पुण्यतिथि पर विशेष संग्रहालय और स्मृति पार्क बना कर धरती आबा को श्रद्धांजलि देगा झारखंड

15 नवंबर 2019 से बिरसा मुंडा जेल परिसर में बने बिरसा मुंडा संग्रहालय एवं स्मृति पार्क को आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा. नौ जून को बिरसा मुंडा का शहादत दिवस है और 15 नवंबर को जयंती है. 15 नवंबर को झारखंड का स्थापना दिवस भी है. ऐसे में सरकार चाहती है कि इस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 9, 2019 7:33 AM
15 नवंबर 2019 से बिरसा मुंडा जेल परिसर में बने बिरसा मुंडा संग्रहालय एवं स्मृति पार्क को आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा. नौ जून को बिरसा मुंडा का शहादत दिवस है और 15 नवंबर को जयंती है. 15 नवंबर को झारखंड का स्थापना दिवस भी है. ऐसे में सरकार चाहती है कि इस मौके पर पार्क व प्रतिमा का उदघाटन हर हाल में हो जाये.
15 नवंबर से आम लोगों के लिए खोल दिया जायेगा
रांची : बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंची प्रतिमा आकर्षण का मुख्य केंद्र होगी. प्रतिमा का निर्माण प्रसिद्ध मूर्तिकार राम सुतार द्वारा किया जा रहा है. गाजियाबाद में मूर्ति का निर्माण हो रहा है. इसे सितंबर तक पूरा कर लिया जायेगा. स्मृति पार्क को अंतिम रूप देने के लिए नगर विकास विभाग द्वारा इसकी तैयारी चल रही है.जेल परिसर में बिरसा मुंडा की प्रतिमा के साथ-साथ झारखंड के 10 स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा भी नौ-नौ फीट की बन रही है. ये काम भी राम सुतार ही कर रहे हैं.
भगवान बिरसा मुंडा की जीवनी से परिचित हो सकेंगे लोग
पुराने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का काम तेजी से चल रहा है. पुराने जेल परिसर का स्वरूप लगभग बदल चुका है. जहां पहले घास-फूस व झाड़ियां थीं, अब वह जगह सुंदर पार्क के रूप में तब्दील होती जा रही है. पुरानी दीवारों को नया कर दिया गया है. जगह-जगह फूलों की क्यारियां बनायी गयी हैं.
तरह-तरह के पेड़ व पौधे लगाये गये हैं. बिरसा मुंडा संग्रहालय एवं स्मृति पार्क में भगवान बिरसा के जीवन वृतांत से जुड़ी स्मृतियों का भावनात्मक प्रदर्शन किया जायेगा. बिरसा मुंडा संग्रहालय में झारखंड से जुड़े स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी का प्रदर्शन किया जायेगा.
जीवनी में तथ्यों को इकट्ठा करने के लिए विभाग द्वारा कमेटी बनायी गयी है. मल्टी मीडिया के माध्यम से संग्रहालय के भूतल वाले पुराने बैरक में बिरसा मुंडा के जन्म से लेकर विद्रोह तक की घटनाओं से संबंधित फिल्म का प्रदर्शन किया जायेगा. फिल्म को इस ढंगा से तैयार किया गया है कि फिल्म पर्यटकों एवं दर्शकों के मानस पटल लंबे समय तक अंकित रह सकता है.
इसी प्रकार पुरानी जेल की दीवार पर लेजर शो के माध्यम से बिरसा मुंडा के गांव एवं डोंबारी बुरू और गया मुंडा से जुड़ी घटनाओं को प्रदर्शन किया जायेगा. बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में पर्यटकों के आकर्षण के लिए फाउंटेन एवं वाटर शो का प्रदर्शन किया जायेगा. यह प्रदर्शन झारखंड के धार्मिक स्थल बाबाधाम देवघर, मां छिन्नमस्तिका मंदिर रजरप्पा, मां भद्रकाली मंदिर इटखोरी एवं पार्श्वनाथ से संबंधित होगा.
