धनबाद : अर्थव्यवस्था का गांधीयन मॉडल ही एकमात्र विकल्प : हरिवंश
गांधी मेमोरियल लेक्चर सीरीज का राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने किया उद्घाटन, बोले पूंजीवादी और साम्यवादी अर्थव्यवस्था नहीं रहे हैं सफल धनबाद : राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा है कि गांधी की अर्थव्यवस्था के मॉडल से ही दुनिया का विकास होगा. अब तक पूरी दुनिया ने पूंजीवादी और साम्यवादी अर्थव्यवस्था का असर […]
गांधी मेमोरियल लेक्चर सीरीज का राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने किया उद्घाटन, बोले
पूंजीवादी और साम्यवादी अर्थव्यवस्था नहीं रहे हैं सफल
धनबाद : राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा है कि गांधी की अर्थव्यवस्था के मॉडल से ही दुनिया का विकास होगा. अब तक पूरी दुनिया ने पूंजीवादी और साम्यवादी अर्थव्यवस्था का असर देखा है. हालत यह है कि आज पूरी दुनिया का अस्तित्व खतरे में है. वह सोमवार को आइआइटी आइएसएम के मैनेजमेंट विभाग की ओर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयंती वर्ष के मौके पर आयोजित गांधी मेमोरियल लेक्चर सीरीज के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे.
हरिवंश ने कहा : जब देश आजाद हो हो रहा था, तब महात्मा गांधी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू को अपने देश की अर्थव्यवस्था के ऐसे मॉडल को अपनाने के लिए कहा था, जिसमें नैतिकता और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके. लेकिन पंडित नेहरू ने पश्चिमी मॉडल से लगाव की वजह से अपने देश में इसी मॉडल को आगे बढ़ाया गया. लेकिन इस मॉडल से देश का समग्र विकास नहीं हो सका.
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से पर्यावरण को नुकसान : हरिवंश ने कहा कि 2025 तक पूरी दुनिया के 200 करोड़ की आबादी के पास पीने का शुद्ध पानी नहीं होगा. इसकी बड़ी वजह है कि पूरी दुनिया पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के पीछे भाग रही है.
अकेले अमेरिका, रूस और यूरोप ने इस मॉडल पर चलते हुए पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है. अब भारत और चीन उसी मॉडल पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में इस पृथ्वी का क्या होगा, इसको लेकर वर्तमान समय के सबसे महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंस ने आगाह किया है. उनके अनुसार वर्तमान स्थिति में मानव सभ्यता को बचाये रखने के लिए जल्द ही एक पृथ्वी के सामान दूसरे ग्रह की जरूरत होगी. यहीं पर गांधी की अर्थव्यवस्था का मॉडल प्रासंगिक है. इस मॉडल का उन्होंने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘हिंद स्वराज’ में उल्लेख किया है. इसी पर चल कर पूरी दुनिया का विकास होगा. आज पूरी दुनिया तकनीक के पीछे दौड़ रही. लेकिन अत्याधुनिक तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक के अग्रदूत स्टीव जॉब ने अपने बच्चों के लिए नियम बनाया था कि डाइनिंग टेबल पर वह बिना किसी टेक्नोलॉजी के बैठेंगे.
अर्थव्यवस्था का अपना मॉडल नहीं
उन्होंने देश के जाने-माने उद्योगपति नारायणमूर्ति के हवाले से बताया कि जब वह संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रसिद्ध एमआइटी में एक बार व्यख्यान के लिए गये थे, तब उन्हें वहां के वैज्ञानिकों ने बताया था कि उनलोगों ने 200 ऐसे उत्पादों को विकसित किया है जो आम जनजीवन को प्रभावित करते हैं.
तब नारायणमूर्ति ने इसकी तुलना भारत के प्रसिद्ध संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से की थी और पूछा था कि इस संस्थान के पास ऐसी उपलब्धि क्यों नहीं है? हरिवंश के अनुसार इसकी बड़ी वजह यह है कि हमारी अर्थव्यवस्था का हमारा अपना मॉडल नहीं है. हमने दूसरे देशों के मॉडल को अपनाया है. नतीजा यह हुआ है हम विकास के मामले में उनसे पीछे रह गये. हमारे जितने बड़े वैज्ञानिक और विचारक, जिन्हें नोबेल अवॉर्ड मिला है, वह सभी आजादी के पूर्व की भारतीय शिक्षा पद्धति की उपज थे. वर्तमान शिक्षा पद्धति देश को ऐसे विचारक और वैज्ञानिक देने में सफल नहीं रही है.