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जहां 27 में नौ ही शिक्षक, वहां की छात्रा ने तोड़ा सीबीएसइ व आइसीएसइ का रिकाॅर्ड

रांची/हजारीबाग : जिस स्कूल में 27 में से मात्र नौ शिक्षक ही कार्यरत हैं, वहां की छात्रा प्रिया राज ने जैक बोर्ड (मैट्रिक) की परीक्षा में 99.2% अंक लाकर सारे रिकार्ड तोड़ दिये. जी हां, हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय, हजारीबाग की. यहां की 18 छात्राएं स्टेट टॉप-10 में शामिल हैं. […]

रांची/हजारीबाग : जिस स्कूल में 27 में से मात्र नौ शिक्षक ही कार्यरत हैं, वहां की छात्रा प्रिया राज ने जैक बोर्ड (मैट्रिक) की परीक्षा में 99.2% अंक लाकर सारे रिकार्ड तोड़ दिये. जी हां, हम बात कर रहे हैं इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय, हजारीबाग की. यहां की 18 छात्राएं स्टेट टॉप-10 में शामिल हैं.

सबसे बड़ी बात है कि यहां अंग्रेजी, भौतिक, गणित, इतिहास, समाजशास्त्र विषयों के शिक्षक ही नहीं हैं. वहीं, जीवविज्ञान के शिक्षक बीमार हैं. फिर भी स्टेट टॉपर प्रिया राज ने शत-प्रतिशत अंक हासिल किये. स्टेट टॉपर प्रिया राज ने राज्य गठन के बाद अब तक का स‌र्वाधिक अंक हासिल किया. प्रिया ने सीबीएसइ व आइसीएसइ बोर्ड के टॉपरों से भी अधिक अंक हासिल किये.

सीबीएसइ 10वीं में स्टेट टॉपर हजारीबाग के पीयूष कुमार अग्रवाल को 98.8% अंक
मिले थे. जबकि आइसीएसइ बोर्ड के टॉपर सार्थक सिंह (जसीडीह) को 99 फीसदी अंक मिले थे. वहीं, 99 फीसदी अंक लाकर नेतरहाट आवासीय विद्यालय के छात्र अमरेश कुमार को राज्य में दूसरा स्थान मिला है. 98.4 फीसदी अंक लाकर नेतरहाट के ही अमन और गोपाल सिंह संयुक्त रूप से थर्ड स्टेट टॉपर बने.
स्टेट टॉप-10 में कुल 33 विद्यार्थी हैं. इनमें 18 छात्राएं हैं और सभी इंदिरा गांधी आवासीय विद्यालय की हैं. जबकि टॉप-10 में नेतरहाट स्कूल के 12 विद्यार्थी शामिल हैं. जैक अध्यक्ष डॉ अरविंद प्रसाद सिंह ने कहा कि मैट्रिक के टॉपर को इससे पहले इतने अंक नहीं मिले थे. इस वर्ष के रिजल्ट ने इस अवधारणा को भी तोड़ दिया कि जैक बोर्ड के विद्यार्थी को सीबीएसइ व आइसीएइ के विद्यार्थी से अधिक अंक नहीं आ सकते.
प्रिया राज
इंदिरा गांधी स्कूल, हजारीबाग
विषय अंक
संस्कृत 97
अंग्रेजी 100
गणित 100
विज्ञान 99
संगीत 100
सोशल साइंस 97
सोशल मीडिया से दूर रह सुनती हूं कविता : प्रिया
मैट्रिक की स्टेट टॉपर प्रिया राज सिरमटोली (रांची) की रहनेवाली है. वह आइआइटी कर ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनना चाहती है. उसने कहा कि बिना परिश्रम के सफलता नहीं मिलती.
टॉपर बनने के लिए पहले से लक्ष्य निर्धारित करना पड़ता है. उसने कहा कि सोशल मीडिया से दूर रह कर फुर्सत के क्षणों में हरिवंश रॉय बच्चन की कविताएं सुनती थी. हॉस्टल में इंटरनेट जरूरत भर दिया जाता था, ऐसे में सोशल मीडिया की आदत ही नहीं लगी. उसने कहा कि रिजल्ट की जानकारी भी मीडिया से मिली.

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