बिना उड़े हेलीकॉप्टर का भाड़ा 31.25 लाख

रांची: झारखंड सरकार हेलीकॉप्टर को बिना उड़ाये ही प्रतिमाह 31.25 लाख रुपये भाड़ा दे रही है. जनवरी से अब तक 1.56 करोड़ रुपये भाड़ा हो चुका है. नागर विमानन विभाग के आग्रह के बावजूद अफसर हेलीकॉप्टर से आने-जाने में कतराते हैं. जबकि शर्तो के अनुरूप सरकार को हेलीकॉप्टर का भाड़ा देना पड़ रहा है. अर्जुन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:45 PM

रांची: झारखंड सरकार हेलीकॉप्टर को बिना उड़ाये ही प्रतिमाह 31.25 लाख रुपये भाड़ा दे रही है. जनवरी से अब तक 1.56 करोड़ रुपये भाड़ा हो चुका है. नागर विमानन विभाग के आग्रह के बावजूद अफसर हेलीकॉप्टर से आने-जाने में कतराते हैं. जबकि शर्तो के अनुरूप सरकार को हेलीकॉप्टर का भाड़ा देना पड़ रहा है.

अर्जुन मुंडा के साथ हुए हादसे के बाद से समाया डर
राज्य सरकार ने जनवरी-2013 से पांच सीटर हेलीकॉप्टर भाड़े पर लिया है. तब सरकार थी. हेलीकॉप्टर मंत्रियों व बड़े अधिकारियों के लिए लिया गया था. आर्यन एविएशन से भाड़े पर लिये गये हेलीकॉप्टर के लिए शर्त थी कि उड़ान हो या न हो, महीने में कम से कम 25 घंटे के भाड़े की गारंटी देनी होगी. प्रति घंटे उड़ान पर 1.25 लाख रुपये का भाड़ा लिया जाता है. मिनिमम गारंटी की वजह से सरकार को 25 घंटे की उड़ान का भाड़ा 31.25 लाख रुपये देना पड़ रहा है. जनवरी में ही राष्ट्रपति शासन लग गया. मंत्री नहीं रहे.

नागर विमानन विभाग द्वारा सरकार से आग्रह किया गया कि जब भी अफसर राजधानी से बाहर विभागीय काम से जाते हैं, हेलीकॉप्टर की सेवा ले सकते हैं. स्थिति यह है कि अफसर हेलीकॉप्टर से जाने के बजाय सड़क मार्ग से जाना पसंद करते हैं. परिणामस्वरूप हेलीकॉप्टर को बिना उड़ाये ही भाड़ा देना पड़ रहा है.

सरकार ने यूरोकॉप्टर के डोफलिन ए- 665 को भाड़े पर लिया है. यह पांच सीटर हेलीकॉप्टर है, जिसमें एयर कंडीशंड भी लगा है. इसमें डबल इंजन है और दो पायलट की सुविधा भी है. इसके बावजूद कोई नहीं जाना चाहता. राज्य के एक अधिकारी ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के साथ हुए हादसे के बाद से अफसर हेलीकॉप्टर से कम ही जाना पसंद करते हैं.

जनवरी से अब तक 30 घंटे ही उड़ान
बताया गया कि जनवरी से अब तक हेलीकॉप्टर ने 30 घंटे की उड़ान ही भरी है, जिसमें दो बार राज्यपाल ने राष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान इस्तेमाल किया था. राज्यपाल ने भी कहा है कि वह सड़क मार्ग से जाने के क्रम में भौतिक स्थिति देखते हैं. यही वजह है कि उन्होंने हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल कम कर दिया है.

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