इन महिलाओं ने मसाला बेचकर जिंदगी को बनाया जायकेदार

-रजनीश आनंद- रांची : झारखंड की महिलाएं ना सिर्फ मेहनती हैं, बल्कि उनके अंदर स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की भावना भी भरपूर है. इसकी बानगी राजधानी रांची के कांके प्रखंड के गारू गांव में देखने को मिलती है, जहां मात्र पांच महिलाओं ने मिलकर मिसाल कायम की है. इसकी सफलता की कहानी कुछ इस प्रकार है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 7, 2019 5:50 PM

-रजनीश आनंद-

रांची : झारखंड की महिलाएं ना सिर्फ मेहनती हैं, बल्कि उनके अंदर स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता की भावना भी भरपूर है. इसकी बानगी राजधानी रांची के कांके प्रखंड के गारू गांव में देखने को मिलती है, जहां मात्र पांच महिलाओं ने मिलकर मिसाल कायम की है. इसकी सफलता की कहानी कुछ इस प्रकार है. गारू गांव के एक सखी मंडल की पांच महिलाओं ने इस साल की शुरुआत से मसाला फैक्टरी लगायी है. जहां शुद्ध मसालों को पीसकर बाजार में बेचा जा रहा है.

इस पूरे काम को सखी मंडल की पांच महिलाएं सविता देवी, रूबी देवी, वैजयंती देवी, सरिता देवी और मुलो देवी मिलकर कर रही हैं. यह पांचों महिलाएं बाजार से खड़ा मसाला लेकर आती हैं फिर उसे पूरी शुद्धता के साथ पिसती हैं और पैकिंग कर बाजार में बेचती हैं.सखी मंडल की सदस्य सविता देवी ने बताया कि हम अपर बाजार से खड़ा मसाला लाते हैं और मसाला तैयार करने के बाद उसे रांची शहर के विभिन्न इलाकों बिरसा एग्रीकल्चर कॉलेज, वेटेनरी कॉलेज, मोरहाबादी अॅाक्सीजन पार्क, अशोकनगर और सीएमपीडीआई में बेचती हैं.सविता ने बताया कि हमने पांच किलो मसाले से शुरुआत की थी, लेकिन अब हम बोरा-बोरा मसाले का कारोबार कर रहे हैं.

इसकी शुरुआत पिछले साल तब हुई थी जब बिरसा एग्रीकल्चर से डॉ एसके पांडेय हमारे पास आये. उन्होंने हमसे मसालों का काम शुरु करने को कहा. शुरुआत में तो हम राजी नहीं हुए और ना ही इसमें कोई रुचि नहीं दिखायी, लेकिन फिर हमें सिद्धार्थ जायसवाल सर ने मार्केटिंग करना सिखाया और फिर हम बिरसा एग्रीकल्चरल जाकर ट्रेनिंग लेने लगे. फिर जेएसएलपीएस के सहयोग से इलाहाबाद बैंक से लोन लिया और मसाला पिसने का मशीन लगाया.

अभी प्रगति सखी मंडल की महिलाएं हल्दी, जीरा, धनिया, गोलकी और मिर्च बेचने का काम कर रही हैं. सखी मंडल की महिलाओं का दावा है कि वे तमिलनाडु का सेलम हल्दी, राजस्थान का धनिया, गुजरात का जीरा, कर्नाटक की काली मिर्च और राजस्थान का मिर्च बेचती हैं. हालांकि बाजार में काफी प्रतियोगिता है, लेकिन हम अपना ब्रांड बनाने को प्रयासरत हैं.इस काम से इन पांचों महिलाओं को काफी नाम भी मिला है और इन्हें किसान मेला और इक्फाई यूनिवर्सिटी में पुरस्कार भी दिया गया है. इससे इनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा है और यह महिलाएं प्रगति की ओर अग्रसर हैं.

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