आक्रोशित अधिवक्ताओं ने उपायुक्त व प्रशासन के खिलाफ किया प्रदर्शन, लगाये नारे
रांची : जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताअों ने सोमवार को समाहरणालय परिसर में डेढ़ घंटे तक उपायुक्त अौर प्रशासन के पदाधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शन किया अौर नारे लगाये. इस दौरान लगातार डीसी मुर्दाबाद…अधिवक्ता एकता जिंदाबाद…जो हमसे टकरायेगा चूर चूर हो जायेगा… जैसे नारे लगते रहे.
दरअसल बार काउंसिल ऑफ इंडिया अौर स्टेट बार काउंसिल के आह्वान पर रांची सिविल कोर्ट के अधिवक्ता सोमवार को अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत शांति मार्च करते हुए सिविल कोर्ट से समाहरणालय पहुंचे थे.
अधिवक्ताअों को अपनी लंबित मांगों से संबंधित ज्ञापन उपायुक्त को सौंपना था. पर समाहणालय पहुंचते ही निचले तल्ले पर स्थित लोहे का गेट बंद कर दिया गया. इसके बाद जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही के नेतृत्व में अधिवक्ता गेट के पास ही धरना पर बैठ गये.
थोड़ी देर बाद एडीएम लॉ एंड आर्डर वहां पहुंचे. उन्होंने बातचीत के बाद अधिवक्ताअों से माफी मांगी.कहा कि गलतफहमी की वजह से गेट बंद हो गया था. इसके बाद अधिवक्ताअों ने उपायुक्त के नाम का ज्ञापन उन्हें सौंपा अौर अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया.
इस दौरान लगभग डेढ़ घंटे तक लोग समाहणालय में न तो अंदर जा सके अौर न ही अंदर से बाहर निकल सके. मौके पर प्रदीप नाथ तिवारी, सविता सिंह, मनोज झा, अरविंद कुमार सिंह, अनिल पराशर, अनूप कुमार लाल, विनोद सिंह, राजेंद्र कुमार गुप्ता, अजय कुमार तिवारी, मो शमीम सहित अन्य अधिवक्ता मौजूद थे.
ये हैं अधिवक्ताअों की मांगें
न्यायालय परिसर या उसके नजदीक अधिवक्ता संघों का भवन हो, अधिवक्ताअों के बैठने की समुचित व्यवस्था सहित अन्य सुविधाएं हो.
केंद्र सरकार अपने बजट में पांच हजार करोड़ की राशि अधिवक्ताअों एवं मुव्वकिलों के कल्याण के लिए आवंटित करे.
सरकार जरूरतमंद अधिवक्ता को घर बनाने के लिए भूखंड की व्यवस्था करे.
कानूनी सेवा प्राधिकार कानून में समुचित संशोधन करते हुए अधिवक्ताअों द्वारा कानूनी सहायता प्रदान करने की व्यवस्था की जाये.
सभी ट्रिब्यूनल, कमीशन आदि में अधिवक्ताअों की भी बहाली हो.
एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को शीघ्र लागू किया जाये.
आयुष्मान भारत योजना के तहत अधिवक्ता समाज को भी जोड़ा जाये.सिविल कोर्ट में सोमवार को अधिवक्ता पहली पाली के बाद न्यायिक कार्यों से अलग रहे. इस दौरान विभिन्न कोर्ट में बड़ी संख्या में चल रहे मामलों का निष्पादन नहीं हो सका. सभी को अगली तारीख दी गयी है. तारा शाहदेव के प्रताड़ना मामले में आज सुनवाई होनी थी, लेकिन अधिवक्ताओं के नहीं होने की वजह से अब इस मामले में 26 फरवरी को सुनवाई होगी. एजेसी एसपी दुबे की अदालत में दो मामलों में गवाही नहीं हो सकी.
इधर, एसोसिएशन ने आमसभा की, 10 सूत्री मांग पत्र साैंपा
रांची : बार काउंसिल अॉफ इंडिया (बीसीआइ) के आह्वान पर सोमवार को एडवोकेट एसोसिएशन झारखंड हाइकोर्ट की आमसभा हुई. आमसभा में अधिवक्ताअों के कल्याण के लिए प्रस्तावित मांगों पर विचार किया गया. बीसीआइ के निर्णय पर सर्वसम्मति से सहमति जतायी गयी.
अध्यक्ष रितू कुमार ने आमसभा की अध्यक्षता की, जबकि महासचिव नवीन कुमार ने संचालन किया. आमसभा में लिये गये निर्णय के आलोक में बाद में एसोसिएशन का एक प्रतिनिधिमंडल रांची समाहरणालय गया.
वहां पर प्रधानमंत्री के नाम 10 सूत्री मांगों से संबंधित ज्ञापन साैंपा गया. प्रतिनिधिमंडल में रितू कुमार, मुकेश कुमार सिन्हा, नवीन कुमार, धीरज कुमार, हेमंत सिकरवार, नलिनी झा, नीतू सिंह, अशोक कुमार, शालिनी, निवेदिता कुंडू सहित अन्य अधिवक्ता शामिल थे.
उपायुक्त और पदाधिकारियों का व्यवहार राजतंत्र से बदतर
जिला बार एसोसिएशन के महासचिव संजय विद्रोही ने कहा कि उपायुक्त अौर उनके अधीनस्थ पदाधिकारियों का व्यवहार राजतंत्र से भी बदतर है. राजतंत्र में एक राजा होता है, यहां पर तो कई राजा हैं. हमलोग बार भवन से यहां तक शांति मार्च करते हुए आये थे. हमें उपायुक्त से मिलकर उन्हें केंद्र सरकार के नाम ज्ञापन सौंपना था, पर यहां तो गेट ही बंद कर दिया गया.
जब ये अधिवक्ताअों के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैं, तो अनुमान लगा सकते हैं कि आम लोगों से कैसा व्यवहार करते होंगे? उन्होंने कहा कि कोर्ट में निगरानी अौर सीबीआइ कोर्ट में कई प्रशासनिक पदाधिकारियों के खिलाफ चल रहे मामले की पैरवी अधिवक्ता करते हैं, उस वक्त इन्हें हमारी याद आती है.