रांची : चतरा में खाद्य व्यवसाय का सिर्फ एक लाइसेंस, रांची में सबसे अधिक 1487
रांची : खाद्य व्यवसाय को यदि आधार बनाया जाये, तो चतरा जिला राज्य का सबसे पिछड़ा जिला है. क्योंकि यहां अब तक सिर्फ एक ही लाइसेंस निर्गत हुए हैं. वहीं, खूंटी में सिर्फ तीन, पाकुड़ में चार तथा गढ़वा व लातेहार में आठ-आठ लाइसेंस निर्गत हुए हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि संबंधित जिलों में […]
रांची : खाद्य व्यवसाय को यदि आधार बनाया जाये, तो चतरा जिला राज्य का सबसे पिछड़ा जिला है. क्योंकि यहां अब तक सिर्फ एक ही लाइसेंस निर्गत हुए हैं.
वहीं, खूंटी में सिर्फ तीन, पाकुड़ में चार तथा गढ़वा व लातेहार में आठ-आठ लाइसेंस निर्गत हुए हैं. यह स्पष्ट नहीं है कि संबंधित जिलों में 12 लाख या अधिक का सालाना कारोबार करनेवाले इतने ही खाद्य कारोबारी हैं या फिर सबको लाइसेंस निर्गत नहीं हो सका है. सबसे अधिक लाइसेंस रांची में 1487 निर्गत हुए हैं.
इसके बाद पू.सिंहभूम (जमशेदपुर), धनबाद, बोकारो व देवघर में सर्वाधिक लाइसेंस निर्गत हुए हैं. दरअसल, खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम देश भर में पांच अगस्त 2011 से लागू है. लोकहित में बना यह अधिनियम खाद्य पदार्थों के उत्पादन, भंडारण, वितरण, विक्रय व आयात से संबंधित है. इसके तहत विभिन्न प्रकार के खाद्य व्यवसाय में लगे लोगों को लाइसेंस लेना या अपना निबंधन कराना जरूरी है. निबंधन सभी तरह के खाद्य व्यवसाय में लगे सभी लोगों को कराना है.
वहीं, जिनका कारोबार 12 लाख रुपये सालाना या इससे अधिक है, उन्हें सरकार लाइसेंस निर्गत करती है. झारखंड में अब तक 4580 खाद्य व्यवसायी या फर्म को लाइसेंस निर्गत किया गया है. वहीं, राज्य भर में अॉनलाइन व अॉफलाइन कुल 32123 निबंधन हुए हैं. लाइसेंस निर्गत करने का शुल्क दो हजार रुपये प्रति लाइसेंस है. वहीं, जो फर्म किसी खाद्य पदार्थ या पेय का उत्पादन करता है, उसे लाइसेंस के लिए तीन हजार रुपये देने पड़ते हैं. 12 लाख से कम का सालाना कारोबार करनेवालों को निबंधन के लिए सिर्फ 100 रुपये देने पड़ते हैं.
कहां कितने लाइसेंस निर्गत (फरवरी 2019 तक)