रांची : संतालपरगना में चुनावी रोमांच परवान पर रहा. अंतिम चरण में तालपरगना की तीन सीटों पर हो रहा चुनाव प्रचार शुक्रवार की शाम थम गया. दुमका, राजमहल और गोड्डा सीट पर भाजपा ने पूरा जोर लगाया. संतालपरगना में झामुमो का खूंटा उखाड़ने और झाविमो को गोड्डा के रास्ते से हटाने के लिए भाजपा ने टीम वर्क से काम किया़ प्रदेश भाजपा की पूरी टीम संतालपरगना में डटी रही.
प्रदेश पदाधिकारी, विधायक से लेकर कार्यकर्ताओं ने खूब पसीना बहाया. प्रदेश की टीम स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ गांव-गांव घूमी. वहीं मुख्यमंत्री रघुवर दास का पूरा कैंपेन आक्रमक रहा. उन्होंने संताल में दर्जनों सभा की. आखिरी दिन तक लगे रहे़ मुख्यमंत्री के निशाने पर झामुमो रहा.
उन्होंने छोटी-बड़ी सभी सभाओं में उपस्थिति दर्ज करायी. वहीं देवघर में प्रधानमंत्री की सभा ने नेताओं व कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा. संतालपरगना में आदिवासी वोट बैंक में सेंध मारने के लिए भाजपा ने अपने आदिवासी चेहरे को आगे रखा. आदिवासी विधायक व मंत्री लगातार सक्रिय रहे.
महागठबंधन के नेता भी अपनी जमीन बचाने के लिए जुटे : इधर, भाजपा की घेराबंदी तोड़ने और अपनी जमीन बचाने के लिए झामुमो ने भी ताकत झोंकी. संतालपरगना में यूपीए का साझा मुहिम दिखा.झामुमो नेता शिबू सोरेन और बाबूलाल मरांडी ने साझा चुनावी अभियान चलाया़ आदिवासी वोटरों को गोलबंद करने के लिए दोनों ही नेताओं की सभाएं करायी गयी. पहली बार संतालपरगना में अलग-अलग ध्रुव के दो नेता साथ दिखे.
आखिरी दिन दोनों नेताओं ने कई सभा की. वहीं हेमंत सोरेन दुमका और राजमहल के साथ-साथ गोड्डा भी पहुंचे. हेमंत सोरेन की सभा गोड्डा संसदीय क्षेत्र में करायी गयी. कांग्रेस नेताओं ने भी यूपीए गठबंधन के साझा चुनावी अभियान में ताकत लगायी. कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद, सुबोधकांत सहाय सहित कई स्थानीय नेता मुहिम में लगे.
गोड्डा से टिकट कटने के बाद बुझे मन से ही फुरकान अंसारी मैदान में उतरे. झामुमो के मुसलिम चेहरा को भी यूपीए ने आगे किया. हाजी हुसैन अंसारी ने भी कैंपेन किया. संतालपरगना में अंतिम चरण में चुनाव होने की वजह से कई नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों से भी फुर्सत मिल चुकी थी. इसका असर भी चुनावी अभियान पर दिखा.
संताल में लगातार हफ्ते भर से ज्यादा दोनों ही पक्ष के नेताओं का जमावड़ा लगा रहा. प्रचार थमने के साथ ही एनडीए-यूपीए ने चुनावी बिसात पर अपनी-अपनी गोटियां चल दी है. अब मतदाताओं की बारी है. चुनाव परिणाम जो भी हो, लेकिन संघर्ष रोमांचकारी है. एक-एक वोट का गणित पार्टियां सुलझा रही हैं. 19 मई को इन तीनों सीटों पर संतालपरगना की जनता अपना फैसला सुना देगी.