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रांची : अभिषेक राय की मौत को पुलिस ने बताया तथ्यों की भूल

रांची : हजारीबाग के चर्चित चिरुडीह गोलीकांड में हुई अभिषेक कुमार राय की मौत की गुत्थी पुलिस नहीं सुलझा पायी. पुलिस ने मामले में तथ्यों की भूल बताकर केस को बंद कर दिया है. वहीं, मामले में आरोपी बनाये गये लोगों को केस से बरी किये जाने को लेकर संबंधित कोर्ट में आवेदन दिया है. […]

रांची : हजारीबाग के चर्चित चिरुडीह गोलीकांड में हुई अभिषेक कुमार राय की मौत की गुत्थी पुलिस नहीं सुलझा पायी. पुलिस ने मामले में तथ्यों की भूल बताकर केस को बंद कर दिया है. वहीं, मामले में आरोपी बनाये गये लोगों को केस से बरी किये जाने को लेकर संबंधित कोर्ट में आवेदन दिया है.
कोर्ट ने इसको लेकर शिकायतकर्ता पवन राय को नोटिस जारी कर मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है. मामले का सुपरविजन बड़कागांव के एसडीपीओ अनिल कुमार सिंह ने किया है. इन्होंने इसमें कहा है कि उपद्रवियों द्वारा पुलिस को लक्ष्य बनाकर फायरिंग की जा रही थी. निर्देश मिलने पर उपद्रवियों को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हवाई फायरिंग की. इस पूरे घटनाक्रम में अभिषेक कुमार राय, मो. मेहताब, रंजन कुमार दास और पवन कुमार साव को गोली लगी, जिससे चारों की मौत हो गयी.
इस संबंध में बड़कागांव थाने में कांड संख्या 228/16 दर्ज किया गया. जिसमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और निर्मला देवी को नामजद किया गया था. लेकिन अनुसंधान के दौरान दोनों प्राथमिक अभियुक्त के अलावा अंकित राज, रियाज अंसारी, गुलजार, मोईन अंसारी, मोहन महतो, मो. शाहिद, मो. अंजर, मो. निजाम, जिबराइल अंसारी, विकास कुमार, अमित कुमार, राजेश कुमार, कैलाश कुमार के अलावा चारों मृतकों अभिषेक कुमार राय, मो. मेहताब, रंजन कुमार दास और पवन कुमार साव सहित 400-500 अज्ञात के विरुद्ध केस सत्य पाया गया.
आपसी गोलीबारी में चार लोगों की मौत की बात कही गयी थी विधानसभा में विधानसभा सत्र के दौरान राज्य सरकार द्वारा बताया गया था कि चार लोगों की मौत आपसी गोलीबारी में हुई. जबकि बड़कागांव एसडीपीओ अनिल सिंह कहते हैं आत्मरक्षा में की गयी हवाई फायरिंग के घटनाक्रम में चार लोग मारे गये. एक ही घटना की जांच में पुलिस अलग-अलग दावे कर रही है.
मौत के स्थल में भी विरोधाभास
अभिषेक राय के पिता पवन राय द्वारा दायर परिवादवाद और हाइकोर्ट में अपील के बाद बड़कागांव थाना में कांड संख्या 106/19 दर्ज किया गया. इसमें अभिषेक की मौत सोनबरसा के श्मशान घाट में बतायी गयी. लेकिन एसडीपीओ अनिल सिंह ने अभिषेक की मौत सोनबरसा श्मशान घाट से दो किलोमीटर दूर डाडी में पब्लिक-पुलिस झड़प के दौरान पुलिस द्वारा चलायी गयी आत्मरक्षार्थ फायरिंग के क्रम में मौत बता दिया.
कफन सत्याग्रह की तिथि अलग
इधर, एसडीपीओ के केस सुपरविजन में यह कहा कि कफन सत्याग्रह 10 सितंबर से किया जा रहा था. जबकि चिरुडीह कांड से जुड़े मामले में कफन सत्याग्रह 15 सितंबर से करने की बात दोनों पक्षों द्वारा कही जाती रही है.
मृतक अभिषेक रॉय के पिता पवन राय के बड़कागांव थाना कांड संख्या में 141 के अनुसंधान में पुलिस गवाही में पवन राय द्वारा कांड संख्या 106 दर्ज कराये जाने की जानकारी छुपा ली गयी.
जबकि दोनों केस में एक ही अधिकारी शामिल थे. बड़कागांव थाना कांड संख्या 228/16 के विलोम में उक्त कांड दर्ज बताकर इसे तथ्यों की भूल बता दिया गया. जबकि उक्त कांड में किसी मौत की बात या मौत से संबंधित कार्रवाई हुई या नहीं इसका मिलान नहीं किया गया.
इन तथ्यों का जिक्र नहीं
गौरतलब है कि पवन राय ने अपने परिवादवाद में जिन तथ्यों को उठाते हुए मामला दर्ज कराया था उन तथ्यों का सुपरविजन नोट में कहीं जिक्र ही नहीं किया गया है. जिसमें उन्होंने कहा था कि मृतक श्मशान घाट शौच के लिए गया था.
वह धरना में शामिल नहीं था. प्रशासन ने अभिषेक के गर्दन में पीछे से गोली मारी जिससे उसकी मौत वहीं हो गई. केस के अभियुक्त अधिकारियों ने भयंकर लापरवाही दिखाई, कोई वैकल्पिक उपाय अपनाये बिना गोली चलाये जाने का सहारा लिया और लक्ष्य कर गोली चलायी. सभी अभियुक्तों ने मिल जुल कर एकमत होकर हत्या जैसे घृणित अपराध किया और हत्या की बात छुपाने का प्रयास किया.

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