हिंडाल्को हादसा : 19 तक रिपोर्ट सौंप सकती है जांच समिति
समिति कर रही है कई बिंदुओं पर जांच, मलबे से अभी तक कोई शव बरामद नहीं रांची : हिंडाल्को (मुरी) हादसा पर राज्य सरकार द्वारा गठित जांच समिति शुक्रवार (19 अप्रैल) तक रिपोर्ट सौंप सकती है. सूत्रों ने बताया कि जांच समिति द्वारा अब भी कई बिंदुओं पर जांच चल ही रही है. 10 दिनों […]
समिति कर रही है कई बिंदुओं पर जांच, मलबे से अभी तक कोई शव बरामद नहीं
रांची : हिंडाल्को (मुरी) हादसा पर राज्य सरकार द्वारा गठित जांच समिति शुक्रवार (19 अप्रैल) तक रिपोर्ट सौंप सकती है. सूत्रों ने बताया कि जांच समिति द्वारा अब भी कई बिंदुओं पर जांच चल ही रही है.
10 दिनों का समय दिया गया है, ताकि विस्तृत रूप से जांच हो सके. जांच अधिकारी शुभ्रा वर्मा लगातार इस मुद्दे पर आयुक्त कार्यालय में बैठक कर रही हैं. वह श्रम विभाग, वन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, स्वास्थ्य विभाग, पेयजल विभाग, कल्याण विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर चुकी हैं.
उपस्थिति पंजी की हुई जांच : उपस्थिति पंजी की जांच कर ली गयी है. बताया जाता है कुल 26 लोग उस दिन कार्यरत थे. इसमें से एक व्यक्ति जहानाबाद के रहने वाले अमरेंद्र ही लापता हैं. जांच अधिकारी द्वारा कहा गया कि मलबे में किसी का शव मिला या नहीं. इस पर कहा गया कि अब तक कोई शव मलबे से नहीं निकला है. निष्कर्ष के साथ जांच रिपोर्ट मुख्य सचिव को सौंपी जायेगी. कारखाना निरीक्षक द्वारा कहा गया कि ठेकेदार द्वारा मजदूरों से काम लिया जा रहा था, जिसकी विवरणी उनके पास नहीं है.
सदर अस्पताल में हुआ तीन प्रभावितों का इलाज : स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुरी हादसे से प्रभावित हुए लोगों की जांच की गयी. इसमें पांच लोगों ने आंखों में पानी आने व लाल होने की शिकायत की थी. साथ ही खुजली व एलर्जी की भी शिकायत की थी. इनमें से तीन लोगों का सोमवार को सदर अस्पताल में इलाज किया गया. इनका हेल्थ कार्ड रांची के सिविल सर्जन ने बना दिया है, ताकि नियमित रूप से इनके इलाज का फॉलोअप किया जा सके.
प्रबंधन पर एससी-एसटी के तहत केस दर्ज हो
रांची. आदिवासी जन परिषद के केंद्रीय अध्यक्ष प्रेम शाही मुंडा ने कहा है कि हिंडाल्को प्रबंधन पर सरना स्थल पर कब्जा के मामले में एसटी-एससी अत्याचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया जाये़ मड पौंड से सटा आदिवासियों का सरना स्थल भी है, जिसे प्रबंधन ने प्रशासन से मिलीभगत कर अधिग्रहित कर लिया था़
इसे अतिक्रमण मुक्त करने के लिए वर्ष 1988 में बिहार विधान परिषद में निर्णय लिया गया था़ इसके बाद सरकार को झुकना पड़ा, लेकिन यह अब भी हिंडाल्को प्रबंधन व प्रशासन की मिलीभगत से हिंडाल्को के ही कब्जे में है.
बैठक में आधारभूत संरचना पर उठे सवाल
पिछले शुक्रवार को जांच अधिकारी की बैठक में जिले के तमाम पदाधिकारी मौजूद थे. बैठक में हिंडाल्को डंपिंग यार्ड की संरचना पर चर्चा हुई. सवाल उठा कि 70 साल से एक ही स्थल पर कैसे रेड मड को जमा करने दिया जा रहा था. इसकी ऊंचाई किस आधार पर बढ़ती गयी.
स्टेबिलिटी टेस्ट कैसा किया गया कि एक हिस्सा ही इसका धंस गया. ऐसे में संचालन की अनुमति कैसे दी गयी. तब कहा गया कि आइअाइटी के अधिकारियों ने इसे मंजूरी दी थी. इस पर कहा गया कि फिर सरकार की एजेंसी ने कैसे भरोसा कर संचालन की अनुमति दे दी. हालांकि अब संचालन की अनुमति प्रदूषण नियंत्रण पर्षद द्वारा रद्द कर दी गयी है.
अन्य अधिकारियों को कहा गया है कि अपने-अपने स्तर से जांच करें कि पर्यावरण पर कितना प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. पेयजल विभाग द्वारा कहा गया कि पानी के सैंपल लिये गये हैं. इसे जांच के लिए लैब भेज दिया गया है. रिपोर्ट जल्द ही जांच अधिकारी के पास भेज दी जायेगी.