रांची : जनजातीय संस्कृति की पहचान है सरहुल

रांची : वनवासी कल्याण केंद्र में गुरुवार को सरहुल मिलन समारोह का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह भी शामिल हुए. इस अवसर पर केंद्र के प्रांत उपाध्यक्ष सज्जन सर्राफ ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पर्यावरण की चिंता पर चर्चा हो रही है. जनजातीय समाज का दर्शन है कि प्रकृति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 12, 2019 8:30 AM
रांची : वनवासी कल्याण केंद्र में गुरुवार को सरहुल मिलन समारोह का आयोजन हुआ. कार्यक्रम में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह भी शामिल हुए. इस अवसर पर केंद्र के प्रांत उपाध्यक्ष सज्जन सर्राफ ने कहा कि आज पूरी दुनिया में पर्यावरण की चिंता पर चर्चा हो रही है. जनजातीय समाज का दर्शन है कि प्रकृति है तब तक दुनिया है. सरहुल की शोभायात्रा भी अनोखी है, जहां लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं.
जगलाल पाहन ने कहा कि सरहुल जनजातीय समाज का महत्वपूर्ण त्योहार है. सरहुल हमारे लिए नववर्ष की शुरुआत भी है. हम इसमें ईश्वर से बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं. संसार के सभी जीव-जंतुअों के लिए प्रार्थना करते हैं. यह पर्व जनजातीय संस्कृति की पहचान भी है. हमें अपनी इस संस्कृति को बचाये रखना है.
प्रांत अध्यक्ष डॉ एचपी नारायण ने कहा कि झारखंड प्राचीन काल से ही अपनी अलग संस्कृति को लेकर अपनी पहचान बनाये रखा है. जब चैतन्य महाप्रभु इस क्षेत्र में आये, तो उन्होंने झारखंड नाम से पहचान दी. सरहुल की शोभायात्रा और इस अवसर पर होने वाले नृत्य में कला और कलाकार दोनों एक हो जाते हैं. भारतीय संस्कृति की विविधता और मूल स्वरूप की झलक झारखंड की संस्कृति में है. कार्यक्रम में लापुंग से आये जनजातीय कलाकारों ने सरहुल लोकगीत अौर नृत्यों की प्रस्तुति दी.
मुसाफिर विश्वकर्मा, बहादुर उरांव सहित अन्य ने लोकगीत पेश किये. कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करनेवाले लोगों को पुरस्कृत किया गया. मौके पर संरक्षक प्रकाश चंद्र सेठी, कार्यक्रम प्रमुख नकुल तिर्की, संयोजक सोमा उरांव, करमा तिग्गा, शंकर टोप्पो, रिझु कच्छप, वीणा मुंडा, सुषमा मुंडा आदि लोग मौजूद थे.

Next Article

Exit mobile version