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प्रत्याशी यूपीए का हो या एनडीए का नाराज खेमा को मनाना बड़ी चुनौती, गोड्डा, कोडरमा, गिरिडीह, रांची में है सबसे ज्यादा खतरा
सुनील चौधरी टिकट मिलने के साथ ही भितरघात के खतरों से प्रत्याशियों के होश उड़े रांची : झारखंड के दो-तीन सीटों को छोड़ दें, तो लगभग सभी सीटों पर प्रत्याशियों की सूची या तो तय कर ली गयी है या उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गयी है. अब टिकट से वंचित प्रत्याशियों के […]
सुनील चौधरी
टिकट मिलने के साथ ही भितरघात के खतरों से प्रत्याशियों के होश उड़े
रांची : झारखंड के दो-तीन सीटों को छोड़ दें, तो लगभग सभी सीटों पर प्रत्याशियों की सूची या तो तय कर ली गयी है या उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी गयी है. अब टिकट से वंचित प्रत्याशियों के तेवर भी तल्ख दिख रहे हैं.
कहीं आलाकमान के फैसले के विरोध में धरना-प्रदर्शन हो रहा है, तो कहीं वंचित प्रत्याशी और उनके समर्थक चुपचाप विरोध की रणनीति अपना रहे हैं. ऐसे में टिकट पाने वाले प्रत्याशियों के होश फाख्ता हो रहे हैं कि कहीं भितरघात उनकी बाजी को पलट न दे.
विरोध के तेवर तल्ख : इस मामले में गोड्डा की सीट को लेकर सबसे ज्यादा हंगामा हुआ. सीटों के बंटवारे की घोषणा होने के पूर्व ही यूपीए गठबंधन में सहयोगी दल कुछ सीटों को लेकर तैयारी करने लगे थे. गोड्डा सीट माना जा रहा था कि झाविमो के खाते में जायेगा.
झाविमो से प्रदीप यादव चुनाव की तैयारी में जुट भी गये. इधर सहयोगी दल कांग्रेस के नेता फुरकान अंसारी और उनके पुत्र इरफान अंसारी ने झाविमो के खिलाफ जम कर बैटिंग की. शीर्ष नेतृत्व के हर दरवाजे पर दस्तक दी कि यह सीट कांग्रेस को दी जाये. आलाकमान के दिल्ली दरबार से लेकर झारखंड के दरबार में हाजिरी लगायी गयी.
धमकी तक दी गयी कि आलाकमान के इस फैसले से राज्य के अल्पसंख्यक नाराज होंगे. पर उनकी दाल न गली और अंतत: 24 मार्च को यह सीट झाविमो को दे दी गयी. हालांकि अभी भी फुरकान अंसारी और इरफान अंसारी के तेवर तल्ख हैं. ऐसे में इस सीट पर भी भितरघात का खतरा मंडरा रहा है.
कुछ ऐसी ही स्थिति कोडरमा सीट को लेकर भी है. यूपीए गठबंधन में यह सीट भी झाविमो के खाता में गयी है. बाबूलाल मरांडी यहां से प्रत्याशी होंगे. हालांकि यूपीए गठबंधन एका की जब बात हो रही थी, तब वाम दलों को साथ रखने की बात कही गयी थी. पर वाम दलों को एक भी सीट नहीं मिली, तो भाकपा माले ने कोडरमा में विधायक राजकुमार यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया. ऐसे में सहयोगी ही आपस में भिड़ेंगे.
दूसरी ओर भाजपा के वर्तमान सांसद रवींद्र राय के टिकट कटने के भी संकेत दे दिये गये हैं. ऐसे में भाजपा के जो भी नये प्रत्याशी होंगे, उनके लिए रवींद्र राय और उनके समर्थकों को अपने पाले में लाना एक बड़ी चुनौती होगी. इस सीट पर दोनों खेमे में भितरघात का खतरा मंडरा रहा है. खबर है कि राजद छोड़ कर भाजपा में शामिल हुई अन्नपूर्णा देवी को कोडरमा का टिकट मिल सकता है. ऐसे में उनके लिए भाजपा के समर्थकों को अपने पाले में करना एक चुनौती भरा काम होगा.
गिरिडीह में भी खेल का डर
एनडीए गठबंधन के सहयोगी दल आजसू को यह सीट भाजपा के सांसद रवींद्र पांडेय का टिकट काट कर दिया गया है. रवींद्र पांडेय खुल कर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. उन्होंने निर्दलीय ही चुनाव लड़ने की बात तक कह डाली है. आजसू ने इस सीट पर राज्य सरकार के मंत्री और रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक चंद्रप्रकाश चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. ऐसे में श्री चौधरी के समक्ष सहयोगी दल भाजपा के कार्यकर्ताओं और रवींद्र पांडेय के समर्थकों को अपने पक्ष में करना एक बड़ी चुनौती होगी.
रांची में तो चौधरी जी के तेवर बगावती
रांची लोकसभा सीट से प्रत्याशी की घोषणा भी नहीं हुई है, पर टिकट कटने के संकेत मिलने के साथ ही भाजपा के वर्तमान सांसद रामटहल चौधरी ने बगावती तेवर अपना लिया है. उन्होंने साफ-साफ कह दिया है कि समर्थक नाराज हो गये हैं.
यहां तक कि निर्दलीय चुनाव लड़ने तक के संकेत दे दिये हैं. ऐसे में रांची सीट के लिए जो भी प्रत्याशी होंगे. उनके लिए रामटहल चौधरी को मनाना बड़ी चुनौती होगी. श्री चौधरी इस सीट से लंबे समय तक सांसद रहे हैं. अब वह नये प्रत्याशी को कितना समर्थन दे पायेंगे, यह समय पर निर्भर करता है.
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