अप्रैल से पूरे झारखंड में बालू संकट की आशंका

सुनील चौधरी, रांची : झारखंड में अप्रैल से बालू संकट की स्थिति पैदा हो सकती है. लोकसभा चुनाव के कारण देश में आचार संहिता लागू होने के कारण झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) आरएफपी के तहत चयनित एजेंसी के साथ 19 मई तक एग्रीमेंट नहीं कर सकेगा. इस तरह 60 बालू घाटों में उत्खनन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2019 2:39 AM

सुनील चौधरी, रांची : झारखंड में अप्रैल से बालू संकट की स्थिति पैदा हो सकती है. लोकसभा चुनाव के कारण देश में आचार संहिता लागू होने के कारण झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (जेएसएमडीसी) आरएफपी के तहत चयनित एजेंसी के साथ 19 मई तक एग्रीमेंट नहीं कर सकेगा. इस तरह 60 बालू घाटों में उत्खनन नहीं हो पायेगा.

दरअसल, राज्य में बालू संकट से निपटने के लिए जेएसएमडीसी ने पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के 60 बालू घाटों में माइनिंग, ट्रांसपोर्टेशन, स्टॉकिंग और लोडिंग के लिए एजेंसी चयन के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) 26 फरवरी 2019 को निकाला था. आरएफपी खोलने की तिथि 26 मार्च है.
विभागीय सूत्रों ने बताया कि अभी आरएफपी निकला है, प्रोसेसिंग होने और फाइनेंशियल बिड खोलने में एक माह लग जायेंगे. यदि इस दौरान आरएफपी फाइनल भी हो जाता है, तो आचार संहिता लागू होने तक एग्रीमेंट फाइनल नहीं हो सकता है.
पांच हेक्टेयर से अधिक के बालू घाटों में एनजीटी के आदेश का संकट
राज्य सरकार ने सारे बालू घाटों पर जेएसएमडीसी को अधिकार दे दिया है. जेएसएमडीसी द्वारा अप्रैल से घाटों से बालू उत्खनन की तैयारी की जा रही थी.
इसी दौरान एनजीटी का आदेश आने के बाद अब सारे बालू घाटों के लिए इआइए, इएमपी एवं जनसुनवाई अनिवार्य है. राज्य में पांच हेक्टेयर से अधिक के घाटों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के कारण छह से सात माह के पहले बालू उत्खनन नहीं हो सकता.
एनजीटी द्वारा 13.9.2018 और 11.12.2018 के आदेश के आलोक में पांच से 25 हेक्टेयर तक के बालू घाटों की पर्यावरणीय स्वीकृति में इन्वाॅयरमेंट इंपैक्ट असेसमेंट (इआइए), इन्वाॅयरमेंटल मैनेजमेंट प्लान (इएमपी) और जनसुनवाई अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार भी मान रही है कि इस प्रक्रिया को पूरा करने में छह-सात माह लग जायेंगे. मुख्य सचिव इस मुद्दे पर लगातार बैठक कर वैकल्पिक व्यवस्था करने का निर्देश दे चुके हैं.
बालू घाटों को अवधि विस्तार भी देने का प्रावधान नहीं
दूसरी ओर, पूर्व में नीलामी द्वारा संचालित बालू घाटों की अवधि या तो समाप्त हो गयी है या 31 मार्च को समाप्त हो जायेगी. इस अवधि के समाप्त होते ही सभी बालू घाट जेएसएमडीसी के अधिकार क्षेत्र में चले जायेंगे.
जब तक जेएसएमडीसी इन बालू घाटों के लिए एजेंसी चयनित नहीं करता, तब तक उत्खनन नहीं होगा. वहीं, नीलामी से हासिल किये गये बालू घाटों को अवधि विस्तार भी देने का प्रावधान नहीं है. ऐसी परिस्थिति में राज्य को बालू की कमी का सामना करना पड़ेगा.
बढ़ायी जा रही है स्टॉक लाइसेंस की अवधि
फिलहाल संकट से निपटने के लिए स्टॉक लाइसेंस की अवधि बढ़ायी जा रही है, ताकि एक से दो महीने तक बालू की कमी को पूरा किया जा सके. इसके बाद 19 मई को जेएसएमडीसी द्वारा आचार संहिता समाप्त होते ही रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) के तहत चयनित एजेंसी से एग्रीमेंट कर लिया जायेगा.
कोट
यह सही है कि अप्रैल में बालू की किल्लत हो सकती है, पर हरसंभव वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. ग्रामीणों के अधीन बालू घाटों से भी बालू की व्यवस्था की जा सकती है और स्टॉक लाइसेंसधारी कंपनियों को क्षमता के अनुरूप स्टॉक रखने का निर्देश दिया जा चुका है.
अबु बकर सिद्दीकी, खान सचिव
पांच हेक्टेयर से कम के 60 बालू घाट और पांच हेक्टेयर से अधिक के 33 बालू घाट के लिए 26 फरवरी को निविदा जारी हुई थी
आचार संहिता समाप्त होने तक नये ऑपरेटर के साथ एग्रीमेंट नहीं हो सकता
पूर्व से चल रहे घाटों की अवधि
31 मार्च को समाप्त हो जायेगी
पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले बालू घाटों पर पूर्व से एनजीटी के आदेश का असर

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