22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Jharkhand : आदिवासी बहुल इलाकों में क्यों पड़ते हैं NOTA को सबसे ज्यादा वोट?

रांची : झारखंड में इस बार भी मतदाताओं ने खूब NOTA (None Of The Above) का बटन दबाया. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित राज्य की पांच सीटों पर सामान्य सीटों की तुलना में ज्यादा नोटा दबाया गया. अपने किसी उम्मीदवार को वोट नहीं देने वालों के मामले में सिंहभूम एक बार फिर पहले स्थान पर […]

रांची : झारखंड में इस बार भी मतदाताओं ने खूब NOTA (None Of The Above) का बटन दबाया. अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित राज्य की पांच सीटों पर सामान्य सीटों की तुलना में ज्यादा नोटा दबाया गया. अपने किसी उम्मीदवार को वोट नहीं देने वालों के मामले में सिंहभूम एक बार फिर पहले स्थान पर रहा.

हालांकि, इस बार इस विकल्प को चुनने वाले वोटरों की संख्या में कमी आयी है. NOTA को मिले मत प्रतिशत के हिसाब सिंहभूम भले अव्वल हो, मत की संख्या की बात करें, तो कोडरमा पहले स्थान पर रहा. सिंहभूम में 24,270 लोगों ने नोटा दबाया, जबकि कोडरमा में 31,164 मतदाताओं ने इस विकल्प को चुना. वर्ष 2014 में सिंहभूम में सबसे ज्यादा 27,037 लोगों ने नोटा दबाया था. इस बार 24,270 लोगों ने यह विकल्प चुना, जो कुल मत का 2.76% रहा.

इसे भी पढ़ें : Election Results 2019 : Khunti में काली चरण और अर्जुन को छोड़ सभी प्रत्याशी NOTA से हारे

सिंहभूम के बाद खूंटी में सबसे ज्यादा 21,245 लोगों ने नोटा दबाया. यह कुल मत का 2.55% रहा. खूंटी में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 23,816 लोगों ने उपरोक्त में से किसी को नहीं, का विकल्प चुना था. इसके बाद राजमहल, दुमका, पलामू, लोहरदगा, गोड्डा और गिरिडीह का नंबर रहा था.

नोटा दबाने के मामले में वर्ष 2019 के चुनाव में तीसरे नंबर पर दुमका, चौथे नंबर पर लोहरदगा और पांचवें नंबर पर राजमहल के मतदाता रहे. दुमका में इस बार 1.40 फीसदी वोटरों ने इस विकल्प को चुना, तो लोहरदगा में 1.32 फीसदी ने और राजमहल में 1.23 फीसदी मतदाताओं ने यह विकल्प चुना. इस तरह दुमका, लोहरदगा और राजमहल में क्रमश: 14,396, 10,783 और 12,919 लोगों ने NOTA (None Of The Above) दबाया.

इसे भी पढ़ें : पश्चिम बंगाल में 39 सीट पर BJP ने तृणमूल को दी सीधी टक्कर, 11 सीटों पर जीत का अंतर घटा

वर्ष 2014 में इस बटन को दबाने वाले वोटरों की संख्या क्रमश: 18,325, 19,875 और 16,764 थी. ऐसा नहीं है कि सिर्फ आदिवासी बहुल इलाकों में ही नोटा को ज्यादा वोट पड़ते हैं. सामान्य सीटों पर भी नोटा का विकल्प चुनने वाले कम मतदाता नहीं हैं. गोड्डा में 2014 में 12,410 लोगों ने इस विकल्प को चुना था, तो गिरिडीह में 4,879 और कोडरमा में 6,712 वोटरों ने. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में गोड्डा में 18,683, गिरिडीह में 19,708 और कोडरमा में 31,164 लोगों ने नोटा दबाया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें