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13 मीटर तक गिरा जलस्तर, 40,000 से अधिक बोरिंग फेल, आधी रांची प्यासी, गुमला, लोहरदगा में भी गंभीर संकट
सुनील चौधरी, उत्तम रांची : राजधानी में पेयजल संकट गहरा गया है. जलस्तर 12 से 13 मीटर तक नीचे जाने के कारण राजधानी के अनुमानित 40 हजार से अधिक घरों के बोरिंग पिछले दो माह में पूरी तरह से सुख चुके हैं. पीने के पानी के इंतजाम के लिए लोग 650-700 फीट तक का बोरिंग […]
सुनील चौधरी, उत्तम
रांची : राजधानी में पेयजल संकट गहरा गया है. जलस्तर 12 से 13 मीटर तक नीचे जाने के कारण राजधानी के अनुमानित 40 हजार से अधिक घरों के बोरिंग पिछले दो माह में पूरी तरह से सुख चुके हैं. पीने के पानी के इंतजाम के लिए लोग 650-700 फीट तक का बोरिंग करवा रहे हैं, लेकिन एक बूंद पानी नहीं मिल रहा है.
ऐसे में शहर के एक बड़े हिस्से के लोग पूरी तरह से निगम के टैंकर पर आश्रित हो गये हैं, लेकिन यहां भी लोगों को एक बाल्टी पानी लेने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. शहर में जहां जलसंकट की स्थिति ने विकराल रूप धारण कर लिया है. वहीं दूसरी सरकार के स्तर पर इस स्थिति से निबटने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. राजधानी रांची समेत राज्य के 18 जिलों में तेजी से भूगर्भ जल स्तर घट रहा है.
45 टैंकरों के भरोसे बड़ी आबादी: इस भीषण जलसंकट को दूर करने के लिए जहां नगर निगम को युद्ध स्तर पर तैयारी करनी थी. वहीं नगर निगम अब भी अपने 45 टैंकरों पर आश्रित हैं. इन टैंकरों के पानी भरने के लिए नगर निगम द्वारा शहर के अलग अलग इलाके में आठ हाइड्रेंट का निर्माण कराया गया है, लेकिन लगातार चलते मोटर व जल स्तर के नीचे जाने के कारण हरमू पुल के समीप का हाइड्रेंट व बकरी बाजार स्टोर का हाइड्रेंट पिछले पांच दिन से काम नहीं कर रहा है.
इस कारण निगम के सारे टैंकरों को पानी भरने के लिए विद्यानगर, डोरंडा व हटिया के हाइड्रेंट में जाना पड़ रहा है. यहां पर भी पानी भरने के लिए टैंकरों की लंबी लंबी लाइन लग रही है. नंबर आते आते टैंकरों का तीन से चार घंटा समय गुजर जा रहा है. इस कारण एक टैंकर मोहल्ले में केवल दो ही बार पानी लेकर वितरण कर पा रहा है.
गर्मी ने निगम के बोरवेल को भी सुखाया, 1900 चापानल सूखे : गर्मी के दिनों में शहरवासियों को पीने के पानी के लिए जूझना न पड़े. इसके लिए नगर निगम द्वारा शहर के विभिन्न मोहल्ले में 2500 चापानल को लगाया गया था, जिसमें से 1900 के आसपास चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है. इसके अलावा पूरे शहर में 988 मिनी एचवाइडीटी को लगाया गया था. इसमें भी 150 से अधिक मिनी एचवाइडीटी ने पानी देना बंद कर दिया है. जिन मिनी एचवाइडीटी से पानी निकल भी रहा है. उसमें भी पानी का प्रेशर बहुत कम है. आम दिनों में जहां आधा से एक घंटा में दो हजार लीटर की टंकी भर जाती थी.
अब इस टंकी को भरने में तीन से चार घंटा का समय लग रहा है. जल स्तर के नीचे जाने से किस कदर इन मिनी एचवाइडीटी पर असर पड़ा है कि इसकी एक बानगी यह है कि नगर निगम द्वारा 15 दिन पहले हरमू हाउसिंग कॉलोनी के करम चौक, हरमू बस्ती में पांच मिनी एचवाइडीटी कराये गये. जिसमें से तीन मिनी एचवाइडीटी ने दो दिन बाद ही पानी देना बंद कर दिया.
