रांची : अवैध कब्जा वालों को मुआवजा देने पर अब तक नहीं हुई कार्रवाई

रांची : पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में अवैध कब्जा करनेवालों को 354.2 करोड़ रुपये मुआवजा देने के मामले में अब तक कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी है. उक्त परियोजना में सरकारी (गैर मजरूआ) जमीन के फर्जी दस्तावेज को आधार बना कर मुआवजा लेने की शिकायत मिली थी. इसके बाद राज्य सरकार ने जांच के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 12, 2019 9:44 AM
रांची : पकरी बरवाडीह कोल परियोजना में अवैध कब्जा करनेवालों को 354.2 करोड़ रुपये मुआवजा देने के मामले में अब तक कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी है. उक्त परियोजना में सरकारी (गैर मजरूआ) जमीन के फर्जी दस्तावेज को आधार बना कर मुआवजा लेने की शिकायत मिली थी.
इसके बाद राज्य सरकार ने जांच के लिए एसआइटी का गठन किया था. जांच के बाद सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता ने सरकार को अपनी रिपोर्ट दी थी. उन्होंने राज्य सरकार और एनटीपीसी के अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाये थे. इस परियोजना में 3000 एकड़ सरकारी जमीन का मुआवजा वैसे लोगों को दिया गया, जिनका नाम रजिस्टर-टू में नहीं था. सरकारी अधिकारियों ने इन लोगों को औसतन 10 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया. इससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ.
रिपोर्ट में एनटीपीसी की ओर से अवैध कब्जाधारियों को 15-20 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने के फैसले पर आपत्ति जतायी थी. कहा था कि भूमि अधिग्रहण कानून और कोल बियरिंग एक्ट के दायरे में ही जमीन के असली मालिकों को मुआवजा दिया जाना चाहिए था. इसके बावजूद अवैध कब्जाधारियों को मुआवजा दिया गया. 21 फरवरी 2015 को एनटीपीसी के सीएमडी के हस्ताक्षर से हजारीबाग जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ हुई बैठक प्रोसिडिंग तैयार हुई.
इसमें लिखा गया कि अवैध कब्जाधारियों को मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है. अवैध कब्जा करनेवाले बहुत ही गरीब और पिछड़े हैं. उनका जीवन- यापन इसी जमीन पर निर्भर है. एनटीपीसी के पास ऐसे 2769 लोगों की सूची है. पर यह सूची कहां से और किस सर्वे का माध्यम से मिली है, यह स्पष्ट नहीं है. इनमें 2000 लोग ऐसे हैं, जिनके पास औसतन दो ही डिसमिल जमीन है. दो डिसमिल जमीन पर ही किसी परिवार का जीवन-यापन निर्भर होना संभव नहीं है.
एनटीपीसी की सूची में ऐसे जमीन मालिकों के भी नाम हैं, जिनके पास सिर्फ 20 वर्ग फुट खेती की जमीन है. इन आंकड़ों को देखते हुए देवाशीष गुप्ता ने सरकार को सुझाव दिया था कि इस मामले को कोयला और ऊर्जा मंत्रालय के पास ले जाया जाये और इसकी जांच करायी जाये. लेकिन राज्य सरकार ने उनकी पूरी रिपोर्ट जिला प्रशासन के पास यह कहते हुए भेज दी कि प्रशासन इस मामले में शामिल दोषी सरकारी अधिकारियों को चिह्नित कर आवश्यक कार्रवाई करे.
लेकिन इस मामले में अब तक कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी. वहीं राजस्व भूमि सुधार एवं निबंधन विभाग ने एनटीपीसी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक को पत्र लिख दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा था, लेकिन कार्रवाई की बात भी सामने नहीं आयी. बता दें कि इस मामले में सीबीआइ भी पीई दर्ज कर मामले की जांच करीब एक साल से कर रही है.

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