रांची : रिम्स निदेशक ने अस्पताल के डॉक्टरों को एक बार फिर दी चेतावनी

रांची : निजी प्रैक्टिस करनेवाले रिम्स के डॉक्टरों को निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने फिर चेतावनी दी है. उन्होंने डॉक्टरों से स्पष्ट कहा है कि अगर वे निजी प्रैक्टिस करते हुए पाये गये, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. नियमानुसार उनकी गिरफ्तारी तक हो सकती है. निदेशक के अनुसार सरकार का स्पष्ट निर्देश […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2019 8:54 AM
रांची : निजी प्रैक्टिस करनेवाले रिम्स के डॉक्टरों को निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने फिर चेतावनी दी है. उन्होंने डॉक्टरों से स्पष्ट कहा है कि अगर वे निजी प्रैक्टिस करते हुए पाये गये, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. नियमानुसार उनकी गिरफ्तारी तक हो सकती है.
निदेशक के अनुसार सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि निजी प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टरों से पहले बाहर सेवा नहीं देने का आग्रह किया जाये. इसके बाद भी वह नहीं मानते हैं, तो सख्त कार्रवाई की जाये. डॉ सिंह ने कहा : मैं सरकार के निर्देशों का पालन कर रहा हूं. डॉक्टर रिम्स के साथ ईमानदारी नहीं बरत रहे हैं, जिससे मरीजों को शतप्रतिशत लाभ नहीं मिल पा रहा है.
निदेशक की छापेमारी से रिम्स के डॉक्टर नाराज
इधर, निदेशक द्वारा अस्पताल और क्लिनिक में छापेमारी करने के बाद रिम्स के डॉक्टरों में नाराजगी है. हालांकि वे खुलकर इसका विरोध नहीं कर पा रहे हैं. निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को यह भय है कि अगर वह खुलकर सामने आ गये, तो सरकार की नजर में चढ़ जायेंगे. उन पर सख्त कार्रवाई तक हो सकती है. वहीं नाॅन-क्लिनिकल (वैसे डॉक्टर, जो शिक्षण का कार्य करते हैं) के डॉक्टर निदेशक की कार्रवाई से खुश हैं. उनका कहना है कि जब एनपीए मिल ही रहा है, तो निजी प्रैक्टिस क्यों हो रही है.
निदेशक से मिले डॉक्टर कहा : नहीं करेंगे प्रैक्टिस
रिम्स के बरियातू क्षेत्र के क्लिनिक में निजी प्रैक्टिस करने वाले एक डॉक्टर ने मंगलवार को निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह से मुलाकात की. उन्होंने निजी प्रैक्टिस नहीं करने का भरोसा दिलाया. हालांकि, निदेशक ने उनको दोबारा हिदायत दिया कि अगर निजी प्रैक्टिस करना है, तो रिम्स छोड़ दें.
बिना सूचना के छुट्टी पर गयी नर्स पर कार्रवाई करें मेट्रान, वरना इस्तीफा दें
रांची : रिम्स निदेशक डॉ दिनेश सिंह ने ट्रॉमा सेंटर में 23 फरवरी को किये गये निरीक्षण में बिना सूचना के छुट्टी पर गयी सिस्टर इंचार्ज लिल्ली पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. मेट्रान को उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अगर आप कार्रवाई करना नहीं चाहती है, तो स्वयं इस्तीफा दें. उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण वार्ड में मरीज भर्ती थे, लेकिन सिस्टर इंचार्ज बिना सूचना के गायब थीं. यह गंभीर मामला है. जानकारी के अनुसार निदेशक द्वारा सख्त होने पर मेट्रॉन ने शो कॉज जारी कर दिया है.
कई डॉक्टर अब भी बेफिक्र
रिम्स निदेशक द्वारा कार्रवाई करने के बाद भी कई डॉक्टरों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. वह बेखौफ होकर अपनी क्लिनिक व अस्पताल में परामर्श दे रहे हैं. जोड़ा तालाब, मेडिकल चौक से विकास भारती तक के अस्पताल व क्लिनिक में, रिम्स से बूटी मोड़ तक, डोरंडा क्षेत्र, कांके क्षेत्र क्षेत्र में जाकर रिम्स के डॉक्टर परामर्श दे रहे हैं.
40 साल बाद रेडियोलॉजी विभाग की पीजी सीट को मिली मान्यता
रांची : रिम्स में वर्ष 1978-79 में शुरू हुए रेडियोलॉजी विभाग की पीजी सीट को आखिरकार 40 साल बाद मान्यता मिल ही गयी. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की डॉ रीना नैय्यर ने रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह को पीजी सीटों को मान्यता दिये जाने की जानकारी दी है.
निदेशक डॉ सिंह ने बताया कि मान्यता की राह में रोड़ा बन रहीं कमियां दूर कर ली गयी हैं. विभाग में डीएमआरडी सीट को शीघ्र ही एमडी कोर्स में शामिल कर दिया जायेगा.
इसकी प्रक्रिया चल रही है. निदेशक ने इस उपलब्धि के लिए रेडियोलॉजी विभाग को बधाई तो दी, पर स्पष्ट कर दिया कि वह विभाग के सीनियर और जूनियर डॉक्टरों की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं है. उन्होंने विभाग में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को कहा है, ताकि जांच के लिए आनेवाले मरीजों को तत्काल सेवा मिल सके. गौरतलब है एमसीआइ द्वारा लगातार किये जा रहे निरीक्षण में फैकल्टी व उपकरण की कमी को लेकर प्रश्नचिह्न खड़े किये जाते रहे हैं. एमसीआइ को बताया गया है कि सीटी व एमआरआइ मशीन की खरीद की प्रक्रिया चल रही है.
आधे घंटे गुल रही इमरजेंसी की बिजली
रांची : रिम्स के इमरजेंसी वार्ड में मंगलवार को आधे घंटे के लिए बिजली गुल हो गयी. इससे वार्ड में जीवनरक्षक उपकरण ने काम करना बंद कर दिया. मरीजों का स्वास्थ्य न बिगड़े, इसके लिए चिकित्सक व नर्स बने रहे. आधे घंटे बाद बिजली की सेवा बहाल होने पर मरीज की जान में जान आयी. थोड़ी देर तक अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी. रिम्स में बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था होने के बाद भी अक्सर लापरवाही बरती जाती है.

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