रांची : एनडीए ने मोदी फैक्टर भुनाने, तो यूपीए ने वोट बिखराव रोकने में लगायी ताकत
रांची, कोडरमा और गिरिडीह में आर-पार की कहानी भाजपा को ध्रुवीकरण का भरोसा रांची : झारखंड में चार चरणों में चुनाव संपन्न हो गये. पिछले डेढ़ महीने से सियासी हलचल तेज रही. लोकसभा चुनाव में एक ओर एनडीए के साथ मोदी फैक्टर था, तो वहीं यूपीए ने वोट बिखराव रोकने में ताकत लगायी है. इस […]
- रांची, कोडरमा और गिरिडीह में आर-पार की कहानी
- भाजपा को ध्रुवीकरण का भरोसा
रांची : झारखंड में चार चरणों में चुनाव संपन्न हो गये. पिछले डेढ़ महीने से सियासी हलचल तेज रही. लोकसभा चुनाव में एक ओर एनडीए के साथ मोदी फैक्टर था, तो वहीं यूपीए ने वोट बिखराव रोकने में ताकत लगायी है. इस चुनाव के केंद्र में मोदी रहे.राष्ट्रीय एजेंडे के साथ मोदी का आक्रमण था, तो उधर यूपीए अपने वोट बैंक पर निशाना साध रही थी.
सभी सीटों पर चुनाव के साथ धुंध थोड़ी साफ हुई है. राज्य के एसटी रिजर्व सीटों पर भाजपा को पसीना बहाना पड़ा. यूपीए के उम्मीदवारों ने यहां एनडीए को कड़ी टक्कर दी है. लोहरदगा, खूंटी, चाईबासा, दुमका और राजमहल में यूपीए के परंपरागत वोट बैंक में भाजपा को बड़ी सेंध लगानी होगी.
लोहरदगा में पहले भी कांटे की टक्कर रही है. इस बार भी सुदर्शन भगत का रास्ता रोकने के लिए सुखदेव भगत ने काफी जोर लगाया है. यूपीए बढ़त में दिख रहा है. खूंटी में कांग्रेस के कालीचरण मुंडा के सामने पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की साख दांव पर है. वहीं चाईबासा में गीता कोड़ा ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के लिए मुश्किलें खड़ा कर दी है.
दुमका में इस बार भाजपा ने शिबू सोरेन की जोरदार घेराबंदी की है. वहां गुरुजी के खिलाफ एंटी इंकम्बैंसी को फैक्टर बना दिया गया. शह-मात का खेल सुनील सोरेन के साथ चला है. कई पॉकेट में भाजपा मजबूत दिखा है. शिबू सोरेन के लिए रास्ता पहले की तरह आसान नहीं है. वहीं राजमहल में यूपीए अल्पसंख्यक व आदिवासी वोट बैंक के सहारे जीत का भरोसा लेकर चल रहा है.
इधर चतरा, पलामू, हजारीबाग, धनबाद व जमशेदपुर में भाजपा का खूंटा मजबूत है. ये सारी सीटें अभी भी भाजपा के पास है. इन सीटों पर भाजपा को हिलाना-डुलाना इस चुनाव में भी यूपीए के लिए भारी काम है. रांची, कोडरमा और गिरिडीह में आर-पार की लड़ाई है. वोटों का हिसाब लगाना पार्टियों के लिए भी मुश्किल है. इन सीटों पर महागठबंधन को अपने समीकरण पर भरोसा है.
लेकिन जमीन पर मोदी फैक्टर इन सीटों पर हावी रहा़ भाजपा को इन सीटों पर ध्रवीकरण का भरोसा है. कोडरमा में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की साख दांव पर है़ कोडरमा में शहरी व ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में भाजपा ने अपने परंपरागत वोट बैंक को समेट कर रखा. वहीं श्री मरांडी गांडेय, राजधनवार में बढ़त बना सकते है़ं
इस सीट पर काफी तीखा संघर्ष होगा. रांची में सुबोधकांत सहाय को अपने परंपरागत वोटों की गोलबंदी पर भरोसा है, वहीं संजय सेठ के लिए भरोसा की बात है कि यहां शहरी और ग्रामीण इलाके में भाजपा का अपना आधार वोट है. इस सीट पर पहले की तरह बड़े अंतर से हार-जीत का फैसला नहीं होना है. राजनीति जिस करवट बैठे, फासला कम रहेगा. गिरिडीह में भी कांटे की टक्कर में सीट फंसी है.