कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए अब तक क्यों नहीं खरीदे उपकरण
रांची : स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित बैठक में रिम्स प्रबंधन को कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए उपकरण की खरीद नहीं करने पर नाराजगी जतायी गयी. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह को कहा गया कि आपके यहां अब तक 38 करोड़ का फंड भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक उपकरणों की खरीद क्यों […]
रांची : स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दिल्ली में आयोजित बैठक में रिम्स प्रबंधन को कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए उपकरण की खरीद नहीं करने पर नाराजगी जतायी गयी. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह को कहा गया कि आपके यहां अब तक 38 करोड़ का फंड भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक उपकरणों की खरीद क्यों नहीं की गयी है?
इस पर निदेशक ने बताया कि उन्होंने चार माह पहले रिम्स में योगदान दिया है, इसलिए पूरे मामले को समझ कर उचित कार्रवाई करेंगे. मंत्रालय की ओर से कहा गया कि जब तक रिम्स द्वारा उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं भेजा जाता तब तक शेष राशि नहीं भेजी जायेगी.
सरकार जब कैंसर मरीजों के लिए बेहतर सुविधा देने का प्रयास कर रही है, तो उदासीनता क्यों दिखायी जा रही है? निदेशक को बताया कि अधिकांश राज्यों में कैंसर के दो-तीन इंस्टीट्यूट है, लेकिन राज्य में एक भी ढंग का सरकारी कैंसर इंस्टीट्यूट है.
डॉ सिंह को कहा गया कि वह अपने राज्य सरकार से इस दिशा में पहल करने की सलाह दें, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इसमें मदद करेगा. निदेशक को कहा गया कि कैंसर इंस्टीट्यूट को बेहतर करने के लिए 1.20 करोड़ रुपये की मदद की जा रही है, जिसका उपयोग किया जाये.
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिल्ली में आयोजित की गयी थी अहम बैठक
कैंसर इंस्टीट्यूट को लेकर रिम्स निदेशक डॉ डीके सिंह ने रखी अपनी बात
मंत्रालय ने निदेशक को शीघ्र उपयोगिता प्रमाण पत्र सौंपने का निर्देश दिया
डेंटल कॉलेज में बनेगा वीआइपी डेंटल क्लिनिक
रिम्स डेंटल कॉलेज में वीआइपी मरीजों के लिए अलग क्लिनिक होगा. इसमें दो डेंटल चेयर लगायेे जायेंगे. यह क्लिनिक ग्राउंड फ्लोर में डेंटल काउंसिल के बगल में तैयार किया जायेगा.
इसके अलावा ग्राउंड फ्लोर में ही कैफिटेरिया का निर्माण कराया जायेगा, जिसका खाका तैयार कर लिया गया है. एजेंसी का चयन कर उसको कैफेटेरिया का जगह दिया जायेगा.
निदेशक ने डॉक्टर्स कॉलोनी का लिया जायजा
रांची. रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने शुक्रवार को ब्वायज हॉस्टल व डॉक्टर्स काॅलोनी का निरीक्षण किया. वह नये फैकल्टी की नियुक्ति के बाद उनके रहने की व्यवस्था का जायजा लेने आये थे.
उन्होंने बताया कि फैकल्टी में कई डॉक्टर बाहर से आयेंगे, जिनको तत्काल आवास उपलब्ध कराना होगा. कई भवन जर्जर अवस्था में हैं, जिन्हें मरम्मत की जरूरत है. मल्टीस्टोरी भवन बनाया जाये, तो आवास की समस्या काफी हद तक दूर हो जायेगी.