रांची : राज्य में विपक्षी एकता बनाने में झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की भूमिका अहम रही़ वह लगातार विपक्ष की एकजुटता के लिए लगे रहे़ इसके बावजूद महागठबंधन लोकसभा चुनाव में धराशायी हो गया़ महागठबंधन का फॉर्मूला कुछ नहीं कर पाया़ बाबूलाल खुद भी कोडरमा से बड़े अंतर से चुनाव हार गये़झाविमो अध्यक्ष कहते हैं कि इस तरह के चुनाव परिणाम का आकलन भाजपा ने भी नहीं किया होगा. लोग नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे, इसलिए वोट किया़ बाबूलाल चुनाव परिणाम से हतोत्साहित नहीं है़ं कहते हैं : आगे विधानसभा में देखते है़ं प्रभात खबर ने बाबूलाल से वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर बातचीत की़
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लोकसभा चुनाव 2019 : ऐसे परिणाम का आकलन भाजपा ने भी नहीं किया होगा – बाबूलाल
रांची : राज्य में विपक्षी एकता बनाने में झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की भूमिका अहम रही़ वह लगातार विपक्ष की एकजुटता के लिए लगे रहे़ इसके बावजूद महागठबंधन लोकसभा चुनाव में धराशायी हो गया़ महागठबंधन का फॉर्मूला कुछ नहीं कर पाया़ बाबूलाल खुद भी कोडरमा से बड़े अंतर से चुनाव हार गये़झाविमो अध्यक्ष कहते हैं […]
राजनीति में सिर्फ एमएलए, एमपी बनना ही काम नहीं है, जनता को जब लगेगा, तब भरोसा जतायेगी – बाबूलाल
सवाल : एनडीए को देश व राज्य में बड़ी सफलता मिली़ विपक्ष कहीं नहीं टिका. इसे किस रूप में देखते है़ं
जवाब : लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा मौका देना चाहते थे़ देश व राज्य की जनता ने इसके लिए वोट किया़ प्रधानमंत्री पर भरोसा जताया़
सवाल : राज्य में महागठबंधन कुछ कर नहीं पाया़ इसकी वजह क्या रही़
जवाब : मैं कह रहा हूं कि लोगों ने तय कर लिया था कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में दोबारा चुनना है़ इसके बाद कहां कोई फैक्टर रह जाता है़ यह देश की सरकार चुनने के लिए वोट था, तो लोगों ने अपनी पसंद बता दी़
सवाल : ऐसे बहुमत का आप आकलन कर रहे थे़ चुनावी मैदान में जाने का बाद एहसास नहीं हुआ़
जवाब : इतने वोट मिलेंगे, भाजपा को भी पता नहीं होगा़ कोडरमा की ही बात लीजिए. पक्ष-विपक्ष दोनों कह रहे थे कि मुकाबला तीखा है़ बहुत तो पचास हजार से हार-जीत का अंतर तय होगा, लेकिन हुआ क्या़
हर कोई कह रहा था कि फाइट है़ किसी को यह नहीं पता था कि इतना बड़ा अंतर रहेगा़ मैं भी घूम रहा था, भाजपा के लोग भी घूम रहे थे़ चुनावी मैदान में कहीं नहीं दिखा कि ऐसी कोई परिस्थिति बनने वाली है़ लेकिन ध्रुवीकरण हुआ़
सवाल : अंडर करंट नहीं समझ पाये, महागठबंधन से रणनीति बनाने में कोई चूक हुई क्या.
जवाब : कोई चूक नहीं हुई है़ अपने हिसाब से चुनाव हम जिस तरह से लड़ते हैं, लड़े़ लोगों के बीच पहुंचे़ महागठबंधन का हर दल लगा हुआ था़ मुझे नहीं लगता है कि कोई चूक हुई़ पार्टियों ने अपने हिसाब से प्रत्याशी दिया़ मान लें कि हजारीबाग में प्रत्याशी देने में चूक हुई, तो कोडरमा में या दुमका में क्या हुआ़ ऐसी कोई बात नहीं है़ जनता ने अपना मन बना लिया था़
जनता का मूड ऐसा था, तो फिर कोई समीकरण काम नहीं आता है़ यूपी में ही देख ले़ं झारखंड में तो महागठबंधन बनने में देर हुई़ यूपी में तो पहले ही बना लिया था़ आेडिशा व बंगाल में ऐसे परिणाम की उम्मीद नहीं थी़ ओड़िशा में क्या हुआ. लोकसभा में भाजपा आशा से ज्यादा सीट लायी़ लेकिन विधानसभा में भाजपा निपट गयी़ नवीन पटनायक पर ही लोगों ने विश्वास जताया़
सवाल : आप चुनाव में कोई इश्यू नहीं बना पाये़ या यह कहा जाये कि विपक्ष मुद्दाविहीन था क्या़
जवाब : मुद्दे थे़ ऐसा नहीं है़ हम अपनी बातें जनता के बीच लेकर गये भी, लेकिन राज्य की जनता के लिए प्रधानमंत्री बनाने का सवाल अहम रहा़
सवाल : महागठबंधन के दलों के बीच समन्वय का अभाव रहा क्या़
जवाब : ऐसा नहीं है़ सभी ने मिलजुल कर काम किया. समन्वय का कोई अभाव नहीं था़ एक दूसरे के लिए जितना कर पाते, किया गया़
सवाल : विपक्ष का यह महागठबंधन विधानसभा चुनाव तक चल पायेगा़
जवाब : कोशिश है कि यह गठबंधन आगे भी चले़ मैं तो लगातार विपक्ष के सहयोगी पार्टियों से बात कर रहा हू़ं
सवाल : जनादेश आ गया है़ झाविमो कुछ नहीं कर पाया, क्या किसी दूसरे दल में जाने का विचार करेंगे़
जवाब : राजनीति में केवल एमएलए, एमपी बनना ही काम नहीं है़ मैं तो खास कर इसके लिए राजनीति में नहीं आया़ जनता के बीच रहूंगा़ जनता को जब लगेगा, तब भरोसा जतायेगी़ ईमानादरी से राजनीति कर रहा हू़ं कहीं जाने का सवाल नहीं है़ बार-बार यही सवाल पूछा जाता है. मैंने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा कोई विचार मेरे मन में नहीं आता है़ संघर्ष करेंगे, जनता के मुद्दे के साथ खड़ा रहेंगे़
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