डायरिया से अब नहीं होगी मौत इसकी रोकथाम आसान : सचिव
रांची : डायरिया से मौत अब नहीं होगी. इसकी रोकथाम बेहद आसान है. बच्चों में शौच के बाद व खाने से पहले हाथ धोने की आदत डाल कर डायरिया से बचा जा सकता है. फिर भी यदि किसी कारण बच्चे को डायरिया हो जाये, तो उसे अोआरएस का घोल तथा 15 दिनों तक जिंक टैबलेट […]
रांची : डायरिया से मौत अब नहीं होगी. इसकी रोकथाम बेहद आसान है. बच्चों में शौच के बाद व खाने से पहले हाथ धोने की आदत डाल कर डायरिया से बचा जा सकता है. फिर भी यदि किसी कारण बच्चे को डायरिया हो जाये, तो उसे अोआरएस का घोल तथा 15 दिनों तक जिंक टैबलेट देकर स्वस्थ बनाया जा सकता है. उक्त बातें स्वास्थ्य सचिव डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने कही. श्री कुलकर्णी सोमवार को राजकीय अस्पताल, डोरंडा में 28 मई से शुरू हो रहे सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा की शुरुआत करते हुए बोल रहे थे.
सचिव ने कहा कि यह भ्रांति है कि डायरिया हो, तो भोजन नहीं करना चाहिए. यह जानलेवा गलतफहमी है. बच्चों को डायरिया हो, तो उसे मां का दूध या ऊपरी भोजन समय से देना चाहिए. गौरतलब है कि पखवाड़ा (28 मई- आठ जून) के दौरान राज्य में पांच वर्ष तक उम्र वाले 35.69 लाख बच्चों के लिए अोआरएस का पैकेट व जिंक टैबलेट बांटा जायेगा.
स्वास्थ्य विभाग की करीब 40 हजार सहिया घर-घर जाकर घोल व टैबलेट वितरित करेंगी. साथ ही यह भी बतायेंगी कि घोल कैसे तैयार करना है. डायरिया संबंधी जागरूकता के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका व सहायिका की मदद से अोआरएस-जिंक कॉर्नर का संचालन भी होना है. इस अवसर पर सिविल सर्जन रांची, विभिन्न निदेशक, सहिया व एएनएम उपस्थित थे.
राज्य में हर साल तीन हजार बच्चों की मौत डायरिया से होती है
एसआरएस-2016 व ग्लोबल बर्डेन अॉफ डिजीज की रिपोर्ट के मुताबिक पांच वर्ष तक के बच्चों की होनेवाली कुल मौत का 10 फीसदी डायरिया या डायरिया जनित बीमारी से होता है.
इधर, झारखंड में हर साल इस उम्र वर्ग के करीब 30 हजार बच्चों की मौत होती है. इस तरह झारखंड में प्रति वर्ष तीन हजार बच्चों की मौत का कारण है डायरिया. हालांकि झारखंड में बाल मृत्यु दर (सीएमआर) घट रही है. वर्ष 2011 में यह 54 प्रति हजार थी, जो वर्ष 2016 में घट कर 33 प्रति हजार हो गयी है.