राजधानी में 3055 बहुमंजिली इमारतें, 51 ही सुरक्षित

रांची : राजधानी में जब-जब आग लगती है, तब-तब जवाबदेह विभाग द्वारा जांच कर कार्रवाई की बात कही जाती है. लेकिन, मामला ठंडा पड़ते ही सब टांय-टांय फिस्स हो जाता है. सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाएं गर्मी के मौसम में ही होती हैं. सात मई 2018 को राजधानी के शहीद चौक स्थित गोपाल कॉम्प्लेक्स में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 26, 2019 12:55 AM

रांची : राजधानी में जब-जब आग लगती है, तब-तब जवाबदेह विभाग द्वारा जांच कर कार्रवाई की बात कही जाती है. लेकिन, मामला ठंडा पड़ते ही सब टांय-टांय फिस्स हो जाता है. सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाएं गर्मी के मौसम में ही होती हैं. सात मई 2018 को राजधानी के शहीद चौक स्थित गोपाल कॉम्प्लेक्स में आग लगी थी.

इसमें दर्जनों लोगों की जान आफत में थी. काफी मशक्कत के बाद सभी को सकुशल बाहर निकाला गया था. उस वक्त भी प्रशासन द्वारा यह कहा गया था कि सभी बहुमंजिली इमारतों की जांच की जायेगी. जिनके पास फायर सेफ्टी की व्यवस्था नहीं होगी, उस पर कार्रवाई की जायेगी. लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त गुजरने के बाद भी प्रशासन द्वारा ठोस कार्रवाई की बात सामने नहीं आयी.
जानकार बताते हैं कि रांची नगर निगम क्षेत्र में करीब 3055 बहुमंजिली इमारतें हैं. इनमें से महज 51 इमारतों को ही रांची नगर निगम से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी है. इससे साफ है कि सिर्फ 51 बहुमंजिली इमारतों में ही सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि शेष 3004 बहुमंजिली इमारतों की सुरक्षा क्या भगवान भरोसे है?
शहरी क्षेत्र में बनने वाले भवनों का नक्शा मानकों के अनुरूप तैयार हुआ है या नहीं, यह देखने की जवाबदेही नगर निगम की है. दूसरी तरफ निगम के अधिकारी कुछेक भवनों को छोड़ दें, तो अपने क्षेत्र में बनने वाले अधिकांश भवनों की जांच की जहमत तक नहीं उठाते.
अगर किसी भवन की जांच में गड़बड़ी सामने आती है, तो ऐन-केन प्रकारेण उसको रफा-दफा कर दिया जाता है. शहर में लालपुर, क्लब रोड, हरमू रोड, कचहरी रोड आदि में कई ऐसी बहुमंजिली इमारते हैं, जहां पर शॉपिंग के अलावा कोचिंग संस्थान चलाये जाते हैं, लेकिन किसी में भी फायर सेफ्टी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है.
क्याें जरूरी है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट : नगर निगम द्वारा पास नक्शे के अनुरूप भवनों का निर्माण किया जाना जरूरी होता है. भवन तैयार होने पर निर्माणकर्ता निगम को पत्र भेज जानकारी देता है कि उसने नक्शे के अनुरूप भवन का निर्माण तय मानकों के तहत कर लिया है. इसके बाद निगम के अधिकारी निर्माण स्थल पर जाकर भवन की जांच करते हैं.
इस दौरान यह देखा जाता है कि संबंधित भवन का निर्माण नक्शे के अनुरूप हुआ है या नहीं. भवन में फायर फाइटिंग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, तड़ित चालक, पार्किंग आदि की समुचित व्यवस्था की गयी है अथवा नहीं. सब कुछ सही पाये जाने के बाद निगम ऐसे भवन को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है.

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