रांची : जानवर जब आदमखोर हो जाये, तो उसे मारना ही होगा

देश के जाने-माने हंटर नवाब शफत अली खान ने कहा, वन विभाग को काम करने में परेशान कर रहे हैं कई एनजीओ सरकारी प्रयास से ही कम होंगे हाथी व मानव द्वंद्व रांची : जानवर जब आदमखोर हो जाये, तो उसे मारना ही होगा. इसका विरोध नहीं होना चाहिए. इसका विरोध कर कुछ प्रतिष्ठित एनजीओ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 13, 2019 9:13 AM
देश के जाने-माने हंटर नवाब शफत अली खान ने कहा, वन विभाग को काम करने में परेशान कर रहे हैं कई एनजीओ
सरकारी प्रयास से ही कम होंगे हाथी व मानव द्वंद्व
रांची : जानवर जब आदमखोर हो जाये, तो उसे मारना ही होगा. इसका विरोध नहीं होना चाहिए. इसका विरोध कर कुछ प्रतिष्ठित एनजीओ वन विभाग को काम करने से रोक रहे हैं.
हमें पहले इंसान की जान की कीमत को समझना होगा. लेकिन, हम दर्जन भर आदमी के मरने के बाद भी जानवर को मारने की अनुमति लेने के लिए इंतजार करते हैं. उक्त बातें देश के जाने-माने हंटर नवाब शफत अली खान ने कही. राजधानी में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आये नवाब से प्रभात खबर से विशेष बातचीत की. नवाब अली ने कहा कि बड़े-बड़े एनजीओ वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन के नाम पर वन विभाग के अधिकारियों को काम नहीं करने दे रहे हैं. महाराष्ट्र में 13 जनजातीय लोगों की मौत के बाद आदमखोर बाघ को मारने की अनुमति मिली.
झारखंड के साहेबगंज में भी 14 पहाड़िया लोगों के मारे जाने का इंतजार किया गया. इस तरह के निर्णय का विरोध होगा, तो बहुत हिम्मत वाले वन अधिकारी ही अनुमति दे पायेंगे.
हाथियों के लायक जंगलों में कोई परिवेश नहीं : झारखंड में 60 से 65 लोग हर साल हाथी द्वारा मारे जाते हैं. इसके पीछे हाथियों और लोगों की बढ़ती संख्या है. वन क्षेत्र घट रहा है और दोनों की संख्या बढ़ रही है. हाथियों के लायक जंगलों में कोई परिवेश नहीं है. इससे बचने के लिए विकास करना होगा. जलावन के लिए लोगों को जंगल में जाने से रोकना होगा, पानी की व्यवस्था करनी होगी. जंगल के अंदर हाथियों के खान-पान का उपाय करना होगा.
क्या कहते हैं आंकड़े
1980 में भारत में 15700 हाथी थे. आज 30 हजार हाथी हो गये हैं. वहीं जंगलका क्षेत्रफल 15 से 18 फीसदी घटा है. आबादी 60 करोड़ से 120 करोड़ पहुंच गयी है. ऐसे में हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि आदमी और हाथी के संघर्ष को कम किया जाये
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कौन हैं नवाब शफत अली खान
मूल रूप से हैदराबाद के रहनेवाले नवाब शफत अली खान अब तक दर्जनों बाघ व हाथियों को मार व बेहोश कर चुके हैं. जानवरों को मारने का काम ये नि:शुल्क करते हैं. कई राज्यों ने नवाब को सलाहकार भी बनाया है.
वन्य प्राणियों के उत्पात को रोकने का प्रयास करेगा वन विभाग
वन अधिकारियों के लिए वन विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को वन्य प्राणी और मानव टकराव रोकने के उपाय की जानकारी दी गयी. इसका आयोजन होटल बीएनआर में किया गया. इसमें पीसीसीएफ वन्य प्राणी पीके वर्मा ने कहा कि 2019-20 में वन विभाग पूर्ण रूप से वन्य प्राणियों के उत्पात को रोकने का प्रयास करेगा. इसके लिए अधिकारियों को तकनीकी रूप से समृद्धि किया जा रहा है.
कार्यशाला में विशेषज्ञ के रूप में मौजूद नवाब शफत अली खान ने टकराव रोकने के तकनीकी पहलू की जानकारी दी. भगवान बिरसा मुंडा जू के पशु चिकित्सक डॉ अजय कुमार ने जानवरों को बेहोश करने और मारने के लिए उपयोग किये जाने वाले उपकरणों की जानकारी दी. इसमें करीब 75 अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं.

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