भूगर्भ जलस्तर 13 मीटर तक गिरा : सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड द्वारा रांची शहरी इलाके में 12 डीप एक्यूफेर्स बोरिंग की मॉनीटरिंग की गयी है.जहां जल स्तर 10 वर्षो में 10 से 12 मीटर तक गिरे हैं. कहीं-कहां तो 15 से 17 मीटर तक गिरावट आयी है. इसमें कांके की स्थिति सबसे भयावह है. यहां गर्मी के मौसम में या मानसून के पूर्व 28.44 मीटर तक जल स्तर घटा है.
हर साल पांच हजार से अधिक हो रहे हैं बोरिंग: शहर के लोगों को पानी पिलाने में नगर निगम के असमर्थ होने के कारण लोग निजी बोरिंग पर पूरी तरह से आश्रित हो गये हैं. नगर निगम से ही प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में हर साल पांच हजार से अधिक बोरिंग हो रहे हैं. अत्यधिक बोरिंग होने के कारण जहां धरती का सीना बोरवेल से छलनी हो गया है.
वहीं इससे अत्यधिक भूगर्भ जल के दोहन होने के कारण बहुत तेजी से वाटर लेबल नीचे जा रहा है. 1.88 लाख मकानों में केवल 45 हजार घरों में ही वाटर कनेक्शन: आम लोग बोरिंग पर आश्रित न हों. इसके लिए पीएचइडी द्वारा पाइपलाइन से जलापूर्ति किया जाता है, लेकिन इसकी भी संख्या काफी कम है.
शहर में जहां 1.88 लाख से अधिक से मकान हैं. वहीं इन मकानों में से केवल 45 हजार मकान ही ऐसे हैं. जिनके घरों में पाइपलाइन से पानी पहुंचता है. जानकार लोगों की मानें तो अगर नगर निगम हर घर को सप्लाइ पाइपलाइन से जोड़कर पानी उपलब्ध करा देता, तो किसी को घर में बोरिंग करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. इस प्रकार वाटर लेबल को मेंटेंन किया जा सकता था.
कई हाइड्रेंट काम नहीं कर रहे, राजधानी में पानी के लिए हाहाकार
ड्राइ जोन में तब्दील हो गये कई इलाके
हरमू हाउसिंग कॉलोनी, हरमू बस्ती, करम चौक, विद्यानगर, गंगा नगर, यमुना नगर, स्वर्ण जयंती नगर, मधुकम रोड नं एक से लेकर पांच तक, इंद्रपुरी, मोरहाबादी, एदलहातु आदि इलाका है. इसके अलावा जिन क्षेत्राें में आने वाले दिनों में गंभीर जलसंकट की स्थिति उत्पन्न होने वाली है. उसमें कांके रोड, हातमा, बड़गाईं, अशोक नगर, कडरू, अरगोड़ा आदि का इलाका शामिल है.
गुमला, लोहरदगा में भी गंभीर संकट
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के 18 जिलों के भूर्गभ जलस्तर में काफी गिरावट आयी है. पिछले तीन साल में इन जिलों में दो से पांच मीटर तक जल स्तर में गिरावट आयी है. इनमें रांची, गुमला, लोहरदगा, पूर्वी व पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, लातेहार, दुमका, जामताड़ा, देवघर, गोड्डा, साहेबगंज, गढ़वा व पाकुड़ जिला शामिल है.
कहां, कितना घटा जल स्तर
मेन रोड 13 मीटर
हरमू 11 मीटर
आइटीआइ 10 मीटर
नामकुम 08 मीटर
कांके पांच मीटर
बरियातू सात मीटर
अशोक नगर 10 मीटर
कडरू 08 मीटर
रातू रोड 12.26 मीटर
मोरहाबादी 11.95 मीटर
हटिया 9.45 मीटर
हिनू 9.47 मीटर
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