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रांची-जमशेदपुर फोरलेन में एनएचएआइ का रवैया जानबूझकर कार्य में विलंब करने का है : हाइकोर्ट

रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की जर्जर स्थिति व धीमी गति से हो रहे फोर लेनिंग कार्य को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए नेशनल हाइवे अथॉरिटी अॉफ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 15, 2019 7:47 AM
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में गुरुवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) की जर्जर स्थिति व धीमी गति से हो रहे फोर लेनिंग कार्य को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए नेशनल हाइवे अथॉरिटी अॉफ इंडिया (एनएचएआइ) के रवैये पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने कहा कि एनएचएआइ के रवैये से ऐसा प्रतीत होता है कि फोर लेनिंग प्रोजेक्ट में जानबूझ कर विलंब किया जा रहा है. फोर लेनिंग के 50 फीसदी हिस्से का काम पूरा हो चुका है.
शेष 50 प्रतिशत कार्य पूरा करने में एनएचएआइ का रवैया सही नहीं है. एनएचएआइ रांची-जमशेदपुर रोड के फोर लेनिंग प्रोजेक्ट को नजरअंदाज कर रहा है. जनहित को देखते हुए कोर्ट ने इस मामले को मदद करने की मंशा से सुनवाई कर रहा था, लेकिन देखा जा रहा है कि वादी व प्रतिवादियों के बीच विवाद बढ़ता जा रहा है. सामान्य वादी का मामला शीघ्र निपटा लिया जाता है, लेकिन यहां सारे लोग अधिक रिसोर्सफूल हैं.
एनएचएआइ मामले को समाप्त करने की इच्छा नहीं रखता है. माैखिक रूप से खंडपीठ ने कहा कि सितंबर-अक्तूबर 2018 में एनएचएआइ ने शेष कार्य को चार चरण में पूरा करने की बात कहते हुए तीन चरण के लिए टेंडर आमंत्रित किया था. उसे अब तक फाइनल नहीं किया है.
सात जनवरी 2019 को मामले की सुनवाई के दौरान एनएचएआइ की अोर से संवेदक कंपनी व बैंक के साथ वन टाइम सेटलमेंट करने व 14 फरवरी तक तीन फेज की टेंडर प्रक्रिया पूरी कर लेने की बात कही गयी थी, लेकिन अब तक टेंडर प्रक्रिया फाइनल नहीं हुआ. कोर्ट इस मामले की मॉनिटरिंग कर रहा है.
नाराज होकर खंडपीठ ने मामले में बिना कोई आदेश पारित करते हुए सुनवाई 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी. मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. इससे पूर्व संवेदक की अोर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने बताया कि वन टाइम सेटेलमेंट के बदले एनएचएआइ ने एकरारनामा को ही रद्द कर दिया है.
उन्होंने एनएचएआइ के 30 जनवरी के आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया. वहीं बैंक की अोर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता जॉय बासु व वरीय अधिवक्ता जय प्रकाश ने पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को एनएचएआइ की कार्यशैली की जानकारी दी. एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पैरवी की.
सीबीआइ से पूछा- प्रारंभिक जांच में विलंब क्यों
मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सीबीआइ से पूछा कि समय सीमा के अंदर प्रारंभिक जांच क्यों पूरी नहीं हो पायी. जांच में विलंब क्यों हुआ. खंडपीठ ने सीबीआइ को अगली सुनवाई के दाैरान विलंब का कारण बताते हुए दोबारा स्टेटस रिपोर्ट दायर करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व सीबीआइ की अोर से अधिवक्ता राजीव नंदन प्रसाद व नीरज कुमार ने प्रारंभिक जांच से संबंधित स्टेटस रिपोर्ट दायर की.
बताया गया कि प्रांरभिक जांच एडवांस स्टेज में है. फील्ड में जांच पूरी हो गयी है. उल्लेखनीय है कि रांची-जमशेदपुर एनएच-33 की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. संवेदक कंपनी रांची एक्सप्रेस-वे को वर्ष 2011 में रांची-जमशेदपुर फोर लेनिंग का कार्य मिला था. फोर लेनिंग कार्य जून 2015 में पूरा कर लेना था, लेकिन आज तक अधूरा है.

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