26.40 करोड़ से हो रहा है सौंदर्यीकरण
बिरसा मुंडा पुराने जेल परिसर का सौंदर्यीकरण 26.56 करोड़ की लागत से रहा है. नगर विकास विभाग की कंपनी जुडको द्वारा यह काम कराया जा रहा है. 9.40 करोड़ से पुराने जेल का जीर्णोद्धार होगा.
शेष राशि से म्यूजियम और वाटर फाउंटेन बन रहा है. जेल के प्रशासनिक भवन में रिसेप्शन, इनफॉरमेशन कियोस्क, अॉफिस, सीसीटीवी, डिजिटल सेटअप रहेगा. जेल के महिला सेल में महिला कैदियों से संबंधित जीवनी दर्शायी जायेगी. साथ ही जनजातीय महिलाओं के पारंपरिक जेवर, गहने, पहनावा को प्रदर्शित किया जायेगा. संस्कृति भी दर्शायी जायेगी.
3.57 करोड़ की प्रतिमाएं
बिरसा मुंडा व अन्य शहीदों की प्रतिमा की लागत 3.57 करोड़ है. जिस रूम में बिरसा मुंडा को बंदी के रूप में रखा जाता था, उसी रूम में बिरसा मुंडा की जीवनी से संबंधित फिल्म का प्रदर्शन किया जायेगा. जेल का अंडा सेल. अस्पताल और किचन को पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जा रहा है. केवल दीवारों को मजबूती प्रदान की गयी है.
पहले सौ फीट की बननी थी प्रतिमा
भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पहले 100 फीट की बननी थी, पर मूर्तिकार रामसुतार की सलाह पर इसकी ऊंचाई 25 फीट ही रखी गयी. सरकार ने नोमिनेशन के आधार मेसर्स रामसुतार आर्ट एंड क्रिएशन को बिरसा मुंडा की प्रतिमा समेत 10 शहीदों की प्रतिमा बनाने का काम दिया है.
मूर्तिकार रामसुतार की टीम ने जब पुराने जेल परिसर का भ्रमण किया, तो राज्य सरकार को भगवान बिरसा की प्रतिमा की ऊंचाई कम करने की सलाह दी थी. उनका कहना था कि पुराना जेल परिसर में इतनी जगह नहीं है कि वहां 100 फुट ऊंची मूर्ति की स्थापना की जाये. इतनी विशाल प्रतिमा लगाने के बाद उसके भव्य दर्शन के लिए ज्यादा बड़ी जगह की आवश्यकता है. पुराना जेल के आसपास के क्षेत्र में ऊंची इमारतें भी हैं.मूर्तिकार राम सुतार ने उन इमारतों को भी मूर्ति के दर्शन में बाधक बताया था.
मूर्तिकार ने हटिया डैम में प्रतिमा लगाने का दिया था प्रस्ताव
राम सुतार की टीम ने हटिया डैम के पास प्रतिमा लगाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कहा था कि 100 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने के लिए हटिया डैम उपयुक्त स्थान है. हालांकि, सरकार ने उस विकल्प पर विचार नहीं करते हुए मूर्ति का साइज 25 फुट करने पर सहमति प्रदान कर दी. इसके बाद नवंबर 2018 में कैबिनेट से 25 फीट की प्रतिमा बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया.
50 प्रतिशत काम हो चुका है पूरा
31 मई तक सरकार को दी गयी रिपोर्ट के अनुसार, बिरसा मुंडा जेल परिसर के सौंदर्यीकरण काम 50 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. सितंबर 2019 तक इसे शत प्रतिशत पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है, ताकि 15 नवंबर को इसका उदघाटन किया जा सके.
आदिवासी युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं भगवान बिरसा
भगवान बिरसा मुंडा आज भी आदिवासी युवाओं के प्रेरणा स्रोत है़ं जल, जंगल, जमीन और आदिवासी अस्मिता के लिए भगवान बिरसा के संघर्ष को लोग आज भी याद करते हैं. कम उम्र में ही उनमें आदिवासियों की समस्याओं की समझ थी़ उनमें आदिवासियों को एकजुट करने का माद्दा था़ लोग मानते हैं कि उनके बाद यह आंदोलन कुछ शिथिल हुआ है़ आदिवासियों के हाथों से उनका जल, जंगल व जमीन छिन रहा है़ इसलिए भगवान बिरसा की तरह ही युवाओं को सजग और एकजुट रहने की जरूरत है़
आदिवासियों की स्थिति बहुत ही खराब है. हमारे अधिकारों का हनन हो रहा है़ हमारी जमीनें छीनी जा रही है़ं भगवान बिरसा मुंडा के जैसा नेतृत्व आज नहीं दिखता.
