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झारखंड में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं लेक्चरर्स, एक कॉलेज से तीन की सेवा समाप्त

सुनील कुमार झा रांची : झारखंड में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं लेक्चरर्स. कॉलेज के शिक्षकों की डिग्री व प्रमाण पत्र फर्जी होने, गलत तथ्यों की जानकारी देकर नियुक्त होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. मांडर कॉलेज के तीन शिक्षकों की सेवा विश्वविद्यालय ने समाप्त कर दी है. केसीबी कॉलेज बेड़ो […]

सुनील कुमार झा

रांची : झारखंड में फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं लेक्चरर्स. कॉलेज के शिक्षकों की डिग्री व प्रमाण पत्र फर्जी होने, गलत तथ्यों की जानकारी देकर नियुक्त होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. मांडर कॉलेज के तीन शिक्षकों की सेवा विश्वविद्यालय ने समाप्त कर दी है. केसीबी कॉलेज बेड़ो के तीन शिक्षकों के प्रमाण पत्र में भी गड़बड़ी पायी गयी है. इनके खिलाफ भी कार्रवाई की बात चल रही है.

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एक ओर नवांगीभूत कॉलेज के शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी होने का मामला सामने आ रहा है, तो दूसरी ओर शिक्षकों के प्रमाण पत्र का सत्यापन अब तक प्रक्रिया के अनुरूप नहीं हुआ है. विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि इन कॉलेजों में कार्यरत कई ऐसे शिक्षक हैं, जिनका प्रमाण पत्र जांच में फर्जी निकल सकता है.

सरकारी नौकरी में प्रमाण पत्रों का सत्यापन संबंधित बोर्ड द्वारा कराये जाने का प्रावधान है. राज्य भर में 12 नवांगीभूत कॉलेज हैं. राज्य के नवांगीभूत कॉलेजों का वर्ष 1986 में सरकारीकरण हुआ. कॉलेजों के सरकारीकरण के बाद संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा इन कॉलेजों के शिक्षकों की सेवा तो अधिग्रहीत कर ली गयी, पर इनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया गया.

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विश्वविद्यालय ने प्रमाण पत्रों का सत्यापन समय पर करा लिया होता, तो फर्जी डिग्री पर शिक्षक वर्षों काम नहीं कर पाते. ऐसे अधिकतर शिक्षक रिटायरमेंट के करीब हैं. अब तक इनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हुआ. रांची विश्वविद्यालय में मांडर कॉलेज मांडर, केसीबी कॉलेज बेड़ो, बीएनजे कॉलेज सिसई व पीपीके कॉलेज बुंडू नवांगीभूत कॉलेज हैं.

बेड़ो कॉलेज के तीन शिक्षकों की डिग्री फर्जी, जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं

केसीबी कॉलेज बेड़ो के तीन शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्र फर्जी होने की शिकायत विश्वविद्यालय को मिली थी. विश्वविद्यालय को वर्ष 2008-09 में इसकी शिकायत मिली थी. विश्वविद्यालय ने जांच कमेटी गठित कर मामले की जांच करायी थी. कमेटी ने मामले की जांच कर रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी थी. इसके बावजूद विश्वविद्यालय द्वारा आज तक उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी. प्राप्त जानकारी के अनुसार कमेटी ने तीन में से एक शिक्षक के स्नातकोत्तर की डिग्री को जांच में गलत बताया था, जबकि एक शिक्षक की डिग्री को भी संदेहास्पद बताया गया था.

इंप्रूवमेंट परीक्षा में फंस सकते हैं दर्जन भर शिक्षक

मांडर कॉलेज के शिक्षक सच्चिदानंद प्रसाद की सेवा विश्वविद्यालय ने इसलिए समाप्त कर दी, कि उन्हें नियुक्ति के समय स्नातकोत्तर में तय मापदंड के अनुरूप अंक नहीं था. उन्होंने दो वर्ष बाद इंप्रूवमेंट परीक्षा दी, जबकि प्रावधान के अनुरूप विद्यार्थी अपने सत्र की इंप्रूवमेंट परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. विश्वविद्यालय सूत्रों का कहना है कि रांची विवि के नवांगीभूत कॉलेजों में कई ऐसे शिक्षक कार्यरत हैं, जिन्हें नियुक्ति के समय स्नातकोत्तर में तय मापदंड से कम अंक था. वे बाद में इंप्रूवमेंट परीक्षा में शामिल हुए. कुछ शिक्षक तो ऐसे हैं, जिन्होंने नियुक्ति के बाद पीजी की परीक्षा पास की है.

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विनोबा भावे विश्वविद्यालय के एक शिक्षक वर्ष 1991 तक सरकारी विद्यालय में शिक्षक थे. इसके बाद उन्होंने कॉलेज शिक्षक के रूप में 1983 से अपना योगदान दिखा दिया. राज्य भर के नवांगीभूत कॉलेज के शिक्षकों की प्रमाण पत्रों की प्रक्रिया के अनुरूप जांच होने पर कई और शिक्षकों की सेवा समाप्त हो सकती है.

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