रांची : अनुशंसा के बाद भी डीसी-एसपी पर कार्रवाई नहीं, मनीष रंजन व पंकज कंबोज ने जनता के हितों की अनदेखी की थी

प्रणव रांची : हजारीबाग के तत्कालीन डीसी मनीष रंजन और एसपी पंकज कंबोज ने जनता की भावनाओं और हितों की अनदेखी की. दोनों अफसरों ने एक निजी कंपनी के प्रभाव में जनसुनवाई की कार्रवाई और आयोजन में व्यापक स्तर पर अनियमितता बरती. राज्यपाल के निर्देश पर हजारीबाग के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की जांच […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2019 7:29 AM
प्रणव
रांची : हजारीबाग के तत्कालीन डीसी मनीष रंजन और एसपी पंकज कंबोज ने जनता की भावनाओं और हितों की अनदेखी की. दोनों अफसरों ने एक निजी कंपनी के प्रभाव में जनसुनवाई की कार्रवाई और आयोजन में व्यापक स्तर पर अनियमितता बरती. राज्यपाल के निर्देश पर हजारीबाग के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की जांच में इसकी पुष्टि हुई थी.
आयुक्त ने मामले में जांच के बाद दो मई 2013 को राज्यपाल के तत्कालीन प्रधान सचिव को भेजी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा था कि पर्यावरण स्वीकृति के लिए जनसुनवाई की तिथि और स्थान के संबंध में निर्णय लेने के लिए उपायुक्त ही सक्षम थे. लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों को दरकिनार कर परियोजना स्थल (केरेडारी) से 45 किमी दूर हजारीबाग शहर स्थित नगर भवन में नक्सली बंदी के दिन जनसुनवाई हुई थी.
दोनों अफसरों ने जनता की भावनाओं और हितों को दरकिनार कर उक्त कंपनी के प्रभाव में जनसुनवाई की कार्रवाई आयोजन में व्यापक अनियमितता बरती. उपायुक्त होने के नाते उन्हें कार्यक्रम के आयोजन के पूर्व जनता की भावनाओं एवं हितों को प्राथमिकता देते हुए कार्य करना अपेक्षित था.
लेकिन जिला प्रशासन ने निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए काम किया. इस कारण विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई. आयुक्त ने घटना के लिए दोनों अफसरों को जवाबदेह ठहराते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की थी. अनुशंसा किये करीब छह साल होने को हैं, लेकिन दोनों अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी. बता दें कि मनीष रंजन फिलवक्त एटीआइ के निदेशक और पंकज कंबोज हजारीबाग रेंज के डीआइजी हैं.
कोल ब्लॉक के लिए होनी थी जनसुनवाई
एक निजी कंपनी को केरेडारी में कोल ब्लॉक आवंटित हुआ था. इसके लिए कंपनी को जमीन चाहिए था. नियम के तहत जनसुनवाई उसी स्थल पर होनी चाहिए थी, जहां पर जमीन ली जानी थी.
जनसुनवाई से दो दिन पहले रिहर्सल भी किया गया था. इसके विरोध में स्थानीय नेता केपी शर्मा, गौतम सागर राणा और विधायक योगेंद्र साव के नेतृत्व में ग्रामीणों ने नगर भवन पहुंचकर विरोध किया था. इसके बाद पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया था. इसमें योगेंद्र साव, केपी शर्मा और गौतम सागर राणा के अलावा कई ग्रामीणों को चोट लगी थी.
आज तक नहीं मिली अभियोजन स्वीकृति
इस मामले में तत्कालीन विधायक योगेंद्र साव ने डीसी मनीष रंजन, एसपी पंकज कंबोज, एसडीओ रचना भगत सहित अन्य अफसरों के खिलाफ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में शिकायत दर्ज करायी थी.
इसमें साक्षियों का बयान दर्ज करने के बाद न्यायालय ने सीआरपीसी की धारा 197 के तहत अफसरों के खिलाफ अभियोजन का निर्देश दिया था. इस बाबत आयुक्त ने विधि विभाग से सलाह लेने का मंतव्य दिया था. मामले में अब तक उक्त अफसरों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति नहीं दी गयी है.

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