अनूप टोप्पो
कम उम्र में अपने देश व समुदाय के लिए बड़ा काम किया़ आदिवासी समाज की समस्याओं के समाधान में अहम भूमिका निभायी और देश की आजादी के लिए अपना बलिदान दिया़
सोनू उरांव
वे हमारे अच्छे नेता था़ मुंडा समाज में उनका प्रमुख स्थान है़ उन्होंने मुंडा समाज को एकजुट किया़ उनकी समस्याओं के समाधान के संघर्ष में उनका नेतृत्व किया़
रतन मुंडा
हम युवाओं को बिरसा मुंडा के दिखाये रास्ते पर चलना चाहिए़ उनके कार्यों को आगे बढ़ाना चाहिए, तभी यहां के आदिवासी सुरक्षित और खुशहाल रहेंगे़
देव कुमार मुंडा
बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश सरकार से आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी़ जल, जंगल, जमीन बचाने के लिए संघर्ष किया़ हमें उनके दिखाये राह पर चलना है़
बबलू उरांव
बिरसा मुंडा आदिवासी समुदाय के प्रेरणा स्रोत हैं. उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है. उनके सपने आज भी अधूरे हैं. उनके सपनों को साकार करने की जरूरत है.
थानो मुंडा, मुखिया, मनातू
झारखंड में जितने भी आदिवासी व मूलवासी हैं, उनकी आजादी के लिए उन्होंने उलगुलान छेड़ा, पर आज युवा पीढ़ी इस राह से भटक रही है़ उन्हें एकजुट होने की जरूरत है.
संदीप उरांव
उनकी शहादत के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी ‘अबुआ दिशुम अबुआ राज’ का उनका सपना आज भी पूरा नहीं हुआ है़ आदिवासियों की जमीन छिन रही है़
सुमित उरांव
बिरसा मुंडा के जल, जंगल, जमीन के आंदोलन की बदौलत ही सीएनटी-एसपीटी एक्ट बना. वर्तमान में भी सरकार जल, जंगल, जमीन का दोहन कर रही़ रहना है़
सुखदेव उरांव
बिरसा मुंडा हमारे प्रेरणा स्राेत है़ं हमें उनके दिखाये रास्ते पर चलना है़ अपने लोगों के हक-अधिकार के लिए लड़ना है़ जल, जंगल, जमीन और अपनी संस्कृति को बचाना है़
शिवशंकर ओहदार
भगवान बिरसा मुंडा आदिवासियों के अलग राज और इसकी अलग संस्कृति के पक्षधर थे़ आज हम उनकी पूजा तो करते हैं, पर उनके सपनों को भूल रहे है़ं
सुमन एक्का
भगवान बिरसा मुंडा ने हमारे समाज के लिए जो किया है, वह अद्वितीय है़ उन्होंने हमें गुलामी, सूदखोरी से बचाया़ अब उनके सपनों को पूरा करने की जरूरत है.
अभिनीत
हमें गर्व है कि हम उनकी भूमि पर है़ं जब देश गुलाम था, तब उन्होंने इसके खिलाफ बड़ा उलगुलान किया था़ उन्होंने अपने संघर्ष की बदौलत सीएनटी एक्ट का तोहफा दिलाया़
मनोज उरांव
बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर लोगों को संकल्प लेने की जरूरत है. उन्होंने समाज के उत्थान के लिए हमेशा संघर्ष किया. उनके बताये मार्ग पर चलने की जरूरत है.
विकास मुंडा
भगवान बिरसा मुंडा ने सिर्फ आदिवासी ही नहीं, पूरे देश के लोगों की आजादी के लिए संघर्ष किया़ उन्होंने भावी पीढ़ियों की खुशहाली के लिए शहादत दिया.
सुशील उरांव

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