माइक्रोबॉयाेलॉजी में टेक्नीशियन बना है रिम्स का एनिमल कीपर
रांची : रिम्स की व्यवस्था को देख निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह हर दिन अचंभित होते रहते हैं. तीन दिन पहले एक ही ऐसा मामला सामने आया, जिसका पता लगते ही उन्होंने तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया है. एनिमल हाउस के एनिमल कीपर के बिल का भुगतान करने की फाइल उनके पास आयी. फाइल ले […]
रांची : रिम्स की व्यवस्था को देख निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह हर दिन अचंभित होते रहते हैं. तीन दिन पहले एक ही ऐसा मामला सामने आया, जिसका पता लगते ही उन्होंने तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया है. एनिमल हाउस के एनिमल कीपर के बिल का भुगतान करने की फाइल उनके पास आयी. फाइल ले कर आये कर्मचारी से उन्होंने कहा कि क्यों नहीं हम एनिमल कीपर को नियुक्त कर लें?
नियुक्ति की प्रक्रिया की जानकारी लेनी शुरू की, ताे पता चला कि एनिमल कीपर तो नियुक्त है, लेकिन वह माइक्रोबॉयाेलॉजी विभाग में टेक्नीशियन बन गया है. वह जांच की प्रक्रिया में सहायक की भूमिका में है. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने माइक्रोबॉयाेलॉजी के विभागागाध्यक्ष से इसकी जानकारी ली.
उन्होंने कहा कि एनिमल कीपर अपना काम छोड़ कर जांच में सहयोगी बना हुआ है. यह ठीक नहीं है. उन्होंने तत्काल प्रभाव से कर्मचारी को अपने नियुक्ति स्थल पर सेवा देने का निर्देश दिया. सूत्रों की मानें, तो एनीमल कीपर के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में काम करने की जानकारी पूर्व के निदेशक को भी रही है, लेकिन किसी ने उसके नियुक्त स्थल पर भेजा.
क्या है एनिमल कीपर का कार्य
मेडिकल कॉलेज में एनिमल हाउस होता है. जहां भेड़ को रखा जाता है. भेड़ का उपयोग रिसर्च कार्य (वैक्सीन का मीडिया तैयार करने) में किया जाता है. रिम्स में यह विभाग तो पूरी तरह से बंद होने के कगार पर है, लेकिन एनिमल कीपर को दैनिक मजदूरी पर रखा गया है. 200 रुपये की दैनिक मजदूरी पर उसे रखा गया है.
एनिमल कीपर के वेतन भुगतान से संबंधित फाइल आयी थी. एनिमल कीपर नियुक्त है, लेकिन वह माइक्रोबॉयाेलॉजी विभाग में टेक्नीशियन का कार्य करता है. जब कर्मचारी पहले से नियुक्त है, तो हम दैनिक मजदूर क्यों रखें? माइक्रोबॉयाेलॉजी विभाग से उसे एनिमल हाउस में सेवा देने का निर्देश दिया गया है.
डॉ दिनेश कुमार सिंह, निदेशक, रिम्स