हजारीबाग में दंगा और हिंसा भड़काने के आरोपी झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की जमानत रद्द
रांची/नयी दिल्ली : झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को गुरुवार को तगड़ा झटका लगा. दंगा करने और हिंसा भड़काने के आरोपी योगेंद्र साव और उनकी पत्नी कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को दिसंबर, 2017 में सशर्त मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन […]
रांची/नयी दिल्ली : झारखंड के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को गुरुवार को तगड़ा झटका लगा. दंगा करने और हिंसा भड़काने के आरोपी योगेंद्र साव और उनकी पत्नी कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को दिसंबर, 2017 में सशर्त मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रद्द कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने की वजह से उनकी जमानत रद्द की है. कोर्ट ने कहा कि पूर्व मंत्री अनधिकृत रूप से झारखंड में मिले हैं और इस तरह उन्होंने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है. इसके साथ ही न्यायालय ने पूर्व मंत्री और उनकी विधायक पत्नी के 18 मुकदमे झारखंड की हजारीबाग अदालत से रांची स्थानांतरित कर दिया.
ज्ञात हो कि दिसंबर, 2017 में जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने दोनों को सशर्त जमानत दी थी. कोर्ट ने कहा था कि दोनों लोग झारखंड से बाहर मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रहेंगे. साथ ही शर्त लगायी थी कि वह गवाहों से किसी सूरत में संपर्क करने की कोशिश नहीं करेंगे. इन्हें अपना पासपोर्ट भी जमा कराने के निर्देश दिये गये थे.
योगेंद्र और निर्मला देवी पर हजारीबाग जिला के बड़कागांव में एनटीपीसी के प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने एवं सुरक्षा बलों पर भीड़ से हमला कराने का आरोप है. ज्ञात हो कि बड़कागांव के ढेंगा गांव में एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल माइनिंग प्रोजेक्ट के विरोध में 14 अगस्त, 2015 को पुलिस के साथ ग्रामीणों की झड़प हो गयी थी.
इस मामले में योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी. श्री साव ने हाइकोर्ट में अपील की और उन्हें वहां से जमानत दे दी गयी. झारखंड सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. सरकार ने कहा कि झारखंड हाइकोर्ट ने केस डायरी देखे बगैर ही योगेंद्र साव और उनकी पत्नी को जमानत दे दी.
झारखंड सरकार की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने श्री साव और निर्मला देवी की जमानत रद्द कर दी. साथ ही झारखंड हाइकोर्ट को आदेश दिया कि वह फिर से मामले की सुनवाई करे. दोबारा सुनवाई के बाद हाइकोर्ट ने इनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. हाइकोर्ट के आदेश को योगेंद्र साव और उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. दिसंबर, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें सशर्त जमानत दे दी. उस जमानत को ही गुरुवार को कोर्ट ने रद्द कर दिया.
आधा दर्जन संगीन मामलों में चार्जशीटेड हैं योगेंद्र साव
- केरेडारी थाना कांड संख्या-55/ 2010 : एनटीपीसी के जीएम के साथ मारपीट
- केरेडारी थाना कांड संख्या-04/2011 : बड़कागांव के बीडीओ के साथ मारपीट
- केरेडारी थाना कांड संख्या-33/2012 : हरवे-हथियार से लैस होकर पुलिस पर हमला और जख्मी करने का मामला
- बड़कागांव थाना कांड संख्या-85/ 2007 : हथियार से पुलिस पर हमला करने का आरोप
- गिद्दी थाना कांड संख्या-55/2011 : रामगढ़ के रांची रोड निवासी विरेंद्र प्रसाद राय से पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने का मामला
- गिद्दी थाना कांड संख्या-48/2014 : उग्रवादी संगठन बनाने, हथियार उपलब्ध कराने का आरोप