Loading election data...

महागठबंधन को झटका : हेमंत सोरेन ने कहा, पहले मरांडी से धोखा खा चुके हैं, इस बार सतर्क हैं

गिरिडीह/रांची : झारखंड में यूपीए महागठबंधन का स्वरूप तय करने की कवायद दिल्ली से रांची तक चल रही है़ कांग्रेस, झामुमो, झाविमो और राजद नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है़ इधर गिरिडीह में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष व प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने गठबंधन के साथी बाबूलाल मरांडी पर निशाना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 6, 2019 7:22 AM
गिरिडीह/रांची : झारखंड में यूपीए महागठबंधन का स्वरूप तय करने की कवायद दिल्ली से रांची तक चल रही है़ कांग्रेस, झामुमो, झाविमो और राजद नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है़ इधर गिरिडीह में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष व प्रतिपक्ष के नेता हेमंत सोरेन ने गठबंधन के साथी बाबूलाल मरांडी पर निशाना साधा है़
श्री सोरेन ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व ही विधानसभा की सीटों का बंटवारा हो जाना चाहिए़ इसके लिए जेएमएम अपनी ओर से पहल भी कर रहा है. हेमंत ने कहा : पिछले चुनावों में बाबूलाल मरांडी की नीतियों से जेएमएम ने धोखा खाया है. बार-बार वह धोखा नहीं खा सकते. इसलिए वह इस बार सतर्क हैं. श्री साेरेन प्रभात खबर के साथ बातचीत कर रहे थे़
लेफ्ट काे भी शामिल करें : श्री साेरेन ने आशंका जतायी कि यदि लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी की हार होती है, तो वह विधानसभा चुनाव में निर्णय पर पलट भी सकते हैं. श्री सोरेन ने कहा कि वोटों के बिखराव को रोकने के लिए महागठबंधन में वामपंथ दलों को भी शामिल करना चाहिए. गोड्डा सीट पर चल रहे विवाद पर उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और झाविमो के बीच बातचीत चल रही है.
शीघ्र ही यह विवाद समाप्त कर लिया जायेगा. श्री सोरेन ने कहा कि पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक सेना की बहुत बड़ी उपलब्धि है़ देश को इस पर गर्व है, लेकिन भाजपा एयर स्ट्राइक पर भी राजनीति कर रही है और चुनावी लाभ लेने की कोशिश कर रही है.
हेमंत सोरेन ने कहा कि पूंजीपतियों के इशारे पर भाजपा रैयतों को बेदखल करने की साजिश झारखंड समेत देश भर में रच रही है. झारखंड में वर्षों से कायम जमाबंदी को जबरन रद्द कराया जा रहा है. झारखंडी परंपरा के विपरीत झारखंड के लोगों को जमीन से बेदखल किया जा रहा है. हाइकोर्ट के निर्देशों का भी ख्याल नहीं किया जा रहा है.
श्री सोरेन ने कहा कि आने वाले समय में झारखंड में जमीन विवाद और बढ़ेगा. सरकार की अदूरदर्शिता के कारण झारखंड के लोग जमीन विवाद में उलझते जा रहे हैं. एक ओर जहां आदिवासियों को जंगल से निकालने की कोशिश हो रही है, वहीं दूसरी ओर लंबे अर्से से जमीन पर काबिज रहे लोगों की जमाबंदी रद्द की जा रही है.

Next Article

Exit mobile version