झारखंड के सांसदों का लेखा-जोखा : विद्युत महताे ने पूछे सबसे ज्यादा सवाल, कड़िया मुंडा और शिबू साेरेन ने नहीं पूछे एक भी सवाल
संजय, रांची : लोकसभा (16वीं) के सत्र का अवसान हो गया है. पांच वर्ष के कार्यकाल के अंतिम दिनों में यह वक्त सांसदों की सक्रियता व उनका प्रदर्शन आंकने का है. दरअसल, कामकाज व सक्रियता ही किसी सांसद की पहचान भी है.अपने झारखंड के सांसदों की बात की जाये, तो 14 लोकसभा सांसदों में से […]
संजय, रांची : लोकसभा (16वीं) के सत्र का अवसान हो गया है. पांच वर्ष के कार्यकाल के अंतिम दिनों में यह वक्त सांसदों की सक्रियता व उनका प्रदर्शन आंकने का है. दरअसल, कामकाज व सक्रियता ही किसी सांसद की पहचान भी है.अपने झारखंड के सांसदों की बात की जाये, तो 14 लोकसभा सांसदों में से सवाल पूछने के मामले में सबसे ज्यादा सक्रिय रहे जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो. एक जून 2014 से 13 फरवरी 2019 तक 55 वर्षीय इस सांसद ने सदन में कुल 983 सवाल उठाये.
सवाल पूछनेवालों में दूसरा स्थान गोड्डा के निशिकांत दुबे (767) का जबकि तीसरा स्थान रांची के सांसद रामटहल चौधरी (623) का रहा है. वहीं अपने राज्य के दो बुजुर्ग सांसद खूंटी के कड़िया मुंडा तथा दुमका के शिबू सोरेन ने अपने पूरे कार्यकाल में कोई सवाल नहीं पूछा. कड़िया ने सिर्फ दो बहस (डिबेट) में हिस्सा लिया, जबकि शिबू बहस के दौरान भी चुप रहे.
बहस में हिस्सा लेने में निशिकांत झारखंड के सबसे सक्रिय व मुखर सांसद रहे. उन्होंने सर्वाधिक 337 बहस में हिस्सा लिया तथा सबसे अधिक (48) प्राइवेट मेंबर बिल भी लाये. चतरा के सांसद सुनील कुमार सिंह दूसरे सांसद हैं, जिन्होंने निशिकांत के बाद सबसे अधिक प्राइवेट मेंबर बिल (22) लाया.
- सवाल पूछनेवालाें में रांची के सांसद रामटहल चाैधरी का तीसरा स्थान.
- प्राइवेट मेंबर बिल लाने में दूसरे नंबर पर रहे चतरा सांसद सुनील सिंह
इधर सदन में सक्रियता के मामले में हम उम्र (60 वर्षीय) व हमनाम तथा एक ही पार्टी (भाजपा) से ताल्लुक रखने वाले राज्य के दो सांसदों में से गिरिडीह के सांसद रवींद्र कुमार पांडेय, कोडरमा के सांसद रवींद्र कुमार राय पर भारी पड़े हैं. राज्य के कुल 14 में से दो सांसद सुदर्शन भगत व जयंत सिन्हा मंत्री भी हैं.
इनका ब्योरा तकनीकी कारणों से उपलब्ध नहीं है. जयंत नवंबर 2014 में मंत्री बनाये गये थे. यहां दिये गये आंकड़े में उनके द्वारा पूछे गये सवाल तथा बहस में हिस्सा लेने की संख्या नवंबर 2014 से पहले की है.