हैं, जो जेपीएससी में कार्यरत हैं. इन्हें स्क्रूटनी आदि के काम में लगाया गया है. यही लोग रिजल्ट भी बनायेंगे. ऐसे में इनके द्वारा गड़बड़ी किये जाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.
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विद्यार्थियों का यह भी आरोप है कि जिन लोगों ने पीटी की परीक्षा दी, लेकिन मेंस का फॉर्म नहीं भरा, उनका भी एडमिट कार्ड जारी कर दिया गया है. इससे परीक्षार्थियों की संख्या बढ़ गयी है और प्रतियोगिता और कड़ी हो गयी है. दूसरी तरफ, परीक्षा से 8-10 दिन पहले एडमिट कार्ड जारी किया गया, जिससे उन्हें तैयारी करने का पूरा मौका नहीं मिला.
परीक्षा का विरोध कर रहे विद्यार्थियों का एक आरोप यह भी है कि जेपीएससी के अधिकारियों और राजनेताओं के भाई-भतीजा और बच्चे इम्तहान दे रहे हैं. इसका खामियाजा बाकी छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ सकता है. हालांकि, विद्यार्थियों के इस आरोप के बाद सरकार ने जेपीएससी के सचिव जगजीत सिंह को उनके पद से हटाकर उनकी जगह रणेंद्र सिंह को सचिव नियुक्त कर दिया है.
इन पदों पर होनी है नियुक्ति
कुल पद : 326
झारखंड प्रशासनिक सेवा : 143
झारखंड वित्त सेवा : 104
झारखंड शिक्षा सेवा : 36
झारखंड सहकारिता सेवा : 09
झारखंड सामाजिक सुरक्षा सेवा : 03
झारखंड सूचना सेवा : 07
झारखंड पुलिस सेवा : 06
झारखंड योजना सेवा : 18