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रांची : पीएफआइ पर फिर से लगा प्रतिबंध

रांची : पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) को राज्य सरकार ने फिर से प्रतिबंधित (बैन) कर दिया है. सरकार का कहना है कि पीएफअाइ के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य है. यह संगठन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है. इसका दायरा खतरनाक तरीके से विस्तृत होता जा रहा है. पीएफआइ संगठन का विस्तार सभी राज्यों में करने […]

रांची : पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) को राज्य सरकार ने फिर से प्रतिबंधित (बैन) कर दिया है. सरकार का कहना है कि पीएफअाइ के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य है. यह संगठन राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है. इसका दायरा खतरनाक तरीके से विस्तृत होता जा रहा है.
पीएफआइ संगठन का विस्तार सभी राज्यों में करने के लिए प्रयासरत है. इसका राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एक सांगठनिक ढांचा है. यह केरल, तेलंगाना, कर्नाटक, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम में सक्रिय है.
सरकार ने कहा है कि झारखंड में भी पीएफआइ संगठन विस्तार एवं विधि व्यवस्था को प्रभावित करनेवाली गतिविधियों में संलिप्त है. इसकी गतिविधियां केरल की पीएफआइ से पूर्णत: प्रभावित है.
केरल में हुई घटनाओं की पुनरावृत्ति झारखंड में होने से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसके लिए यह अतिआवश्यक है कि राष्ट्रीय सुरक्षा एवं लोक शांति के लिए पीएफआइ की बढ़ती गतिविधियों पर तत्काल प्रभाव से अंकुश लगाया जाये.
12 फरवरी से बैन प्रभावी
अपराध विधि संशोधन अधिनियम, 1988 का 14वां अधिनियम की धारा 16 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए राज्य सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को अधिसूचना की तिथि (12 फरवरी 2019) से अवैध घोषित करती है.
इस संगठन के सदस्य बनने, इसे चंदा के तौर पर आर्थिक मदद करने और इनकी उग्रवादी नीति से संबंधित कोई भी साहित्य या वर्णिका छापने या रखने को गैर कानूनी घोषित किया जाता है. बता दें कि पीएफआइ की सक्रियता झारखंड में पाकुड़, साहिबगंज और जामताड़ा में ज्यादा है.
पहली बार 21 फरवरी 2018 को लगा था प्रतिबंध
21 फरवरी 2018 को राज्य सरकार ने इस संगठन को पहली बार प्रतिबंधित किया था. इस प्रतिबंध के खिलाफ झारखंड पीएफआइ के सदस्य हाइकोर्ट गये थे. जहां पर प्रतिबंध लगाने के लिए सभी तरह की कानूनी पहलुओं का सही ढंग से पालन नहीं किये जाने पर हाइकोर्ट ने पीएफआइ पर से 27 अगस्त 2018 को प्रतिबंध हटा दिया था.
साथ ही इस मामले में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश भी जारी किया था. इस मामले में एजी ने सरकार को दो बिंदुओं पर सुझाव दिया था. पहला यह कि सरकार त्रुटियों को दूर कर फिर से पीएफआइ को प्रतिबंधित करने का आदेश निकाल सकती है. दूसरा यह कि मामले में वह सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर सकती है.
केरल के पीएफआइ से संपर्क
केरल पीएफआइ के जोनल प्रेसिडेंट मौलाना कलीमुल्ला से झारखंड पीएफआइ के प्रदेश सचिव अब्दुल वदूद, सचिव शमीम अख्तर, अब्दुल कबीर, प्रदेश अध्यक्ष हांजला शेख, कोषाध्यक्ष अब्दुल सलाम, पाकुड़ और जामताड़ा के प्रभारी और सदस्य हबीबुर रहमान, गुलाम रसूल, जैनुल आबेदिन आदि लगातार संपर्क में रहे हैं. केरल में आयोजित कार्यक्रम में भी यहां के पीएफआइ सदस्य शामिल हुए हैं. इसकी रिपोर्ट विशेष शाखा के एडीजी ने सरकार को उपलब्ध करायी है.
कोट : राज्य सरकार पहले भी पीएफआइ को बैन कर चुकी है. हाइकोर्ट ने हमें बैनमुक्त किया था. सरकार के नये आदेश के खिलाफ हम लोग फिर से अदालत की शरण में जायेंगे.
-हांजला शेख, अध्यक्ष, झारखंड पीएफआइ
अधिवक्ता संजय व दीपक बने हाइकोर्ट के जज
रांची : झारखंड हाइकोर्ट को दो नये जज मिले हैं. अधिवक्ता संजय कुमार द्विवेदी व अधिवक्ता दीपक राैशन की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना केंद्रीय विधि व न्याय मंत्रालय ने मंगलवार को जारी कर दी. रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ ने बताया कि राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण की तिथि तय किये जाने के बाद न्यायाधीशों को शपथ दिलायी जायेगी.
15 फरवरी को शपथ दिलायी जा सकती है. हाइकोर्ट में न्यायाधीशों का 25 पद स्वीकृत है. वर्तमान में चीफ जस्टिस अनिरुद्ध बोस सहित 18 न्यायाधीश कार्यरत हैं. दो नये न्यायाधीश मिल जाने के बाद न्यायाधीशों की संख्या 20 हो जायेगी.

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