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रांची : परीक्षा के प्रति बच्चों को जागरूक करने के लिए चलायें अभियान

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, नयी दिल्ली की सचिव को लिखा पत्र रांची : 19 फरवरी से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हैं, जो 15 मार्च तक चलेंगी. परीक्षाआें को लेकर छात्र-छात्राएं टेंशन में रहते हैं. इस वजह से वे आत्महत्या जैसा गलत रास्ता भी अख्तियार कर लेते […]

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, नयी दिल्ली की सचिव को लिखा पत्र
रांची : 19 फरवरी से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हैं, जो 15 मार्च तक चलेंगी. परीक्षाआें को लेकर छात्र-छात्राएं टेंशन में रहते हैं. इस वजह से वे आत्महत्या जैसा गलत रास्ता भी अख्तियार कर लेते हैं. इसको देखते हुए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग, नयी दिल्ली की सचिव रीना राय को पत्र लिखा है.
उन्होंने कहा है कि परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों के दिमाग में टेंशन रहता है. एनसीआरबी के आंकड़े गंभीर चिंता की ओर इशारा करते हैं. इसलिए जरूरी है कि बच्चों को परीक्षा के टेंशन से मुक्त करने के लिए उन्हें विभिन्न माध्यमों से जागरूक कर उनका टेंशन दूर किया जाये.
इसको लेकर अभियान चलाया जाये़ इसके लिए स्कूल स्तर पर काउंसलिंग के अलावा रेडियो में जिंगल, सोशल मीडिया ट्वीटर, फेसबुक के माध्यम से भी छात्रों के लिए लाइव सेशन चलाया जाये, ताकि उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाने से रोका जाये. उन्होंने पत्र में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा 29 जनवरी को मन की बात में कहे गये उस बात का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि परीक्षा एक उत्सव है. परीक्षा को ऐसे लीजिये जैसे मानों एक त्योहार है.
तीन वर्षों में 26476 छात्रों ने की आत्महत्या : एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश में वर्ष 2012 से 2016 तक कुल 26476 छात्रों ने आत्महत्या की है. इनमें 7462 छात्रों ने विभिन्न परीक्षाओं में फेल होने की वजह से आत्महत्या का रुख अख्तियार किया.
देश में परीक्षा में असफल विद्यार्थियों द्वारा आत्महत्या किये जाने के मामले में सीबीएसइ के क्षेत्रीय को-ऑर्डिनेटर व गुरुनानक स्कूल के प्राचार्य डॉ मनोहर लाल ने कहा कि अभिभावक विद्यार्थियों पर प्रेशर नहीं बनायें. उनसे बातें करें और उन्हें प्रोत्साहित करें. 10वीं व 12वीं बोर्ड ऐसा नहीं है कि असफल होने पर सभी द्वार बंद हो जाते हैं. इसके बाद दोबारा परीक्षा और अन्य चीजों के लिए विकल्प मौजूद हैं. अभिभावक अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से नहीं करें.

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